बांकाः मस्जिद में बम धमाका, उठे कई सवाल, मौलाना की मौत के बाद आईइडी विस्फोट का आशंका, पुलिस जांच में जुटी
By एस पी सिन्हा | Published: June 9, 2021 07:46 PM2021-06-09T19:46:12+5:302021-06-09T19:47:22+5:30
बिहार में बांका जिले के नगर थाना अंतर्गत नवटोलिया मुहल्ला स्थित एक मदरसा भवन में मंगलवार की सुबह अचानक विस्फोट हो गया, जिसमें इस्लामी शिक्षण संस्थान से सटी एक मस्जिद के इमाम की मौत हो गई.
पटनाः बिहार के बांका में मदरसे में विस्फोट के बाद अब इसमें चौंकाने वाली बातें सामने आ रही है. यह बात लगभग साबित हो चुकी है कि मदरसे में आईइडी विस्फोट हुआ था.
इस विस्फोट में जिस मौलाना अब्दुल मोमिन की मौत हुई है, उसके शरीर पर जो निशान मिले हैं, उससे कई सवाल उठ खडे़ हुए हैं. उसके शरीर पर मिले जख्म के निशान से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि मौलाना खुद बम बना रहा था. मारे गये मौलाना का तब्लीगी जमात से भी संबंध होने की बात सामने आ चुकी है.
इस बीच आज दूसरे दिन भागलपुर प्रक्षेत्र के डीआइजी सुजित कुमार ने घटनास्थल पर पहुंच कर मामले की जानकारी ली. उन्होंने बताया कि घटना में बम कहां से आया, विस्फोट कैसे हुआ, मृतक इमाम की भूमिका आदि को लेकर पुलिस का अनुसंधान जारी है. पुलिस की सभी बिन्दुओं पर जांच चल रही है. पुलिस को भागलपुर के एफएसएल टीम के जांच रिपोर्ट का भी इंतजार है.
पुलिस के बयान पर अज्ञात विरुद्ध प्रथमिकी दर्ज
घटना का जल्द उद्भेदन कर दिया जायेगा. उधर, गांव में बम विस्फोट के दूसरे दिन भी सन्नाटा पसरा रहा. गांव के पुरुष गायब है. महिलाएं घर से बाहर नहीं आ रही हैं. गांव में अजीब सी खामोशी छायी हुई है. मृतक इमाम की शव को पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद उनके गांव से आये परिजनों को सौंप दिया है. बम विस्फोट मामले में पुलिस के बयान पर अज्ञात विरुद्ध प्रथमिकी दर्ज की गई है.
आपसी रंजिश व वर्चस्व की लड़ाई
लेकिन पुलिसिया अनुसंधान में कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है. फिलवक्त मामला जस-तस बना हुआ है. पड़ोसी गांव के ग्रामीणों की मानें तो मजलिसपुर और नवटोलिया के ग्रामीणों के बीच वर्चस्व की लड़ाई को लेकर पहले भी बमबाजी की घटना हुई थी. आपसी रंजिश व वर्चस्व की लड़ाई में कहीं यहां यह बम रखा हुआ हो सकता है. जिसपर से पर्दा उठना अभी बाकी है.
फिलवक्त पुलिस गांव में कैंप कर रही है.वहीं, बांका सदर अस्पताल में मौलाना अब्दुल मोमीन के शव का पोस्टमार्टम करने वाले डॉ लक्ष्मण पंडित ने बताया कि डेड बॉडी पर जो जख्म के निशान थे वे स्पष्ट संकेत दे रहे हैं कि विस्फोट के कारण शरीर पर चोटें लगी थी. डॉक्टर ने बताया कि डेड बॉडी पर दर्जनों जख्म थे. शरीर पर ढेर सारे छर्रे यानि स्पिलंटर थे. सारे जख्मों के इर्द गिर्द काला निशान था.
आईइडी बनाने में उपयोग किये जाते हैं
हाथ और पैर कई जगह से टूटे थे. एक बड़ा जख्म भी था, जो संभवतः दीवार गिरने से कारण लगी चोट से बना था. मौलाना के शव का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर ने जो जानकारी दी, उससे कई निष्कर्ष निकलते हैं. जख्मों के इर्द गिर्द बना काला निशान बारूद का ही हो सकता है. शरीर में जो छर्रे लगे हैं. वे आईइडी बनाने में उपयोग किये जाते हैं.
