25 साल पुराना मर्डर केस दिल्ली पुलिस ने 'इंश्योरेंस एजेंट बनकर' सुलझाया, नाम बदलकर लखनऊ में रह रहा था आरोपी, ऐसे चढ़ा हत्थे

By विनीत कुमार | Published: September 18, 2022 03:40 PM2022-09-18T15:40:46+5:302022-09-18T15:54:30+5:30

दिल्ली पुलिस ने 25 साल पुराना मर्डर का एक मामला सुलझाया है। इस मामले में आरोपी 25 साल से फरार था और नाम बदलकर रह रहा था। पुलिस ने उसका पता लगाकर उसे गिरफ्तार कर लिया।

Delhi police posing as insurance agents solved 25 year old murder case | 25 साल पुराना मर्डर केस दिल्ली पुलिस ने 'इंश्योरेंस एजेंट बनकर' सुलझाया, नाम बदलकर लखनऊ में रह रहा था आरोपी, ऐसे चढ़ा हत्थे

दिल्ली पुलिस ने सुलझाया 25 साल पुराना मर्डर केस (फाइल फोटो)

Highlights1997 में हुई हत्या के मामले को दिल्ली पुलिस ने सुलझाया, लखनऊ से पकड़ा गया आरोपी।पिछले एक साल में लगातार केस पर काम करने के बाद पुलिस को मिली सफलता।दिल्ली पुलिस के अधिकारी इस केस को सुलझाने के लिए कई जगहों पर इंश्योरेंस एजेंट बनकर गए।

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने 25 साल पुराने हत्या के एक मामले में आरोपी को गिरफ्तार कर केस को सुलझाने का दावा किया है। हत्या का मामला 1997 की फरवरी से से जुड़ा है जब दिल्ली के तुगलकाबाद इलाके में रहने वाले किशन लाल नाम के शख्स की चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी। छोटे-मोटे काम करने वाले किशन लाल अपने पीछे पत्नी सुनीता को छोड़ गए थे जो गर्भवती थी और पहले बच्चे की मां बनने वाली थीं।

बाद में मामले में अदालती कार्रवाई भी शुरू हुई और दिल्ली की पटियाला कोर्ट ने संदिग्ध रामू को लापता घोषित किया। रामू उसी क्षेत्र में किशन लाल के पड़ोस में रहता था। हालांकि हत्या का ये मामला ठंडा पड़ गया और फाइल दो दशक तक धूल फांकती रही। इस बीच पिछले साल अगस्त-2021 में दिल्ली पुलिस की उत्तर जिला की टीम के हाथ में केस आया और एक बार फिर इस पर काम शुरू हो गया। यह टीम पुराने केस को सुलझाने में माहिर मानी जाती है।

किशन लाल की पत्नी को आया दिल्ली पुलिस का फोन

केस में जांच दोबारा शुरू होने के करीब एक साल बाद सुनीता को दिल्ली पुलिस से फोन आया और तत्काल लखनऊ पहुंचने को कहा गया। दरअसल दिल्ली पुलिस ने 50 साल के एक शख्स को पकड़ा था। पुलिस का मानना था कि यही किशन लाल का हत्यारा था। पुलिस संदिग्ध की पहचान की पुष्टि सुनीता से कराना चाहती थी। 

बहरहाल, सुनीता 24 साल के अपने बेटे सन्नी के साथ लखनऊ पहुंची और इस बात की पुष्टि कर दी कि पकड़ा गया शख्स रामू है। साथ ही रामू को देखकर सुनीता बेहोश भी हो गईं।

पीटीआई के अनुसार पुलिस उपायुक्त (उत्तरी जिला) सागर सिंह कलसी ने कहा, 'महिला ने न्याय पाने की सभी उम्मीदें खो दी थीं और यहां तक ​​कि हमारी पुलिस टीम जब उसके घर पहुंची तो दरवाजे भी बंद कर दिए थे। ये बात समझी जा सकती है क्योंकि इस घटना को काफी समय बीत गए थे।'

