बिहार में थमने का नाम नहीं ले रहा है अपराध, पुलिस द्वारा जारी आंकड़े ने खोली पोल

By एस पी सिन्हा | Published: May 24, 2022 04:19 PM2022-05-24T16:19:28+5:302022-05-24T16:20:56+5:30

साल 2021 में 72 डकैती की तुलना में इस साल 69, 665 लूट की तुलना में इस साल 631, 357 दुष्कर्म की तुलना में 317, जबकि 1,548 एससी-एसटी अपराध की तुलना में 1,385 घटनाएं रिकॉर्ड की गई है. बिहार पुलिस मुख्यालय के आंकड़े के अनुसार साल 2022 के शुरुआती 3 महीनों में 679 हत्या, 69 डकैती और लूट तथा 317 बलात्कार के मामले दर्ज हुए हैं. 

Crime is not taking the name of stopping in Bihar the data released by the police revealed | बिहार में थमने का नाम नहीं ले रहा है अपराध, पुलिस द्वारा जारी आंकड़े ने खोली पोल

बिहार में थमने का नाम नहीं ले रहा है अपराध, पुलिस द्वारा जारी आंकड़े ने खोली पोल

Highlightsपिछले वर्ष 2021 में इसी अवधि में कुल 640 हत्या, 72 डकैती, 665 लूट और 357 बलात्कार के मामले दर्ज हुए थे. अभी तक अभियान के तहत 17,148 अभियुक्तों की गिरफ्तारी की गई है.

पटना: बिहार में हत्या का नया रिकॉर्ड बन गया है. पुलिस मुख्यालय ने साल 2021 के जनवरी से मार्च के बीच जो आंकड़ा जारी किया था, उसमें बिहार में 640 हत्याएं दर्ज की गई थीं, जबकि इस साल इन मामलों में 39 का इजाफा हुआ है. जनवरी से मार्च 2022 के बीच बिहार के विभिन्न जिलों में 679 हत्या हुई है.

यह वर्ष 2021 के शुरुआती तीन महीनों में हुई 640 हत्याओं की तुलना में 6.1 प्रतिशत ज्यादा है. यानी कानून का राज होने के तमाम दावों के बीच बिहार में हत्या के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. पुलिस मुख्यालय की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक पिछली तिमाही के मुकाबले इस साल डकैती में 4.2 प्रतिशत, लूट में 8.1 प्रतिशत, दुष्कर्म में 11.2 प्रतिशत जबकि एससी-एसटी अत्याचार के मामलों में 10.5 प्रतिशत की कमी आई है. 

साल 2021 में 72 डकैती की तुलना में इस साल 69, 665 लूट की तुलना में इस साल 631, 357 दुष्कर्म की तुलना में 317, जबकि 1,548 एससी-एसटी अपराध की तुलना में 1,385 घटनाएं रिकॉर्ड की गई है. बिहार पुलिस मुख्यालय के आंकड़े के अनुसार साल 2022 के शुरुआती 3 महीनों में 679 हत्या, 69 डकैती और लूट तथा 317 बलात्कार के मामले दर्ज हुए हैं. 

वहीं पिछले वर्ष 2021 में इसी अवधि में कुल 640 हत्या, 72 डकैती, 665 लूट और 357 बलात्कार के मामले दर्ज हुए थे. वहीं इस अवधि के दौरान जहां 2021 के तीन महीनों में 1548 अनुसूचित जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था. वहीं, राहत की बात है कि वर्ष 2021 के मुकाबले वर्ष 2022 में जहां हत्या के मामले बढ़े हैं, वहीं शेष प्रकार का अपराध के मामलों में गिरावट आई है. 

हत्या के अतिरिक्त अन्य मामलों में आई कमी राज्य में जहां बेहतर कानून व्यवस्था की ओर इशारा करती है, वहीं हत्या के बढ़ते मामलों से चिंता बढ़ी है. पुलिस मुख्यालय के अनुसार अभी तक आपरेशन प्रहार के तहत राज्य में 21 हजार 138 वांछित अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है. इसके अलावा मद्यनिषेध कानून को सख्ती से पालन के लिए 233 एंटी लिकर टास्कर फोर्स का गठन किया गया है. 

अभी तक अभियान के तहत 17,148 अभियुक्तों की गिरफ्तारी की गई है. पुलिस मुख्यालय की मानें तो आपरेशन प्रहार का बिहार में काफी फायदा देखने को मिला है. अगर हत्या को छोड़ दिया जाए तो बाकी अपराधों में कमी आई है. बता दें कि राज्य में गंभीर अपराध करने वाले वांछित अपराधियों को पकडने के लिए आपरेशन प्रहार के तहत वज्र टीम का गठन किया गया है. अभी बिहार में 20 वज्र कंपनी और 47 प्लाटून बनाए गए हैं.

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