Kanpur Encounter: पुलिस के बीच आपसी 'रंजिश' के कारण हुआ कानपुर कांड! इस नए खुलासे से अब उठ रहे हैं सवाल
By विनीत कुमार | Published: July 6, 2020 11:26 AM2020-07-06T11:26:51+5:302020-07-06T11:52:03+5:30
कानपुर में एक मुठभेड़ में 7 पुलिसकर्मियों की गई जान के बाद कुछ अहम खुलासे रोज हो रहे हैं। ये बात भी सामने आ चुकी है कि पुलिस की छापेमारी की जानकारी विकास दुबे को पहले लग गई थी।
उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के बिकरू गांव में एक मुठभेड़ के दौरान 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में रोज नए खुलासे हो रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इस घटना ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से ये जानकारी सामने आई है कि बिकरू में जो हुआ वह पुलिस में ही आपसी रंजिश का नतीजा है। कहा जा रहा है कि चौबेपुर थाने के तत्कालीन एसओ विनय तिवारी और बिल्हौर सर्कल के डीएसपी देवेंद्र मिश्रा में सब कुछ ठीक नहीं था। इनके संबंध काफी तल्ख हो चले थे। आलम ये था कि विनय किसी भी तरह देवेंद्र को इस सर्कल से हटाना चाहते थे।
नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार कुछ महीनों पहले विकास दुबे से जुड़ी एक एफआईआर शिकायत मिलने के बावजूद चौबेपुर थाना में नहीं लिखा गया था। बाद में सीओ देवेंद्र मिश्रा ने इसमें दखल दिया और तब जाकर एफआईआर दर्ज हुई। ये एफआईआर विकास दुबे के खिलाफ हत्या के प्रयास का आरोप लगाते हुए लिखी गई थी।
विकास दुबे के खिलाफ एफआईआर से शुरू होती है कानपुर कांड की कहानी!
बिकरु के पास मुन्ना निवादा गांव है। रिपोर्ट के अनुसार राहुल तिवारी नाम के शख्स का ससुराल मुन्ना निवादा गांव में है। वहीं, राहुल की एक साली का ससुराल बिकरू गांव में है। राहुल की पत्नी का विवाद दो अन्य बहनों से पैतृक संपत्ति को लेकर चल रहा था। राहुल पूरी संपत्ति बेचना चाहता था।
हालांकि, उसकी साली के कहने के मौके पर विकास ने इस मामले में हस्तक्षेप किया। यहीं से राहुल और विकास के संबंध बिगड़ गए। होली के दिन विकास ने राहुल को पीटा था। इसी संबंध में राहुल ने एफआईआर लिखाई। पहले इसे नहीं लिखा गया लेकिन बाद में देवेंद्र मिश्रा के दखल से मामला दर्ज हुआ।
इसी कहानी का दूसरा सिरा कानपुर के भौंती क्षेत्र से भी जुड़ता है। यहां कुछ समय पहले तक शहर का सबसे बड़ा जुआखाना यहां चलता था। बाद में इसे चौबेपुर में शुरू कराया गया। पुलिस विभाग में जुए के इस अड्डे को लेकर तनातनी रहती थी। वहीं, चौबेपुर एसओ विनय तिवारी की गिनती विकास दुबे के करीबियों में होती थी। देवेंद्र मिश्रा का हर बार हस्तक्षेप विनय तिवारी को नागवार गुजरता था। ऐसे में देवेंद्र मिश्रा को हटवाने का प्रयास भी हुआ।
विकास दुबे ने चलाई थी गोली
विकास को गिरफ्तार करने के लिए टीम तैयार हुई थी। इसके लिए जिले के सीनियर अधिकारियों से अनुमति भी ली गई। हालांकि, सीओ पुलिस टीम का नेतृत्व करते हुए सबसे आगे थे। विकास ने अपनी बंदूक से सबसे पहले सीओ को निशाना बनाकर गोली मारी। रविवार सुबह विकास के एक गुर्गे दयाशंकर ने भी कबूला कि विकास ने फायरिंग की थी।
बता दें कि कानपुर मुठभेड़ के बाद शक के घेरे में आए चौबेपुर के थानाध्यक्ष विनय तिवारी को निलंबित कर दिया गया है। कानपुर के पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल के अनुसार 'थानाध्यक्ष विनय तिवारी के ऊपर लग रहे आरोपों के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया है। इन आरोपों की जांच की गहन तरीके से जांच की जा रही है। अगर उनका या किसी भी पुलिसकर्मी का इस घटना से कोई संबंध निकला तो उसे न केवल बर्खास्त किया जाएगा बल्कि जेल भी भेजा जाएगा।’
पुलिस सूत्रों के मुताबिक कुछ पुलिसकर्मियों से भी पूछताछ की जा रही है ताकि यह जाना जा सके कि दुबे को उसके घर पर पुलिस की छापेमारी के बारे में पहले से खबर कैसे लगी जिससे उसने पूरी तैयारी के साथ पुलिस दल पर हमला किया।