दिल्ली पुलिस के अधिकारी ने केस सुलझामे के लिए अपनी चार सदस्यीय टीम की प्रशंसा भी की। खास बात ये भी थी कि इस केस में पुलिस के पास हत्या का कोई चश्मदीद गवाह नहीं था, आरोपी की कोई तस्वीर नहीं थी या उसके ठिकाने का भी कोई सुराग नहीं था। उन्होंने बताया कि केस की जांच करने वाली टीम में सहायक पुलिस आयुक्त (संचालन) धर्मेंद्र कुमार के साथ सब-इंस्पेक्टर योगेंद्र सिंह, हेड-कांस्टेबल पुनीत मलिक और ओमप्रकाश डागर सहित इंस्पेक्टर सुरेंद्र सिंह थे।

पुलिस कैसे पहुंची आरोपी हत्यारे के पास

पुलिस ने रामू की तलाश के लिए दिल्ली और यूपी में कई जगह अंडरकवर बन कर गई। टीम जब दिल्ली के उत्तम नगर में जीवन बीमा एजेंट बन कर गई गई तो वहां उन्होंने रामू के एक रिश्तेदार को खोज निकाला। एक मृतक के रिश्तेदार को पैसे दिलाने में मदद के बहाने पुलिस यहां पहुंची।

इसके बाद पुलिस की टीम उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के खानपुर गांव में भी पहुंची जहां वह रामू के कुछ और रिश्तेदारों से मिली। फर्रुखाबाद में पुलिस ने रामू के बेटे आकाश के मोबाइल नंबर का पता लगाया। इसके बाद पुलिस टीम आकाश के एक फेसबुक अकाउंट तक भी पहुंची, जिसके माध्यम से उसे लखनऊ के कपूरथला इलाके में खोजा गया।

रामू के बेटे से मुलाकात के बाद मिला सुराग

पुलिस ने रामू के बेटे आकाश से लखनऊ में मुलाकात की और उसके पिता के बारे में पूछताछ की, जो अब अशोक यादव के नाम से रहता था। उसने टीम को बताया कि वह लंबे समय से अपने पिता से नहीं मिला है और केवल यह जानता है कि वह अब लखनऊ के जानकीपुरम इलाके में ई-रिक्शा चलाते है।

फिर क्या था, पुलिस ने तत्काल कार्रवाई शुरू की। पुलिस को डर था कि रामू उर्फ अशोक यादव को भनक लग सकती थी कि पुलिस उसे खोज रही है। इसलिए पुलिस ने कार्रवाई तेज करते हुए जानकीपुरम क्षेत्र में ई-रिक्शा चलाने वाले कई ड्राइवरों से संपर्क किया।

पुलिस ने यहां खुद को ई-रिक्शा कंपनी के एजेंट के तौर पर पेश किया और केंद्र सरकार की एक स्कीम का हवाला देते हुए नए ई-रिक्शा खरीद पर कंपनी की ओर से सब्सिडी देने जैसी योजना से उनका भरोसा जीता। इसी दौरान एक ड्राइवर एजेंट बनकर घूम रहे पुलिस वालों को अशोक यादव के पास भी 14 सितंबर को ले गया, जहां वह पकड़ा गया।

पुलिस के अनुसार अशोक यादव ने पहले इस बात से इनकार किया कि उसका नाम रामू था और वह कभी दिल्ली में रहता था। बाद में पुलिस ने रामू के रिश्तेदारों और किशन लाल की पत्नी को पहचान के लिए बुलाया। पहचान साबित होने के साथ ही रामू ने कत्ल की बात मान ली।

रामू ने कहा कि उसने 'कमिटी' (लोगों के एक छोटे ग्रुप के बीच चिट-फंड जैसी व्यवस्था) से पैसे के लिए किशन लाल की हत्या की थी। पुलिस के अनुसार उसने 4 फरवरी, 1997 को एक पार्टी आयोजित की थी, जहां उसने किशन लाल को चाकू से मारा और पैसे लेकर भाग गया। बाद में वह लखनऊ जाकर बस गया और नए नाम से आधार कार्ड आदी भी बनवाने में सफल रहा। 

Web Title: Delhi police posing as insurance agents solved 25 year old murder case

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