झारखंडः बूढ़ा पहाड़ में आतंक का पर्याय बिरसई ने डाल दिए हथियार, 9 साल की उम्र में बना था नक्सली
By एस पी सिन्हा | Published: September 13, 2018 03:36 PM2018-09-13T15:36:02+5:302018-09-13T15:36:02+5:30
नक्सली बिरसई मिलिट्री कमीशन का सचिव था। वह एक करोड़ रुपये के सबसे खूंखार इनामी अरविंदजी के बाद संगठन में नंबर दो की हैसियत रखता था।
रांची, 13 सितंबरः बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ में सक्रिय 25 लाख रुपये के इनामी नक्सली बिरसई ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है। लातेहार के चंदवा का रहने वाला है नक्सली कमलेश गंझू उर्फ बिरसई ने पलामू के कमिश्नर मनोज कुमार और डीआइजी विपुल शुक्ला के सामने हथियार डाले। इस नक्सली को बूढ़ा पहाड़ का आतंक माना जाता था।
बिरसाई संगठन में मिलिट्री कमीशन का सचिव हुआ करता था। 2013 में लातेहार में पुलिस पर किए गए हमले में बिरसाई शामिल था। उस नक्सली हमले में तब सीआरपीएफ के कई जवान शहिद हो गए थे। इसके अलावा बिरसाई अन्य कई नक्सली वारदात में शामिल रह चुका है। उस पर पलामू, गढवा और लातेहार में कई नक्सली घटनाओं को अंजाम देने का आरोप है।
बताया जाता है कि मात्र 13 वर्ष की उम्र में बिरसाई नक्सलियों के साथ जुड़ गया था. आज गुरुवार को जब उसने पलामू में आत्मसमर्पण किया तब पलामू आयुक्त एनके झा, डीआईजी विपुल शुक्ला, सीआरपीएफ के डीआईजी जयंत पाल समेत गढवा, लातेहार व पलामू के एसपी मौजूद थे। जिस वक्त बिरसई ने सरेंडर किया, उसकी पत्नी राजकुमारी देवी भी मौजूद थी।
नक्सली बिरसई मिलिट्री कमीशन का सचिव था। वह एक करोड़ रुपये के सबसे खूंखार इनामी अरविंदजी के बाद संगठन में नंबर दो की हैसियत रखता था। बिरसई वर्ष 1993 में महज 9 साल की उम्र में नक्सली संगठन में शामिल हो गया था। वर्ष 2013 में लातेहार में नक्सली हमले में शामिल रहा था, जिसमें 17 जवान शहीद हो गये थे। बिरसई पर लातेहार में 44 और गढवा में 33 मामले दर्ज हैं।