गुरुग्राम में अमेरिका, कनाडा के नागरिकों से ठगी करने वाले फर्जी कॉल सेंटर का हुआ भंडाफोड़
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 26, 2022 04:08 PM2022-03-26T16:08:02+5:302022-03-26T16:13:12+5:30
गुरुग्राम के डीएलएफ फेज-2 में एक घर के ग्राउंड फ्लोर से संचालित कॉल सेंटर तकनीकी सहायता के नाम पर अमेरिका और कनाडा के नागरिकों को ठगता था और गिफ्ट कार्ड के जरिए 500 से 1,000 डॉलर सर्विस चार्ज लेता था।
गुरुग्राम: फर्जी कॉल सेंटर के जरिये विदेशी नागरिकों को अपनी ठगी का शिकार बनाने वाले गिरोह का गुरुग्राम पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। जानकारी के मुताबिक बीते शुक्रवार और शनिवार की रात में डीएलएफ फेज-2 थाना और साइबर क्राइम पुलिस की टीम ने एक फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ करके 10 महिलाओं और मालिक समेत 24 लोगों को गिरफ्तार किया है।
पुलिस के मुताबिक डीएलएफ फेज-2 में एक घर के ग्राउंड फ्लोर से संचालित कॉल सेंटर तकनीकी सहायता के नाम पर अमेरिका और कनाडा के नागरिकों को ठगता था और गिफ्ट कार्ड के जरिए 500 से 1,000 डॉलर सर्विस चार्ज लेता था।
कथित कॉल सेंटर के कर्मचारी पीड़ितों को कनाडा बॉर्डर सर्विस एजेंट, फाइनेंशियल क्राइम यूनिट ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स और कैनेडियन इंटेलिजेंस सर्विस के अधिकारी के रूप में बुलाते थे और उन पर ड्रग्स पेडलिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में शामिल होने का आरोप लगाते थे और उनसे पैसे वसूलते थे।
आरोपी ने चार महीने के लिए फ्लोर रेंट के रूप में 1.50 लाख रुपये प्रति माह का भुगतान भी किया था। पुलिस ने मौके से 2.50 लाख रुपये नकद, दो सीपीयू और इतने ही मोबाइल फोन बरामद किए हैं। रेवाड़ी जिले के कोसली निवासी कॉल सेंटर के मालिक उमेश यादव को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
पुलिस के अनुसार फ्लाइंग स्क्वायड, डीएलएफ फेज-2 थाना और साइबर क्राइम पुलिस की एक टीम ने डीएसपी इंद्रजीत सिंह यादव और एसीपी, डीएलएफ संजीव बलहारा के नेतृत्व में एक गुप्त सूचना के बाद कॉल सेंटर पर छापा मारा। जहां से उन्होंने 14 लड़कों और 10 लड़कियों को गिरफ्तार किया जो इस ठगी के काम को अंजाम दे रहे थे।
डीएसपी इंद्रजीत सिंह यादव ने कहा, "कर्मचारी कॉल सेंटरों पर कार्यरत थे, जो बिना अनुमति के संचालित किए जा रहे थे। साथ ही कॉल सेंटर के पास दूरसंचार विभाग (डीओटी) द्वारा जारी किया गया कोई लाइसेंस भी नहीं था।"
पूछताछ के दौरान आरोपी मालिक ने खुलासा किया कि वे तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए अमेरिका और कनाडाई नागरिकों के साथ बात करते थे और उन्हें पॉप-अप भेजते थे और सेवा शुल्क के रूप में प्रति ग्राहक लगभग 500 डॉलर से 1,000 डॉलर चार्ज करते थे।
मामले में आगे की जांच के लिए डीएलएफ फेज -2 पुलिस स्टेशन में आईटी अधिनियम सहित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।