बारूद का काला निशान शरीर पर तभी बनता है. जब उसका प्रयोग नजदीक से हो. शरीर में जिस तरह से जख्म का जिक्र पोस्टमार्टम रिपोर्ट में किया गया है, उससे भी साफ है कि ये आईइडी से बना जख्म ही था. सूत्रों के अनुसार जिस वक्त मदरसे में विस्फोट हुआ है, उस वक्त वहां चार लोग औऱ थे. उन चारों के घायल होने की खबर है. हालांकि वे फरार हैं. लेकिन उनमें से किसी की मौत नहीं हुई.
मारे गये मौलाना का संबंध तब्लीगी जमात से भी था
जबकि मौलाना को नजदीक से बारूद और छर्रे लगे हैं. ऐसे में विशेषज्ञ यही निष्कर्ष निकाल रहे हैं कि मौलाना अब्दुल मोमिन खुद आईइडी तैयार कर रहा था. उसी दौरान ये विस्फोट हुआ औऱ उसका शिकार वह खुद बन गया. मदरसे में बाहर से किसी आदमी के बम फेंकने की भी किसी तरह की बात सामने नहीं आई है. सूत्र बताते हैं कि बांका के मदरसे में मारे गये मौलाना का संबंध तब्लीगी जमात से भी था.
स्थानीय लोगों ने भी बताया है कि मौलाना अक्सर तब्लीगी जमात की बैठकों में जाया करता था. पिछले साल दिसंबर में भी वह तब्लीगी जमात की बैठक में होकर आया था. बांका के जिस मदरसे में विस्फोट हुआ वहां भी तब्लीगी जमात की बैठकें होने की बात सामने आ रही है. लेकिन अब तक उसी पुलिस या प्रशासन ने पुष्टि नहीं की है.
पुलिस से इस मामले में छानबीन कर रही है
इधर, मदरसा विस्फोट मामले की जांच के लिए फॉरेंसिक विभाग की टीम वहां पहुंच गई है. एफएसएल की टीम में शुरुआती जांच में यह पाया है कि बम विस्फोट की वजह से ही मदरसा उडा. यहां विस्फोटक मौजूद था हालांकि इसके बारे में अभी एफएसएल की टीम डिटेल में रिपोर्ट देगी. जिले के एसपी का कहना है कि पुलिस से इस मामले में छानबीन कर रही है.
डीआईजी ने कहा है कि भले ही अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई हो, लेकिन इसका प्रयास जारी है. सूत्रों की मानें तो मदरसे के अंदर ऑफिस में एक ट्रंक के अंदर विस्फोटक भरा हुआ था. बम विस्फोट यहीं पर हुआ और इसकी वजह से पूरी इमारत जमींदोज हो गई. आसपास के कई घरों में दरारें भी आई हैं. इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि विस्फोट कितना बड़ा था.
घटना के दिन मदरसा में पढ़ाई के लिए बच्चा नहीं पहुंचा हुआ था
उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी को लेकर हुए लॉकडाउन के कारण मदरसा में पढ़ाई नहीं हो रहा था. सिर्फ इमाम अब्दुल मोविन ने ही मदरसा में रहकर मस्जिद में अजान आदि का कार्य करते थे. बताया जा रहा है कि मदरसा में गांव के दर्जनों बच्चे पढ़ाई के लिए आया करता था. गनीमत यही रहा कि घटना के दिन मदरसा में पढ़ाई के लिए बच्चा नहीं पहुंचा हुआ था.
नहीं तो एक बड़ी हादसा हो सकती थी क्योंकि जहां बम विस्फोट हुआ व इमाम का रूम था और रूम के बगल में ही इमाम बच्चें को पढाया करते थे. वहीं इमाम के परिजनों ने बताया कि 2006 से ही उसने मदरसा में रहकर बच्चें को पढ़ाने का काम करता था. किसी कारण से बीच में कुछ माह के लिए वे घर चला गया. जिसके बाद गांव के ही फारूक, इदरीस व अहमद आदि ने उन्हें पुन: यहां बुलाया था.
मंगलवार को बम विस्फोट होने के बाद इमाम की अनुपस्थिति में गांव के एक युवक ने दोपहर व शाम में मस्जिद पहुंचकर अपने धार्मिक परंपरा के अनुसार अजान पढ़ा था. हालांकि दोपहर में गांव के युवक को मस्जिद घुसता देखकर मौजूद पुलिस ने उसे रोका और उसके पास मौजूद मोबाइल आदि की जांच करते हुए पूछताछ की. लेकिन एसपी के निर्देश पर उक्त युवक को अजान के लिए मस्जिद जाने की अनुमति दी गई. जिसके बाद युवक ने अजान को पूरा किया.