कानपुर विकास दुबे मुठभेड़ में बचे पुलिस अधिकारी की जुबानी, जानिए पूरी कहानी, क्यों कहा कायमत की रात थी वह

By भाषा | Published: July 6, 2020 04:59 AM2020-07-06T04:59:31+5:302020-07-06T04:59:31+5:30

कानपुर में गैंगेस्टर विकास दुबे और पुलिस मुठभेड़ में जान बचाने में सफल रहे थानाध्यक्ष ने उस रात को कयामत की रात बताया। थानाध्यक्ष कौशलेंद्र प्रताप सिंह का कानपुर के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है।

Kanpur shootout Police unprepared into darkness of trap laid by gangster Vikas Dubey says cop who survived ambush | कानपुर विकास दुबे मुठभेड़ में बचे पुलिस अधिकारी की जुबानी, जानिए पूरी कहानी, क्यों कहा कायमत की रात थी वह

कानपुर की वारदात में जिंदा बचे बिठूर के थानाध्यक्ष कौशलेंद्र प्रताप सिंह (सोशल मीडिया)

Highlightsपुलिस कर्मियों के पास हमलावरों को जवाब देने लायक हथियार नहीं थे।कैशलेंद्र ने कहा कि पुलिस कर्मियों को अंधेरे का सामना करना पड़ा जबकि हमलावरों के पास टॉर्च थी जिनकी रोशनी सिर्फ पुलिसकर्मियों पर पड़ रही थी।

कानपुर के बिकरू गांव में 2-3 जुलाई की दरमियानी रात को गैंगस्टर विकास दुबे के घर छापा मारने गई पुलिस टीम पर हुए कातिलाना हमले के साक्षी बिठूर थानाध्यक्ष की नजर में वह कयामत की रात थी। 

पिछले एक दशक में पुलिस पर सबसे दुस्साहसिक हमला
पिछले करीब एक दशक में पुलिस पर हुए सबसे दुस्साहसिक हमलों में शुमार कानपुर की उस वारदात में जिंदा बचे चंद खुशकिस्मत पुलिसकर्मियों में शामिल बिठूर के थानाध्यक्ष कौशलेंद्र प्रताप सिंह उस वारदात को याद कर सिहर उठते हैं। 

पुलिस के पास नहीं थे जवाब देने लायक हथियार
कानपुर के एक निजी अस्पताल में इलाज करा रहे सिंह ने कहा,‘‘ पुलिस दल को तनिक भी भान नहीं था कि उस पर ऐसा जघन्य हमला होने जा रहा है। पुलिस के पास उस हमले का जवाब देने के लायक हथियार भी नहीं थे। 

हमलावरों के पास थे सेमी ऑटोमैटिक हथियार
दूसरी ओर हमलावर पूरी तरह से तैयार थे उस सब के पास सेमी ऑटोमेटिक हथियार थे। जैसे ही हम गली में खड़ी की गई जेसीबी को पार कर आगे बढ़े, छत से गोलियों की बौछार शुरू हो गई।’’ 

हमलावरों ने टॉर्च की रोशनी से दिया चकमा
कैशलेंद्र ने कहा कि पुलिस कर्मियों को अंधेरे का सामना करना पड़ा जबकि हमलावरों के पास टॉर्च थी जिनकी रोशनी सिर्फ पुलिसकर्मियों पर पड़ रही थी। पुलिस बदमाशों को नहीं देख पा रही थी। 

बिठूर थाना अध्यक्ष ने कहा,‘‘ उन्हें फोन करके इस छापेमारी के लिए बुलाया गया था क्योंकि चौबेपुर और बिठूर एक दूसरे से सटे हुए इलाके हैं लिहाजा हम एक दूसरे थाने की पुलिस की मदद करते हैं। रात करीब 12:30 बजे हम दुबे के मकान पर छापा डालने के लिए निकले थे। हमारे साथ चौबेपुर के थानाध्यक्ष भी थे। हमने अपने वाहन विकास दुबे के घर से 200 ढाई सौ मीटर की दूरी पर खड़े किए थे।’’ 

उन्होंने बताया कि पुलिस जैसे ही जेसीबी वाहन को फांदकर दूसरी तरफ पहुंची, बमुश्किल एक मिनट के अंदर छत से गोलियों की बौछार शुरू हो गई। पहले राउंड में तीन पुलिसकर्मियों को गोलियां लगी जबकि बाकी पुलिसकर्मी जहां-तहां छुप गए। जिसे जो जगह मिली वह वहां दुबक गया। 

बिल्हौर के पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र मिश्रा को गोलियां कैसे लगीं, इस बारे में सिंह ने कहा कि इस मामले में कुछ भी कहना मुश्किल है कि उन्हें किसकी गोली लगी, क्योंकि बेतरतीब फायरिंग हो रही थी। वह जिस जगह छुपे थे वहां पर ठीक ऊपर से गोलियां चलाई जा रही थी। वह 15-20 लोग थे जिन्होंने पुलिस पर हमला कियाा। 

थाना अध्यक्ष विनय तिवारी पर सवाल
हमले के इस मामले में निलंबित किए गए चौबेपुर के थाना अध्यक्ष विनय तिवारी के बारे में पूछे गए इस सवाल पर कि क्या वे पुलिस दल में सबसे पीछे चल रहे थे, सिंह ने कहा ऐसा कहना सही नहीं है क्योंकि हम सभी लोग कंधे से कंधा मिलाकर एक पंक्ति में आगे बढ़ रहे थे। 

गौरतलब है कि 2-3 जुलाई की दरमियानी रात चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरु गांव में माफिया सरगना विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम पर छत पर खड़े बदमाशों ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाई थी। इस वारदात में एक पुलिस उपाधीक्षक और तीन दरोगा समेत आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे, जबकि सात अन्य जख्मी हो गए थे।

Web Title: Kanpur shootout Police unprepared into darkness of trap laid by gangster Vikas Dubey says cop who survived ambush

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