‘ब्वॉइज लॉकर रूम’ घटनाः केंद्रीय मंत्री ने कहा-ऑनलाइन उत्पीड़न का सीधा मामला, इन्स्टाग्राम ग्रुप का एडमिन गिरफ्तार, मामला हाईकोर्ट में
By भाषा | Published: May 6, 2020 07:09 PM2020-05-06T19:09:09+5:302020-05-06T19:09:09+5:30
‘ब्वॉइज लॉकर रूम’ इंस्टाग्राम को लेकर केंद्र सरकार ने कहा कि मामला गंभीर है। इसकी जांच होनी चाहिए। यह घटना समाज के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया है। मामला उच्च न्यायालय पहुंच गया है। दिल्ली पुलिस ने एडमिन को अरेस्ट कर लिया है।
नई दिल्लीः केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री देबाश्री चौधरी ने बुधवार को कहा कि ‘ब्वॉइज लॉकर रूम’ जैसी घटनाओं को ऑनलाइन उत्पीड़न का सीधा मामला मानना चाहिए।
‘ब्वॉइज लॉकर रूम’ इंस्टाग्राम पर ग्रुप था, जिस पर नाबालिग लड़कियों की आपत्तिनजक तस्वीरें शेयर की गईं। दिल्ली पुलिस ने इस ग्रुप के 10 सदस्यों की पहचान की है, जिसमें कुछ नाबालिग भी हैं। मंत्री ने ट्वीट कर कहा कि ऐसे मामलों को ऑनलाइन उत्पीड़न के मामले के तौर पर देखने की जरूरत है। उन्होंने बुधवार को ‘चाइल्डलाइन 1098’ की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता भी की। इस बैठक में गोआ, मेघालय के मंत्री भी शामिल हुए।
दिल्ली पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ ने एक इन्स्टाग्राम ग्रुप के एडमिन को गिरफ्तार कर लिया है। अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि ‘‘ब्वॉइज लॉकर रूम’’ नामक इस ग्रुप का इस्तेमाल अश्लील संदेशों व बच्चियों की, छेड़छाड़ के बाद तैयार की गई तस्वीरें सोशल मीडिया साइट पर शेयर करने के लिए किया जाता था। उन्होंने बताया कि सोमवार को एक किशोर को पकड़ा गया, जो ग्रुप का सदस्य भी है। पुलिस ने बताया कि नाबालिगों सहित, इस ग्रुप के दस सदस्यों की भी पहचान की गई है।
उन्होंने बताया कि आरोपी से पूछताछ की गई और अपराध के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों को जब्त कर लिया गया। दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त पीआरओ अनिल मित्तल ने बताया ‘‘साइपैड यूनिट ने कथित ग्रुप और उसके सदस्यों के बारे में इन्स्टाग्राम से जानकारी मांगी है। अभी जवाब का इंतजार किया जा रहा है। ग्रुप के सदस्यों के पास से उपकरण लेकर जब्त कर लिए गए हैं। इन उपकरणों को फॉरेन्सिक विश्लेषण के लिए भेजा गया है।’’ उन्होंने बताया कि ग्रुप के अन्य सदस्यों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, वयस्क आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। ग्रुप के नाबालिग सदस्यों से किशोर न्याय कानून के प्रावधानों के अनुसार, जानकारी हासिल की जा रही है। पूर्व में इन्स्टाग्राम ने कहा था कि वह इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से ले रहा है और इस तरह के आचरण की अनुमति बिल्कुल नहीं देता। इन्स्टाग्राम के अनुसार, बच्चियों की तस्वीरों वाली आपत्तिजनक सामग्री, जानकारी मिलने के तत्काल बाद प्लेटफार्म से हटा दी गई। इस मामले पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली महिला आयोग ने इन्स्टाग्राम और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया।
पुलिस ने बताया कि इस मामले में शामिल कुछ लोग राष्ट्रीय राजधानी के प्रतिष्ठित स्कूलों से हैं। एक लड़की ने इस ग्रुप की गतिविधियों के कुछ स्क्रीन शॉट शेयर किए, जिसके बाद इस ग्रुप का पता चला। पुलिस ने बताया कि सोशल मीडिया की निगरानी के दौरान उसने पाया कि इस ग्रुप के लोग इसका इस्तेमाल अश्लील संदेश और छेड़छाड़ से तैयार तस्वीरों को शेयर करने के लिए कर रहे थे। अधिकारियों ने बताया कि आईटी कानून और आईपीसी की प्रासंगिक धाराओं के तहत सोमवार को एक मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने बताया कि जांच के दौरान एकत्र सबूतों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
