एजेंट रखकर वसूली करता था डीआईजी मोहम्मद शफीउल हक, निलंबित, पुलिस के छोटे पदाधिकारियों से वसूली कराने का गंभीर आरोप
By एस पी सिन्हा | Published: December 2, 2021 02:35 PM2021-12-02T14:35:14+5:302021-12-02T14:44:46+5:30
मोहम्मद शफीउल हक पर आरोप है कि मुंगेर में डीआईजी के पद पर तैनाती के दौरान वे अपने अधीनस्थ पुलिसकर्मियों से पैसे की उगाही करते थे.
पटनाः बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ नीतीश सरकार की कार्रवाई लगातार जारी है. छोटे से लेकर बडे़ पुलिसवालों पर सरकार कार्रवाई कर रही है. इसी कड़ी में पुलिस के एक डीआईजी की जांच-पड़ताल में सनसनीखेज खुलासा हुआ है. पुलिस का ये बड़ा अधिकारी एजेंटे रखकर थानों से वसूली कराता था.
बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई ने अपनी जांच में यही रिपोर्ट दी है. इसके बाद राज्य सरकार ने आरोपी डीआईजी को निलंबित कर दिया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार बुधवार की रात गृह विभाग ने निलंबन से संबंधित अधिसूचना जारी कर दी. मोहम्मद शफीउल हक पर आरोप है कि मुंगेर में डीआईजी के पद पर तैनाती के दौरान वे अपने अधीनस्थ पुलिसकर्मियों से पैसे की उगाही करते थे.
2007 बैच के आईपीएस अधिकारी मोहम्मद शफीउल हक अभी पुलिस मुख्यालय में पदस्थापन की प्रतीक्षा में थे. शफीउल हक पर पुलिस के छोटे पदाधिकारियों से वसूली कराने का गंभीर आरोप लगा है. सरकार ने उन्हें निलंबित करते हुए निलंबन के दौरान पटना आईजी के कार्यालय में हाजिरी लगाने को कहा है.
आर्थिक अपराध इकाई की टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट में उनके खिलाफ गृह विभाग को साक्ष्य समेत तमाम चीजों की जानकारी दी थी. इसी रिपोर्ट के आधार पर गृह विभाग ने आईपीएस अधिकारी शफीउल हक के अलावा उनके सहायक अवर निरीक्षक मोहम्मद उमरान एवं एक निजी व्यक्ति को लेकर तमाम बिंदुओं पर समीक्षा की थी.
इन दोनों के माध्यम से शफीउल हक मुंगेर क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कई मातहत पुलिस अधिकारियों और कर्मियों से लगातार अवैध राशि की उगाही किया करते थे. ईओयू की रिपोर्ट में कहा गया है कि अवैध वसूली करने वाले मो. उमरान के गलत काम की जानकारी होने के बावजूद डीआईजी ने कोई कार्रवाई नहीं की, इससे ये स्पष्ट होता है कि वसूली के इस खेल में डीआईजी की भी सहभागिता थी.
वसूली करने वालों के खिलाफ कार्रवाई न करना डीआईजी को भ्रष्टाचार के रूप में स्थापित करता है. सूत्रों के अनुसार ईओयू के पास ऐसे कई सबूत हैं, जिससे अवैध वसूली के खेल में डीआईजी भी शामिल है. जानकारी के अनुसार डीआईजी वसूली के लिए अपने एजेंटों से लगातार मोबाइल पर संपर्क में रहते थे.
गृह विभाग ने कहा है कि डीआईजी शफीउल हक के संदिग्ध आचरण और उन पर लगे आरोपों की गंभीरता को देखते हुए उनके खिलाफ विस्तृत जांच के लिए विभागीय कार्यवाही चलाने का भी फैसला लिया गया है. उल्लेखनीय है कि इस साल निलंबित किए जाने वाले शफीउल हक तीसरे आईपीएस पदाधिकारी हैं.
इसके पहले भी बालू माफियाओं से सांठगांठ कर अकूत संपत्ति अर्जित करने के आरोप में आइपीएस अधिकारी और औरंगाबाद के तत्कालीन एसपी सुधीर पोरिका के अलावा भोजपुर के पूर्व एसपी राकेश दुबे को निलंबित कर दिया गया है.