जज पर पुलिस ने किया हमला, एसपी को हटाने और सीआईडी जांच का आदेश, पटना हाईकोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार
By एस पी सिन्हा | Published: December 1, 2021 08:21 PM2021-12-01T20:21:20+5:302021-12-01T20:22:43+5:30
न्यायाधीश राजन गुप्ता और न्यायाधीश मोहित कुमार शाह की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए बिहार पुलिस के रवैये पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए इस मामले की जांच अब सीआईडी को सौंपने का आदेश दिया.
पटनाः बिहार में मधुबनी जिला के झंझारपुर कोर्ट में पिछले दिनों सहायक जिला एवं सत्र न्यायाधीश-एक अविनाश कुमार की पिटाई के मामले को लेकर हाईकोर्ट ने आज गहरी नाराजगी जताई है.
हाईकोर्ट ने सरकार से यह पूछा है कि आखिर अब तक के मधुबनी के एसपी का तबादला क्यों नहीं किया गया? न्यायाधीश राजन गुप्ता और न्यायाधीश मोहित कुमार शाह की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए बिहार पुलिस के रवैये पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए इस मामले की जांच अब सीआईडी को सौंपने का आदेश दिया.
खंडपीठ ने ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या पुलिस अधिकारी मनमानी कार्रवाई कर सकते हैं? खंडपीठ ने राज्य सरकार को यह निर्देश भी दिया है कि इस मामले की जांच एसपी रैंक से नीचे के अधिकारी नहीं करेंगे. कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए यह कहा कि अगर एसपी अपने पद पर बने रहे तो वह सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं. कोर्ट ने इस पूरे मामले पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.
इतना ही नहीं अगली सुनवाई के दिन रात का पूरा ब्योरा सीलबंद लिफाफे में कोर्ट के अंदर देने का निर्देश भी दिया है. मधुबनी के एसपी की कार्यशैली पर भी नाराजगी जताई और सख्त टिपण्णी की. खंडपीठ ने यहां तक कहा कि पावर मिलने का यह मतलब नहीं कि कुछ भी कर लें. कोर्ट ने इस कांड की जांच से मधुबनी पुलिस को दूर रहने का निर्देश दिया है. इस मामले की जांच में हस्तक्षेप नहीं होगा.
इस दौरान कोर्ट ने सीआईडी को जांच का जिम्मा सौपा और कहा कि इस मामले की जांच एसपी स्तर के अधिकारी करेंगे. साथ ही इस मामले की निगरानी सीआईडी के एडीजी खुद करेंगे. कोर्ट ने इस मामले मे सुनवाई में मदद करने के लिए वरीय अधिवक्ता मृगांक मौली को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है.
साथ ही कोर्ट मास्टर को आज ही इस मामले से सम्बन्धित कागजात समेत कोर्ट में राज्य सरकार द्वारा पेश रिपोर्ट उन्हें देने का आदेश दिया है. इस मामलें पर सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ललित किशोर ने पिछली सुनवाई में स्पष्ट किया था कि राज्य की पुलिस दोनों पक्षों के मामलों को निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से अनुसंधान करने में सक्षम है.
वहीं महाधिवक्ता ने कहा कि कोर्ट चाहे सीबीआई समेत किसी भी एजेंसी से मामले की जांच करवा सकता है. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के महाधिवक्ता ललित किशोर ने अदालत के सामने कहा कि राज्य में अराजकता जैसा माहौल नहीं है. फिलहाल डीजीपी को कोर्ट में आने की जरूरत है.
लेकिन अदालत ने जरुरी पड़ने पर बुलाने की भी बात की. उल्लेखनीय है कि मधुबनी के जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा 18 नवंबर, 2021 को भेजे गए पत्र पर हाईकोर्ट ने 18 नवंबर को ही स्वतः संज्ञान लिया है. साथ ही साथ कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, राज्य के डीजीपी, राज्य के गृह विभाग के प्रधान सचिव और मधुबनी के पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी किया था.