महाराष्ट्र: अदालत ने दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग को 24 सप्ताह का गर्भावस्था समाप्त करने की दी अनुमति
By भाषा | Published: May 27, 2020 05:26 AM2020-05-27T05:26:09+5:302020-05-27T05:26:09+5:30
न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति एन आर बोरकर की खंडपीठ ने नाबालिग की मां द्वारा याचिका दायर कर गर्भावस्था समाप्त करने की अनुमति देने का अनुरोध पर फैसला सुनाया।
मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को 13 वर्षीय एक दुष्कर्म पीड़िता को 24 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दे दी। अदालत के अनुसार गर्भावस्था जारी रहने से पीड़ित को शारीरिक और मानसिक नुकसान हो सकता था। लड़की के साथ उसके पिता ने दुष्कर्म किया था।
न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति एन आर बोरकर की खंडपीठ ने नाबालिग की मां द्वारा याचिका दायर कर गर्भावस्था समाप्त करने की अनुमति देने का अनुरोध पर फैसला सुनाया। याचिका के अनुसार यह घटना ठाणे जिले की है और लड़की अपनी एक रिश्तेदार के घर पर रह रही थी।
लड़की ने इसकी जानकारी अपनी रिश्तेदार को दी और इसके बाद आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी। लड़की के परीक्षण के दौरान उसके गर्भवती होने का पता लगा। अदालत ने पिछले हफ्ते जेजे अस्पताल में एक मेडिकल बोर्ड गठित कर इस मामले में रिपोर्ट देने को कहा था।
इससे पहले इसी तरह के एक केस में मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक लड़की को गर्भपात की अनुमति प्रदान की गई थी। बता दें कि 18 सप्ताह की गर्भवती नाबालिग को हाईकोर्ट ने गर्भपात कराने की अनुमति प्रदान कर दी है।
इसके लिए नाबालिग की मां ने मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में याचिका दायर की थी, जिस पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सीएमएचओ ग्वालियर को नाबालिग का परीक्षण कर मेडिकल रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। सोमवार को रिपोर्ट पेश की गई।
इसमें बताया गया कि नाबालिग के पेट में 18 सप्ताह का गर्भ है। इस पर कोर्ट ने सीएमएचओ को नाबालिग को 11 फरवरी तक अस्पताल में भर्ती कर विशेषज्ञों की निगरानी में गर्भपात की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया।
हाईकोर्ट ने कहा, हम ऐसे प्रकरण की सुनवाई कर रहे हैं, जिसमें 15 वर्षीय बालिका ने बलात्कारी का गर्भ धारण किया हुआ है और मां नहीं चाहती कि उसकी बच्ची एक बलात्कारी के बच्चे को जन्म दे। केवल यही नहीं, यह बच्चा न केवल नाबालिग के लिए जीवन पर्यंत सामाजिक कलंक की तरह रहेगा, बल्कि इसे जन्म देने में उसकी जान जाने का भी डर है।