‘ब्यॉज लॉकर रूम्स’ घटना का मामला उच्च न्यायालय पहुंचा, मुख्य न्यायाधीश से कार्रवाई का अनुरोध
एक इंस्टाग्राम समूह में ‘ब्यॉज लॉकर रूम्स’ की घटना का मामला अब दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंच गया है। दो वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया है कि वह इस घटना का स्वत: संज्ञान लें। इस घटना में ‘ब्यॉज लॉकर रूम्स’ समूह में अश्लील संदेश और छेड़छाड़ करके बनायी गयी नाबालिग लड़कियों की तस्वीरों को साझा किया गया था। इस चैट रूम में हिस्सा लेने वाले दिल्ली के किशोरवय लड़के हैं जिन्होंने नाबालिग लड़कियों से संबंधित आपत्तिजनक और अश्लील विवरण साझा किया था।
इस चैट रूम का इस्तेमाल कथित रूप से छेड़छाड़ कर बनाये गये लड़कियों के आपत्तिजनक चित्रों पर टिप्पणियां करने के लिये होता था। अधिवक्ता नीला गोखले और इलम परिधि ने इस घटना के बारे में दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल को एक पत्र लिखा है जिसमें लड़कों के एक बड़े समूह की इस तरह की गैरकानूनी गतिविधियों की गंभीरता की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया गया है। पत्र में कहा गया है कि इस चैट रूम में लड़के सोशल मीडिया के माध्यम से नाबालिग और कम आयु की लड़कियों सहित महिलाओं से बलात्कार करने और उनका यौन उत्पीड़न करने के तरीकों पर चर्चा कर रहे है और इसी वजह से वह यह घटना उनके संज्ञान में ला रही हैं।
इन अधिवक्ताओं ने मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया है कि संबंधित प्राधिकारियों को बच्चों का यौन शेषण से रोकथाम कानून, भारतीय दंड संहिता और सूचना एवं प्रौद्योगिकी कानून के तहत दंडनीय अपराध के आरोप में इस कथित अपराध के लिये प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया जाये और सारे मामले की यथाशीघ्र जांच करायी जाये। ब्यॉज लॉकर रूम्स उस समय विवादों के साथ सुर्खियों में आया जब इसके तमाम स्क्रीनशाट्स हाल ही में सोशल मीडिया पर दिखाई पड़े।
पत्र में कहा गया है कि ये प्लेटफार्म और प्रौद्योगिकी नयी नयी चीजें सीखने और प्रतिभा के विकास के लिए एक वरदान है लेकिन विकृत मानसिकता वाले चंद लोगों को सोशल मीडिया मंचों की विश्वसनीयता और उपयोगिता कमतर करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। पत्र में लिखा है कि पता चला है कि कथित रूप से दक्षिण दिल्ली के लड़कों के16 से 18 साल की आयु वर्ग के एक समूह ने इंस्टाग्राम पर ‘ब्यॉज लॉकर रूम’ बनाया और अब इसमें की गयी बातचीत तथा इसका विवरण सार्वजनिक हुआ है जो बेहद हतप्रभ करने वाला है।
ये विवरण महिलाओं के शरीर के विभिन्न अंगों के बारे में अश्लील टिप्पणियों से भरे हुये हैं और इसमें छेड़छाड़ कर तैयार की गयी नग्न तस्वीरों को प्रसारित करने की धमकी भी शामिल है। महिलाओं और लड़कियों की नितांत निजी तस्वीरों को अश्लील और बेहूदी टिप्पणियों के साथ साझा किया गया है।
इन अधिवक्ताओं के अनुसार इस समूह के सदस्यों ने सह-सदस्यों को पहले वाले समूह को छोड़ने का अनुरोध किया है ताकि उन्हें खोजा नहीं जा सके और उन्होंने एक नया ‘ब्यॉज लाकर रूम 2.0’ बना लिया है। अत: ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करके उन्हें दंडित करने की आवश्यकता है। इस घटना के संबंध में पुलिस ने तीन मई को एक प्राथमिकी दर्ज की थी और इस सिलसिले में एक किशोर को पकड़ा था।