उत्तर बिहार में गैंगवार की आशंका, जेल-अस्पताल से भागा कुख्यात कैदी, खुफिया एजेंसियों का अलर्ट
By एस पी सिन्हा | Published: August 25, 2019 05:51 PM2019-08-25T17:51:26+5:302019-08-25T17:51:26+5:30
खुफिया एजेंसियों ने बिहार पुलिस को अलर्ट दिया है कि उत्तरी बिहार के पांच जिलों में गैंगवार हो सकती है। भागलपुर के अस्पताल के कैदी वार्ड से एक कुख्यात बदमाश के भाग जाने के बाद से ऐसी आशंकाएं लगाई जा रही हैं।
उत्तर बिहार के पांच जिलों में संभावित गैंगवार की आशंका को देखते हुए पुलिस के हांथ-पांव फुलने लगे हैं. सूत्रों की मानें तो इस संबंध में खुफिया एजेंसियों ने एक गोपनीय जानकारी देते हुए पुलिस को अलर्ट कर दिया है. ऐसे में उत्तर बिहार पांच जिलों में अलर्ट जारी किया गया है. दरअसल, भागलपुर के अस्पताल से पुलिस को चकमा देकर कैद से फरार कुख्यात विकास झा के भागने के बाद इस बात की आशंका जताई जाने लगी है.
सूत्रों के अनुसार कुख्यात विकास झा के भागलपुर स्थित जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कैदी वार्ड में भर्ती विकास को फरार कराने में ठेकेदार, पुलिसकर्मी और एक दबंग नेता की संलिप्तता सामने आ रही है. इसका मास्टरमाइंड पुलिस की गिरफ्त से अब भी बाहर है. वहीं, भागलपुर के एसएसपी आशीष भारती द्वारा गठित स्पेशल टास्क फोर्स के सदस्य ओडिशा, झारखंड और नेपाल पर अपनी नजर रखे हुए हैं.
सूत्रों की अगर मानें तो खुफिया एजेंसियों को यह जानकारी मिली है कि विकास को भागने की साजिश जेल में ही रची गई थी. उसे अस्पताल के कैदी वार्ड में कैसे पहुंचाया गया? इसकी जांच के बाद कई सफेदपोशों का चेहरा बेनकाब हो सकता है. अस्पताल का कैदी वार्ड बरारी थाना के अंतर्गत है. कैदी वार्ड में कई दिनों से भर्ती रहे विकास का जायजा बरारी थाने के पुलिस अधिकारियों ने ली या नहीं? यह भी जांच का विषय है. जबकि पुलिस इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ थी कि वह पूर्व से ही भगोड़ा रहा है.
बताया जाता है कि कुख्यात विकास कम उम्र से ही आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो गया था. उसने सबसे पहले अपने पड़ोस के ही एक अंडा विक्रेता की हत्या की थी. उस समय नाबालिग होने के कारण उसे मुजफ्फरपुर रिमांड होम में रखा गया था. वह रिमांड होम से दो बार भागने में सफल रहा. इसके बाद सीतामढ़ी पुलिस को भी चकमा देकर दो बार फरार हो चुका है. जबकि भागलपुर से फरार होने की यह उसकी पांचवीं घटना है.
बताया जाता है कि नार्थ बिहार लिबरेशन आर्मी का गठन कुख्यात अपराधी संतोष झा ने किया था. बीते वर्ष 28 अगस्त को जब संतोष को न्यायालय में पेशी के लिए लाया गया तो मुकेश पाठक के सहयोगियों ने उसे न्यायालय परिसर में ही भून डाला था. मुकेश नार्थ बिहार लिबरेशन आर्मी का स्वयंभू कमांडर बनना चाहता था. संतोष झा के करीबी रहे विकास को मुकेश की यह हरकत रास नहीं आई. इस घटना के बाद दोनों की दूरी बढ़ गई. दोनों एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए. परिणामस्वरूप संतोष झा का गैंग कमजोर पड़ गया.
सूत्र बताते हैं कि लेवी वसूलने का काम मुकेश पाठक ने शुरू कर दिया था. पाठक गिरोह का वर्चस्व बढ़ने लगा. अब विकास के पुलिस हिरासत से भागने के बाद उत्तर बिहार में गैंगवार की आशंका बढ़ गई है. इस गिरोह के निशाने पर निर्माण कंपनियां रहती हैं. सीतामढ़ी के बेलसंड और दरभंगा में निर्माण कंपनियों से जुड़े अभियंताओं और कर्मचारियों की हत्या कर इस गिरोह ने उत्तर बिहार के पांच जिलों में अपना दबदबा कायम कर लिया था. सूत्रों की अगर मानें तो सीतामढ़ी के इन कुख्यात अपराधियों का ठिकाना झारखंड, ओडिशा और पड़ोसी देश नेपाल रहा है.
मोतिहारी पुलिस ने विकास को पहली बार झारखंड से पकड़ा था. लेकिन वह जल्द ही जेल से बाहर आ गया था. उसकी दूसरी बार गिरफ्तारी नेपाल से हुई थी. ओडिशा का ठिकाना बहुत कम लोगों को पता है. यहां संतोष झा, सरोज राय और चिरंजीवी भगत ने अकूत संपत्ति अर्जित की है. संतोष झा की हत्या के बाद उसके परिवार के सदस्य ओडिशा में ही रहते हैं. ऐसे में अब खुफिया एजेंसियों ने बिहार में पुलिस के एलर्ट करते हुए कहा है कि उत्तर बिहार पर पैनी निगाह नही रखी गई तो गैंगवार में स्थिती और भी विस्फोटक हो सकती है.