झारखंड में डॉक्टरों की लापरवाही: जिंदा युवक को मृत घोषित कर भेज दिया पोस्टमॉर्टम के लिए, यहां डॉक्टरों ने पाया जिंदा, फिर तोड़ा दम
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 27, 2020 04:35 PM2020-05-27T16:35:08+5:302020-05-27T16:53:24+5:30
रांची जिले के चान्हो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों ने जीवित युवक को मृत घोषित कर पोस्टमॉर्टम के लिए रिम्स भेज दिया. लेकिन जिस युवक को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर पोस्टमॉर्टम हाउस भेजा था वह जिंदा निकला.
रांची: झारखंड में डॉक्टरों की लापरवाही एकबार फिर से सामने आई है. रांची जिले के चान्हो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों ने जीवित युवक को मृत घोषित कर पोस्टमॉर्टम के लिए रिम्स भेज दिया. लेकिन जिस युवक को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर पोस्टमॉर्टम हाउस भेजा था वह जिंदा निकला. जब पोस्टमार्टम करने के लिए रिम्स के डॉक्टर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि युवक की सांसें चल रही है. इसके बाद डॉक्टर ने उसे तुरंत इलाज के लिए रिम्स के सेंट्रल इमरजेंसी में भेजा. लेकिन इमरजेंसी पहुंचते-पहुंचते उसने दम तोड़ दिया.
बताया जा रहा है कि युवक को करंट लग गया था. जिसके बाद परिजनों ने उससे चान्हो पीएचसी लेकर आए. इस दौरान डॉक्टरों ने उससे मृत घोषित कर पोस्टमॉर्टम के लिए रांची के रिम्स भेज दिया. जब यहां डॉक्टरों ने देखा तो युवक की सांस चल रही थी. फिर उससे इमरजेंसी में भर्ती कराया गया. लेकिन इलाज के दौरान युवक की मौत हो गई. रिम्स के डॉक्टरों ने बताया कि युवक की मौत इमरजेंसी में आने से कुछ देर पहले हुई. जबकि उस युवक को चान्हो स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों ने सुबह नौ बजे ही मृत घोषित कर दिया था. परिजनों ने चान्हो के डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है और उन पर कड़ी कार्रवाई करने की सरकार से मांग की है. उनका कहना है कि चान्हो के डॉक्टरों ने कागज बनाने में कई घंटे बर्बाद किए, जबकि युवक पांच घंटे तक जीवित था.
प्राप्त जानकारी के अनुसार कैरो थाना क्षेत्र के खरता गांव का जितेंद्र मंगलवार को विवाह कार्यक्रम में टेंट लगाने गया था. इसी क्रम में करंट लगने से बेहोश होकर गिर पड़ा. उसके परिजन चान्हो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. शव को पोस्टमॉर्टम के लिए रिम्स भेज दिया. रिम्स में दोपहर एक बजे पोस्टमॉर्टम से पहले डॉक्टरों ने जब युवक की बॉडी एग्जामिन की तो पाया कि उसका दिल धड़क रहा है. इसके बाद उन्होंने युवक को इमरजेंसी भेज दिया. ऐसे में कहा जा रहा है कि अगर सीएचसी में ही उसे सीपीआर (पंप देकर धड़कन लाने की प्रक्रिया) दिया जाता तो धड़कन लौट सकती थी. इलाज करने वालों डॉक्टरों का कहा कि अगर समय पर इलाज मिल जाता तो उसकी जान बचाई जा सकती थी. सुबह 9 बजे डॉक्टरों ने उससे मृत घोषित किया था, लेकिन दोपहर 1 बजे तक उससी सांस चल रही थी. 26 साल का प्रवासी मजदूर केरल से अपने गांव लौटा था. वह लॉकडाउन के बाद पहली बार काम पर निकला था. लेकिन काम के दौरान ही उससे करंट लगने से झुलस गया. परिजन हॉस्पिटल लेकर गए. सही से इलाज नहीं मिलने के कारण युवक की मौत हो गई है.