झारखंडः मुसीबत में सीएम सोरेन, खनन पट्टा लीज मामले में आयोग ने 31 मई को उपस्थित होने को कहा, जानें आखिर क्या है पूरा मामला
By एस पी सिन्हा | Published: May 21, 2022 05:54 PM2022-05-21T17:54:57+5:302022-05-21T17:56:19+5:30
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पक्ष रखते हुए जिक्र किया है. रांची के अनगडा मौजा में 88 डिसमिल जमीन की माइनिंग लीज 17 मई 2008 को दस साल के लिए ली गई थी.
रांचीः झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को खनन पट्टा लीज मामले में मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं. इस मामला में हेमंत सोरेन पर झारखंड हाईकोर्ट के साथ ही चुनाव आयोग से शिकंजा कसता दिख रहा है. खनन पट्टा लीज मामले में सफाई पेश करने के लिए निर्वाचन आयोग ने 31 मई को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने को कहा है.
बता दें कि शुक्रवार को विशेष प्रतिनिधि के माध्यम से आयोग को भेजे गए जवाब में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्पष्ट किया है कि उनके पास कोई खनन लीज नहीं है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा जवाब भेज जाने के बाद भी चुनाव आयोग ने शुक्रवार की देर रात 31 मई को आयोग के समक्ष उपस्थित होकर अपनी बात रखने का आदेश जारी किया गया.
इसके साथ ही हेमंत सोरेन के भाई विधायक बसंत सोरेन को 30 मई को चुनाव आयोग के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है. इससे पहले हेमंत सोरेन ने चुनाव आयोग को भेजे गए जवाब में कहा है कि उनके खिलाफ लगाए गए खान पट्टा लीज के आरोप मनगढ़ंत और गलत भावना से प्रेरित हैं. वे इस मामले में पूरी तरह निर्दोष हैं.
मुख्यमंत्री का कहना है कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह राजनीति से प्रेरित हैं. अपने ऊपर लगाये गए आरोपों को भी उन्होंने गलत और भ्रामक बताया है. मुख्यमंत्री के जवाब के बाद अब आगे भारत निर्वाचन आयोग अपना परामर्श राज्यपाल को देगा. राज्यपाल इस परामर्श को मानेंगे. ऐसे में आयोग के अगले कदम पर सबकी निगाहें टिकी हैं.
बता दें कि भारत निर्वाचन आयोग में यह मामला तब आयोग के संज्ञान में आया जब भाजपा ने राज्यपाल रमेश बैस से मिलकर हेमंत सोरेन द्वारा अपने नाम पर खान पट्टा लेने की शिकायत की. इसके बाद राज्यपाल ने आयोग को भाजपा की शिकायत भेजकर पूरे मामले में मंतव्य मांगा था.
इधर आयोग ने हेमंत सोरेन को इस मामले में पहले नोटिस जारी कर 10 दिनों में जवाब देने को कहा था. लेकिन मुख्यमंत्री ने अपनी मां की बीमारी का हवाला देते हुए एक महीने की मोहलत जवाब देने के लिए मांगी थी. हालांकि बाद में आयोग ने 10 दिनों का अतिरिक्त समय देते हुए 20 मई तक हेमंत सोरेन को अपना पक्ष रखने को कहा था.
बताया जाता है हेमंत सोरेन के द्वारा दिये गये जवाब में कहा गया है कि रांची के उपायुक्त ने वर्ष 2021 में नए सिरे से खनन लीज के लिए आवेदन आमंत्रित किया था. उन्होंने आवेदन दिया और नियमों का पालन करते हुए उन्हें माइनिंग लीज दी गई. उन्हें चार फरवरी तक खनन करने की स्वीकृति (सीटीओ) नहीं मिली.
उन्होंने बगैर खुदाई किए लीज सरेंडर कर दिया. उनके पास कोई खनन लीज नहीं है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आयोग को बताया है कि उन पर माइनिंग लीज लेने के जो आरोप लगाए गए हैं, वह तथ्यों से परे हैं. ऐसे में विधानसभा से अयोग्य किए जाने का कोई आधार नहीं बनता है.
इसलिए चुनाव आयोग का नोटिस और यह जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं मानी जा सकती. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपना पक्ष रखते हुए जिक्र किया है कि रांची के अनगडा मौजा में 88 डिसमिल जमीन की माइनिंग लीज 17 मई 2008 को दस साल के लिए ली गई थी. इसके बाद वर्ष 2018 में लीज नवीकरण के लिए उन्होंने आवेदन दिया था, लेकिन यह अस्वीकृत कर दिया गया.