कानपुर शूटआउट: पुलिस के भेदिए की वजह से ही गई 8 सिपाहियों की जान, ज्यादा तगड़ा निकला हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का नेटवर्क!
By पल्लवी कुमारी | Published: July 4, 2020 09:36 AM2020-07-04T09:36:44+5:302020-07-04T09:36:44+5:30
कानपुर चौबेपुर थाने के बिकरू गांव में रहने वाले हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने दो और तीन जुलाई देर रात पुलिस टीम गयी। पुलिस दल जैसे ही दुबे के छिपने के ठिकाने पर पहुंचा, अचानक छत से गोलियों की बौछार शुरू हो गयी, जिसमें 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए। हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे पर 60 आपराधिक मामले दर्ज हैं । दो अपराधी पुलिस की मुठभेड में मारे भी गये हैं।
कानपुर: कानपुर जिले के चौबेपुर में दो और तीन जुलाई की देर रात अपराधियों के साथ मुठभेड में एक पुलिस उपाधीक्षक समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए। इस घटना ने पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को कानपुर पहुंचकर पुलिसकर्मियों को 'विनम्र श्रद्धांजलि' अर्पित करते हुए शहीदों के परिवारों को एक एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है। 2 जुलाई की देर रात (तकरीबन डेढ बजे) पुलिस की टीम कुख्यात हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने चौबेपुर के बिकरू गांव गई थी। पुलिस के पहुंचते हुई विकास दुबे और उनके आदमियों ने पुलिस की टीम पर लगातार फायरिंग कर दी। विकास दूबे के घर तक जाने के रास्ते में पुलिस को जेसीबी के मशीन लगे हुए मिले थे। इन सब बातों को देखते हुए दावा किया जा रहा है कि किसी पुलिस के भेदिए ने ही कुख्यात हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को छापेमारी की पूरी योजना बता दी थी।
कानपुर शूटआउट के पीछ भेदिए की गहरी साजिश की आशंका
कानपुर शूटआउट के पीछे पुलिस विभाग के भेदिए की गहरी साजिश आशंका जताई जा रही है। हिन्दुस्तान ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि पुलिस के भेदिए ने ही सारी सूचना अपराधियों तक पहुंचाई। यूपी डीजीपी का कहना है कि भेदिए वाले एंगल से भी मामले की जांच की जा रही है। इस पूरे कांड का सबसे बड़ा पहलू यही है कि आखिर पुलिस की छापेमारी से लेकर पल-पल तक की अपडेट के बारे में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और उसके गैंग को कैसे पता चला। आखिर विकास दुबे और उसके गिरोह के पास पल-पल की खबर कैसे जा रही थी। ताजा जानाकी के मुताबिक, विकास दुबे को किसने दी छापेमारी की जानकारी...इसके लिए दारोगा-सिपाही-होम गार्ड से पूछताछ की जा रही है।
पुलिस से ज्यादा तगड़ा नेटववर्क निकला हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का
कानपुर शूटआउट की घटना पर नजर डाली जाए तो ऐसा लगता है कि पुलिस से ज्यादा तगड़ा नेटववर्क हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का निकला। बताया जा रहा है कि विकास दुबे को विभाग के किसी कर्मी ने ही पुलिस दबिश की पूरी सूचना दे दी थी। उसे यह तक बता दिया गया था कि कितने थाने की फोर्स आ रही है...कितनी पुलिस होगी। क्या समय होगा...सबकुछ।
एसओ चौबेपुर से हो रही है पूछताछ, आखिर क्यों रह गए जेसीबी के पीछे
