धनबाद जज हत्याकांड मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने सीबीआई को फिर लगाई फटकार, थ्योरी को किया खारिज
By एस पी सिन्हा | Published: January 14, 2022 07:49 PM2022-01-14T19:49:49+5:302022-01-14T19:50:21+5:30
धनबाद जज हत्याकांड में सीबीआइ के अब तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचने पर खंडपीठ तल्ख टिप्पणी कर चुका है. कोर्ट ने कहा था कि ऐसा लगता है कि मामला अनसुलझा ही रह जाएगा.
रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने धनबाद के जज उत्तम आनंद की मौत मामले में शुक्रवार को सुनवाई करते हुए सीबीआई की ओर से पेश की गई थ्योरी को खारिज कर दिया. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ रवि रंजन व न्यायमूर्ति एसएन प्रसाद की अदालत ने सीबीआई की जांच पर फिर से नाराजगी जताई.
अदालत ने कहा कि सीबीआई की यह नई कहानी उचित नहीं है कि मोबाइल छीनने के लिए ऐसा किया गया है क्योंकि सीसीटीवी फुटेज में ऐसी कोई बात नहीं दिखाई दे रही है.
खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से उपस्थित एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया एसबी राजू को घटना का सीसीटीवी फुटेज दिखाया. सीसीटीवी फुटेज दिखाते हुए खंडपीठ ने श्री राजू से कई सवाल पूछे. इसका उन्होंने संतोषजनक जवाब नहीं दिया.
वहीं, जांच अधिकारी ने कहा कि दोनों ओर से बाइक आ रही थी, इसलिए ऑटो वाले ने पकड़े जाने के डर से मोबाइल नहीं लिया. अदालत अब तक की जांच रिपोर्ट की समीक्षा करेगी और आदेश पारित करेगी. इस मामले में अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी. खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि मैन बिहाइंड मशीन का मामला बन गया है.
खंडपीठ ने एक फिल्म के दृश्य का हवाला देते हुए बताया कि सीबीआई की मोबाइल लूट की थ्योरी में कोई सच्चाई नहीं है. यह मोबाइल लूट का मामला नहीं है. सीबीआई की मोबाइल लूट की थ्योरी में कोई दम नहीं है, क्योंकि घटना के सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद स्पष्ट हो जाता है कि यह सुनियोजित मर्डर है. यदि यह मोबाइल लूट का मामला होता तो टेंपो से टक्कर होने के बाद आरोपी उसमें से उतरते और मोबाइल लेकर चलते बनते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
इस मामले में संबंधित क्षेत्र के मोबाइल टावर से जुडे 200 से अधिक लोगों से पूछताछ की गई है. हालांकि, अभी तक कुछ खास जानकारी नहीं मिल सकी है. अदालत ने कहा कि यह मामला नहीं सुलझने से कोर्ट चिंतित है. अब मोबाइल छीनने की एक नई कहानी सामने आ रही है, जबकि सीसीटीवी फुटेज देखने पर ऐसा कुछ भी प्रतीत नहीं हो रहा है.
खंडपीठ ने कहा कि टक्कर मारने के बाद टैंपू रुका भी नहीं. इसलिए सीबीआई की कहानी में कोई सच्चाई नहीं है. खंडपीठ ने कहा कि सीबीआई द्वारा अब तक की गयी जांच से वह संतुष्ट नहीं है. सीबीआई अब तक निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी है. इस मामले में कोई बडा षड्यंत्र है और षड्यंत्रकारी पर्दे के पीछे है. ऐसा लगता है कि वह मामले को डाइवर्ट करने का प्रयास कर रहा है. दोनों आरोपी मोहरा जैसे हैं.
बता दें कि जज हत्याकांड में सीबीआइ के अब तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचने पर खंडपीठ ने पहले भी तल्ख टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा था कि लगता है यह मामला अनसुलझा ही रह जाएगा.