नागपुर मामलाः कहां स्थानांतरित करें फायर स्टेशन?, 93 साल पुरानी इमारत का प्लास्टर जगह-जगह से उखड़ रहा
By वसीम क़ुरैशी | Published: August 6, 2020 08:04 PM2020-08-06T20:04:00+5:302020-08-06T20:04:00+5:30
गौरतलब है कि 1700.8 वर्ग मीटर में बने इस फायर स्टेशन व कॉलोनी को तोड़कर नया बनाया जाना है. इसके लिए डिजाइन आदि तैयार हो चुका है. बताया गया है कि त्रिमूर्तिनगर का फायर स्टेशन बनाने वाले आर्किटेक्ट ने ही इसका डिजाइन भी तैयार किया है.
नागपुरः मनपा ने अब तक न जाने कितनी शिकस्त हो चुकी इमारतों को नोटिस दिया होगा लेकिन उसकी ही एक शिकस्त हो चुकी इमारत के मामले में ‘चिराग तले अंधेरा’ वाली कहावत चरितार्थ हो रही है.
ये इमारत गंजीपेठ स्थित उपराजधानी का पहला फायर स्टेशन व कॉलोनी है. 93 साल पुरानी इस इमारत का प्लास्टर अब जगह-जगह से उखड़ रहा है. मनपा इस फायर स्टेशन को अस्थायी रूप से किसी दूसरी जगह स्थानांतरित करने की कोशिश में है लेकिन उसे अब तक मुनासिब जगह ही नहीं मिल पाई है.
1927 में बने फायर स्टेशन व कर्मचारियों की कॉलोनी के बुरे हाल हैं. 25 क्वार्टर वाली कॉलोनी के कर्मचारियों को भी दूसरी जगह शिफ्ट होने कह दिया गया है. सूत्रों के अनुसार इनमें रहने वाले कर्मचारियों ने एक आवेदन देकर बताया कि कोविड-19 के असर वाले इस दौर में किराए का घर मिलने में दिक्कतें हो रही हैं.
गौरतलब है कि 1700.8 वर्ग मीटर में बने इस फायर स्टेशन व कॉलोनी को तोड़कर नया बनाया जाना है. इसके लिए डिजाइन आदि तैयार हो चुका है. बताया गया है कि त्रिमूर्तिनगर का फायर स्टेशन बनाने वाले आर्किटेक्ट ने ही इसका डिजाइन भी तैयार किया है.
बजट पर अटका सवाल
कोविड-19 के असर के बीच मनपा की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर बताई जा रही है. ऐेसे में गंजीपेठ फायर स्टेशन व कॉलोनी के लिए 10 करोड़ से अधिक की लागत का इंतजाम करना फिलहाल मुश्किल नजर आ रहा है.