कानपुर शूटआउट में घायल इंस्पेक्टर ने बताई उस खौफनाक रात की आपबीती, 'खून से लथपथ था, लगा मौत पक्की है'
By पल्लवी कुमारी | Published: July 8, 2020 11:04 AM2020-07-08T11:04:29+5:302020-07-08T11:04:29+5:30
कानपुर शूटआउट (Kanpur Encounter): दो जुलाई की दरमियानी रात करीब एक बजे गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने गए पुलिस दल पर उसके गुर्गों ने ताबड़तोड़ गोलियां चला कर पुलिस क्षेत्राधिकारी देवेंद्र मिश्रा, तीन दारोगा और चार सिपाहियों की हत्या कर दी थी।
कानपुर:कानपुर शूटआउट (Kanpur Encounter) में घायल हुए इंस्पेक्टर सुधाकर पाण्डेय को मंगलवार (7 जुलाई) को अस्पताल डिस्चार्ज कर दिया गया। इंस्पेक्टर सुधाकर पाण्डेय इस वक्त अपने लखनऊ स्थित आवास पर हैं। हॉस्टिपल से डिस्चार्ज मिलने के बाद एक मीडिया संस्थान को फोने पर उन्होंने कानपुर मुठभेड़ (2 जुलाई की रात) वाली रात की दर्दनाक आपबीती बताई। कानपुर मुठभेड़ में घायल गोला क्षेत्र के बेलवपार पाठक गांव के दारोगा सुधाकर पाण्डेय ने बताया कि आखिर किस तरह कुख्यात अपराधी विकास दुबे (Vikas Dubey) ने पुलिस को मारने के लिए जाल बिछाया था।
हिन्दुस्तान से बात करते हुए इंस्पेक्टर सुधाकर पाण्डेय ने कहा, जब चारों ओर छत से पुलिस की 35 से 40 टीम पर हमला हुआ तो, जिसको जहां जगल मिली वहां से छिपकर फायरिंग करने लगा। लेकिन जबतक हमने फायरिंग शुरू की, हमारे कई साथियों को गोली लग चुकी थी। हम सबके वर्दी से भीगी जा रही थी...आंखों के सामने एकदम अंधेरा सा छा गया था। ऐसा लग रहा था कि मौत आनी अब निश्चित है।
कानपुर शूटआउट में घायल इंस्पेक्टर ने बताया कैसे रोका गया पुलिस का रास्ता
घायल इंस्पेक्टर ने बताया कि पुलिस के दबिश के बारे में विकास दुबे को पहले से पूरी जानकारी थी। पुलिस टीम में लगभग ढाई दर्जन लोग थे। रात को जब हम एक बजे बिकरू गांव में पहुंचे तो देखा रास्ते में जेसीबी खड़ी है। हम लोग ने अपने वाहन उसके घर से 500 मीटर दूर खड़ा किया और सीओ के पीछे चल दिए। जैसे हमारी टीम विकास के घर के पास पहुंची छत के ऊपर से ताबड़तोड़ गोलियां चलने लगीं।
सुधाकर पाण्डेय ने कहा, उस वक्त मेरे आंखे के पास मुझे गोली लग गई। साथ गया कांस्टेबल एक शौचालय में छिप गया, वहां से उसने अपराधियों पर फायरिंग जारी रखी। लेकिन बदमाशों ने कुछ मिनट तक सैकड़ों राउंड गोलियां पुलिस टीम की टीम पर चलाई। गोलियों के बीच हमने मोर्चा संभाला हुआ था लेकिन वह अंधेरे का फायदा उठाकर भाग गए। गांव के लोगों ने भी हमारा साथ नहीं दिया। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों ने साथ दिया होता तो स्थिति इतनी भयावह नहीं होती।
शहीद होने वाले पुलिसकर्मियों में बिल्हौर के क्षेत्राधिकारी डिप्टी एसपी देवेंद्र मिश्रा (54), थानाध्यक्ष शिवराजपुर महेश कुमार यादव (42), सब इंस्पेक्टर अनूप कुमार सिंह (32), सब इंस्पेक्टर नेबू लाल (48), कांस्टेबिल जितेंद्र पाल (26), सुल्तान सिंह (35), बबलू कुमार (23) और राहुल कुमार (24) शामिल हैं।
कानपुर कांड में अबतक मारे गए विकास दुबे के तीन साथी
8 पुलिसकर्मियों की हत्या के छह दिन बाद वारदात के मुख्य आरोपी विकास दुबे का एक साथी बुधवार सुबह हमीरपुर जिले में उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) से मुठभेड़ में मारा गया। एसटीएफ के महानिरीक्षक अमिताभ यश ने बताया कि विकास दुबे का साथी अमर दुबे हमीरपुर के मौदहा में एक मुठभेड़ में मारा गया। उन्होंने बताया कि दुबे पर 25000 रुपये का इनाम घोषित था और वह पिछले हफ्ते चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में बदमाशों द्वारा घात लगाकर आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में शामिल था। इससे पहले शुक्रवार को वारदात के बाद दुबे के दो साथी प्रेम प्रकाश पांडे और अतुल दुबे भी पुलिस से मुठभेड़ में मारे गए थे।