बिहार में पहली बार, पॉक्सो एक्ट के तहत महिला को छह माह की सजा, भाई को लड़की के साथ रेप करने में की थी मदद, जानें और मामला
By एस पी सिन्हा | Published: February 23, 2021 07:20 PM2021-02-23T19:20:56+5:302021-02-23T19:22:09+5:30
बिहार में भागलपुर के मोजाहिदपुर थाना क्षेत्र का मामला था। अदालत ने मोजाहिदपुर मोहल्ला निवासी महिला को पॉक्सो एक्ट की धारा 21 के तहत सजा सुनाई है।
पटनाः बिहार में पॉक्सो एक्ट के तहत पहली बार किसी महिला को सजा सुनाई गई है। घटना बिहार भागलपुर जिले का है, जहां स्पेशल पॉक्सो जज रोहित शंकर की अदालत ने एक छात्रा के साथ किशोर द्वारा दुष्कर्म करने के मामले में सहयोग के लिए आरोपी की बहन को छह माह की सजा सुनाई है।
उसपर भाई द्वारा नाबालिग लड़की से दुष्कर्म किये जाने में मदद करने और तथ्य को छिपाने के आरोप में दोषी पाया गया था। अभी जेल में बिताई गई अवधि को काटकर सजा भुगतने का कोर्ट ने आदेश दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार महिला को शनिवार को दोषी पाया गया था।
भागलपुर के मोजाहिदपुर थाना क्षेत्र का मामला था। इस मामले में सरकार की तरफ से बहस करने वाले विशेष पीपी शंकर जयकिशन मंडल ने बताया कि पॉक्सो के मामले में किसी लड़की को पहली बार सजा हुई है। अदालत ने मोजाहिदपुर मोहल्ला निवासी महिला को पॉक्सो एक्ट की धारा 21 के तहत सजा सुनाई है।
महिला पर आरोप लगाया गया था कि उसे भाई की हर करतूत की जानकारी थी। दरअसल, यह मामला साल 2016 का है, जब मोजाहिदपुर के रहने वाली एक छात्र के साथ मोजाहिदपुर निवासी मो. आमिर ने बलात्कार की घटना को अंजाम दिया था।
इस मामले में पुलिस आरोपी मो. आमिर को तलाश रही थी, लेकिन उसकी बहन ने अपने भाई के अपराध को जानने के बावजूद उसे अपने घर में छिपाये रखा। इस मामले में पीड़िता की तरफ से विशेष लोक अभियोजक शंकर जयकिशन मंडल ने न्यायाधीश रोहित शंकर के स्पेशल पॉक्सो कोर्ट में शनिवार को जिरह किया, जिरह के दौरान कोर्ट ने मो. आमिर की बहन को दोषी पाया।
न्यायाधीश ने पॉक्सो एक्ट की धारा 21 के तहत तथ्य छिपाने और पीड़िता की मदद करने के बजाये गंदे कामों में छोटे भाई का साथ दिया। इस घटना में किशोर ने एक छात्रा का अपहरण कर घर में रखा, कई दिनों तक उसके साथ दुष्कर्म किया, किशोर के चंगुल से 15 वर्षीया छात्रा जब भागकर घर पहुंची तो परिजनों को पूरी आपबीती सुनाई।
मामले पीड़ित के परिजनों ने मोजाहिदपुर थाना में केस दर्ज कराया था। बता दें कि पॉक्सो एक्ट 2012 (लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012) के अंतर्गत 18 वर्ष से कम उम्र के सभी बालक-बालिकाएं जिनके साथ किसी भी प्रकार का लैंगिक शोषण हुआ हो या करने का प्रयास किया गया हो, इस एक्ट के दायरे में आते हैं।
इस एक्ट में दोषी के विरुद्ध सजा के कडे़ प्रावधान किये गए हैं। इस एक्ट के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति/संस्थान/कंपनी लैंगिक अपराध के मामले रिपोर्ट करने में असफल रहते है तो उन्हें भी एक्ट की धारा 21(1), (2) के तहत 06 माह से 01 वर्ष तक की सजा हो सकती है, लैंगिक अपराध के मामलों की सुनवाई भी विशेष न्यायालय में किए जाने का प्रावधान है।