Jharkhand Cyber Crime: थाईलैंड, लाओस और कंबोडिया चलो और लाखों में कमाओ, वसीम खान और यमुना कुमार राणा अरेस्ट, बेरोजगार युवाओं को नौकरी का प्रलोभन
By एस पी सिन्हा | Published: August 9, 2024 03:23 PM2024-08-09T15:23:56+5:302024-08-09T15:24:38+5:30
Jharkhand Cyber Crime: सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच में एक पीड़ित के परिवार के द्वारा प्राथमिकी दर्ज करवाया गया था।
रांचीः साइबर अपराध को अंजाम दिलवाने के लिए झारखंड में बेरोजगार युवकों की तस्करी किए जाने का खुलासा हुआ है। झारखंड सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच ने तस्करी रैकेट के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है। सूत्रों के अनुसार सीआईडी की जांच में यह बात सामने आई है कि झारखंड के बेरोजगार युवाओं को नौकरी का प्रलोभन देकर लाओस और कंबोडिया जैसे मुल्कों में तस्करी कर ले जा जाता था और फिर उनसे वहां जबर्दस्ती साइबर अपराध करवाया जाता है। इस संबंध में सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच में एक पीड़ित के परिवार के द्वारा प्राथमिकी दर्ज करवाया गया था।
जब सीआईडी की क्राइम ब्रांच की टीम मामले की तफ्तीश में जुटी तब चौंकाने वाला मामला खुलासा हुआ। जांच में यह पता चला है कि कंबोडिया, थाईलैंड, लाओस जैसे देशों के साइबर अपराधियों ने झारखंड में अपने कुछ एजेंट तैयार कर रखे थे। झारखंड के एजेंट के माध्यम से ही बेरोजगार युवाओं को विदेश में नौकरी देने का झांसा देकर कंबोडिया, थाईलैंड एवं लाओस जैसे देशों में ले जाया जाता है।
दूसरे देश में जाकर झारखंड के युवाओं को साइबर ठगी का काम करवाया जाता था। क्राइम ब्रांच के सूत्रों की मानें तो विदेशी साइबर अपराधियों ने झारखंड के वैसे सभी युवाओं के पासपोर्ट और दूसरे तरह के पहचान पत्र अपने पास जब्त कर लिए थे। मजबूरन युवाओं को साइबर ठगी का काम करना पड़ता था।
सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच की टीम ने साइबर अपराध में इस्तेमाल के लिए युवाओं की तस्करी करने वाले दो एजेंटों वसीम खान और यमुना कुमार राणा को गिरफ्तार किया है। वसीम खान झारखंड के गिरिडीह का रहने वाला है, जबकि यमुना कुमार राणा कोडरमा का रहने वाला है।
गिरफ्तार साइबर एजेंटों के पास से कई आपत्तिजनक साक्ष्य, लेनदेन से संबंधित पासबुक, चेक बुक, लैपटॉप और विदेश भेजे गए लोगों के बायोडाटा, पासपोर्ट और वीजा का विवरण बरामद किया गया है। क्राइम ब्रांच के सूत्रों के अनुसार पीड़ितों को झारखंड से वियतनाम और थाईलैंड के रास्ते कंबोडिया भेजा जाता है।
विदेश पहुंचने पर पीड़ितों को स्कैम सेंटर में बाकायदा प्रशिक्षित किया जाता है। उन्हें व्हाट्सएप इंस्टाग्राम, फेसबुक पर फर्जी अकाउंट बनाने, व्हाट्सएप चैट के माध्यम से आकर्षक इन्वेस्टमेंट ऑफर के साथ-साथ साइबर ठगी के लिए लोगों से कैसे संपर्क करना है, इसकी ट्रेनिंग दी जाती है।
भारत से तस्करी कर ले जाए गए लोगों को डरा धमका कर बेहद कठिन परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर कर दिया जाता है। सूत्रों की मानें तो सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच जांच में और भी कई तथ्यों के सामने आने की संभावना है। कहा जा रहा है कि इसका नेटवर्क काफी बड़ा हो सकता है, जो अन्य राज्यों से जुड़ा हो। क्राइम ब्रांच की टीम जांच में जुटी है।