छत्तीसगढ़: पिछले दो वर्षों में सुरक्षा बलों के 50 कर्मियों ने की आत्महत्या, राज्य पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के जवान हैं शामिल
By भाषा | Published: February 27, 2020 06:00 AM2020-02-27T06:00:57+5:302020-02-27T06:00:57+5:30
पिछले वर्ष चार दिसंबर को नारायणपुर जिले के कड़ेनार गांव में स्थित भारत तिब्बत सीमा पुलिस के 45 वीं बटालियन के शिविर में जवानों ने एक दूसरे पर गोलीबारी कर दी थी।
छत्तीसगढ़ में पिछले दो वर्षों में सुरक्षा बल के लगभग 50 अधिकारियों और कर्मचारियों ने आत्महत्या की है। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ सदस्य अजय चंद्राकर के सवाल के लिखित जवाब में राज्य के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने बुधवार को विधानसभा में बताया कि वर्ष 2018 से अब तक सुरक्षा बलों के 50 कर्मियों ने आत्महत्या की है।
इनमें राज्य पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के जवान शामिल हैं। साहू ने बताया कि इस दौरान भारत तिब्बत सीमा पुलिस के छह जवानों समेत आठ जवानों की मौत आपसी गोलीबारी के दौरान हुई है। मंत्री ने बताया कि वर्ष 2018 में 22 पुलिस कर्मियों तथा वर्ष 2019 में 26 पुलिस कर्मियों ने आत्महत्या की थी। जबकि इस वर्ष सुरक्षा बलों के दो कर्मियों ने खुद की जान ली है।
उन्होंने बताया कि आत्महत्या करने वाले जवानों में 18 नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र के छह जिलों से हैं। मंत्री ने बताया कि जवानों के आत्महत्या के कारणों में पारिवारिक तनाव और स्वास्थ्यगत परेशानी समेत अन्य कारण हैं। पिछले वर्ष चार दिसंबर को नारायणपुर जिले के कड़ेनार गांव में स्थित भारत तिब्बत सीमा पुलिस के 45 वीं बटालियन के शिविर में जवानों ने एक दूसरे पर गोलीबारी कर दी थी।
इस घटना में छह जवानों की मौत हो गई थी। वहीं 19 जून को बीजापुर जिले के मिनगाचल गांव स्थित छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल के शिविर में आपसी विवाद के बाद गोलीबारी में दो जवानों की मौत हो गई थी। मंत्री ने बताया कि जवानों का मनोबल उंचा बनाए रखने के लिए सभी इकाईयों को आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।