बिकरू गांव जहां, छापेमारी हुई वह चौबेपुर थानाक्षेत्र में आता है। पुलिस की टीम जब वहां हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को गिरफ्तार करने के लिए जा रही थी तो एसओ चौबेपुर विनय तिवारी जेसीबी के पीछे रह गए। जो विकास दुबे के घर से कुछ दूर पुलिस को रोकने के लिए लगाई गई थी। जबकि थानाक्षेत्र उनका था, इलाके में लगाए गए बीट कांस्टेबल उन्हें रिपोर्ट करते थे। गांव की भौगोलिक स्थिति के बारे में भी उन्हें ज्यादा जानकारी थी। उसके बाद भी वह आगे नहीं बढ़े। इसी मामले में एसटीएफ के अधिकारियों ने एसओ चौबेपुर से लगातार पूछताछ कर रहे हैं।
आरोप यह भी है कि चौबेपुर थाने के एसओ विनय तिवारी के हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे से अच्छे संबंध थे। आरोप है कि होली में बिकरू गांव के ही राहुल तिवारी को विकास दुबे और उसके साथियों ने जान से मारने की कोशिश की थी। इसके बावजूद विनय ने एफआईआर नहीं दर्ज की। राहुल ने सीओ देवेंद्र मिश्रा से गुहार लगाई तो उनके हस्तक्षेप के बाद केस दर्ज किया गया था।
कानपुर शूटआउट के बारे में पुलिस ने क्या दिया ताजा अपडेट
पुलिस महानिदेशक हितेश चंद्र अवस्थी ने कहा है कि पुलिस की कार्रवाई हो रही है। दो अपराधी पुलिस की मुठभेड में मारे भी गये हैं। टीमें अभी भी कार्यरत हैं। सीमाएं सील हैं और एसएसपी कई टीमों की निगरानी कर रहे हैं। हम जल्द ही मामले की तह तक पहुंचेंगे और अपराधियों को वहीं (जेल) पहुंचाएंगे, जहां उन्हें होना चाहिए।
मुठभेड़ की सनसनीखेज वारदात के बाद कानपुर पहुंचे डीजीपी ने मीडिया से कहा, ''यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, जिसमें पुलिस कर्मियों पर अपराधी तत्वों ने हमला किया और फिर भाग गए। उन्होंने कहा, यहां आए पुलिस दल को साजिश के तहत रोकने के लिए एक अर्थ मूवर मशीन खड़ी की गई जिससे रास्ता बाधित हुआ। और अंधेरे का फायदा उठाकर हमला किया गया । जो हुआ, सुनियोजित तरीके से हुआ। अवस्थी ने कहा कि पता लगाया जा रहा है कि गंभीर वारदात की साजिश कैसे रची गई, इसके पीछे किसका हाथ है।
जानें कानपुर शूटआउट में क्या हुआ था?
उत्तर प्रदेश के कानपुर में पुलिस की एक टीम पर हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और उसके साथ अन्य अपराधियों ने हमला किया। जिसमें 3 जुलाई तड़के पुलिस उपाधीक्षक सहित उत्तर प्रदेश पुलिस (UP Police) के आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए। आठ पुलिस कर्मी घायल हैं, जबकि दो अपराधी भी इस दौरान मारे गए।
पुलिस ने बताया कि दो और तीन जुलाई की मध्य रात्रि को चौबेपुर पुलिस थाने के अंतर्गत बिकरू गांव में पुलिस की टीम आदतन अपराधी विकास दुबे को गिरफ्तार करने जा रही था। उसी दौरान मुठभेड़ हो गई। जैसे ही पुलिस का एक दल अपराधी के ठिकाने के पास पहुंचने ही वाला था। उसी दौरान एक इमारत की छत से पुलिस दल पर अंधाधुंध गोलीबारी की गई जिसमें पुलिस उपाधीक्षक एस पी देवेंद्र मिश्रा, तीन उप निरीक्षक और चार कॉन्स्टेबल मारे गए। ये सब इतनी जल्दीबाजी में हुआ कि पुलिस को संभलने का मौक नहीं मिला। एसओ बिठूर समेत 6 पुलिसकर्मी और एक आम नागरिक गंभीर रूप से घायल है। सभी घायलों को गंभीर हालत में रीजेंसी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
कानपुर शूटआउट में शहीद हुए पुलिसकर्मियों के नाम
शहीद होने वाले पुलिसकर्मियों में बिल्हौर के क्षेत्राधिकारी डिप्टी एसपी देवेंद्र मिश्रा (54), थानाध्यक्ष शिवराजपुर महेश कुमार यादव (42), सब इंस्पेक्टर अनूप कुमार सिंह (32), सब इंस्पेक्टर नेबू लाल (48), कांस्टेबिल जितेंद्र पाल (26), सुल्तान सिंह (35), बबलू कुमार (23) और राहुल कुमार (24) शामिल हैं।