अतीक अहमद का सफरनामा: माफिया डॉन से यूपी की सियासत तक, जेल में बंद लेकिन फिर भी खौफ में राज्य सरकार!

By पल्लवी कुमारी | Published: May 18, 2019 08:07 PM2019-05-18T20:07:07+5:302019-05-18T20:07:07+5:30

पूर्व सांसद अतीक अहमद कई सालों से जेल में बंद है। लेकिन जेल में भी रहकर अतीक अहमद का रसूख कम नहीं हुआ है। इसका ताजा उदारहण लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान देखने को मिला जब यूपी की नैनी जेल में बंद अतीक को गुजरात की साबरमति जेल में शिफ्ट करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया।

Atique Ahmed Biography Mafia Don turned politician former MP history and criminal charge | अतीक अहमद का सफरनामा: माफिया डॉन से यूपी की सियासत तक, जेल में बंद लेकिन फिर भी खौफ में राज्य सरकार!

अतीक अहमद (फाइल फोटो)

Highlightsअतीक अहमद के खिलाफ यूपी के लखनऊ, कौशाम्बी, चित्रकूट, इलाहाबाद ही नहीं बल्कि बिहार में भी हत्या, किडनैपिंग, जबरन वसूली के कई मामले दर्ज हैं। 2004 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अतीक अहमद को फूलपुर संसदीय क्षेत्र से टिकट दिया और वह सांसद बना।

उत्तर प्रदेश की सियासत का जाना-माना नाम अतीक अहमद ने पिछले दो दशक के दौरान आधा वक्त जेल में ही गुजरा है। 50 से ज्यादा मुकदमे अपने सिर पर लिए अतीक अहमद कई सालों से जेल में बंद है। लेकिन जेल में भी रहकर अतीक अहमद का रसूख कम नहीं हुआ है। इसका ताजा उदारहण लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान देखने को मिला जब यूपी की नैनी जेल में बंद अतीक को गुजरात की साबरमति जेल में शिफ्ट करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया। आइए जानते हैं कि एक माफिया डॉन से अतीक अहमद नेता कैसे बना? 

17 साल की उम्र में अतीक अहमद पर दर्ज हुआ पहला हत्या का केस 

अतीक अहमद का जन्म 10 अगस्त 1962 को यूपी के श्रावस्ती जनपद में हुआ। बचपन से ही अतीक अहमद को पढ़ाई -लिखाई में कोई दिलचस्पी नहीं थी। अतीक ने हाई स्कूल में फेल हो जाने के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। कई छोटे-मोटे माफियाओं की तरह ही अतीक अहमद ने भी जुर्म की दुनिया से सियासत की दुनिया का रुख किया था। महज 17 साल की उम्र में अतीक अहमद पर हत्या का मामला दर्ज हुआ था। 1979 में पहला हत्या का आरोप लगने के बाद अतीक अहमद पर साल दर साल एक बाद एक कई मुकदमे दर्ज होते गए। इतना कि वो कई थानों में हिस्ट्रीशीटर है।  

 1992 में इलाहाबाद की पुलिस ने अतीक अहमद के अपराधों की लिस्ट जारी की थी। जिसमें पुलिस ने बताया था कि अतीक अहमद के खिलाफ यूपी के लखनऊ, कौशाम्बी, चित्रकूट, इलाहाबाद ही नहीं बल्कि बिहार में भी हत्या, किडनैपिंग, जबरन वसूली के कई मामले दर्ज हैं। 

इलाहाबाद जिले में ही दर्ज हैं अतीक पर सबसे ज्यादा मुकदमे 

पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक अतीक के खिलाफ सबसे ज्यादा मामले इलाहाबाद जिले में ही दर्ज हुए। 1986 से 2007 तक ही उसके खिलाफ एक दर्जन से ज्यादा मामले केवल गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज किए गए हैं। हालियां रिपोर्ट की मानें तो इलाहाबाद के खुल्दाबाद पुलिस स्टेशन के रिकॉर्ड में अतीक हिस्ट्री शीटर नंबर 39A है। पुलिस के डोजियर के मुताबिक अतीक का गैंग 'अंतरराज्य गिरोह 227' के रूप में दर्ज किया गया है, जिसमें 121 सदस्य शामिल हैं। इनमें अतीक का छोटा भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ शामिल है। इन दोनों कुख्यात भाइयों पर 150 मुकदमे दर्ज हैं। जिसमें 106 अतीक अहमद और 44 मुकदमे अशरफ के नाम पर दर्ज हैं। हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में हलफनामा दायर करते वक्त अतीक ने जानकारी दी थी कि उनके ऊपर एक भी केस नहीं है। 

इस डॉन के आतंक की कहानी सुन जेलर भी डरते हैं

57 साल के इस डॉन के आतंक की कहानी सुन जेलर भी डरते हैं। अतीक अहमद से मिलने वालों का मानना है कि कोई भी आदमी उसकी ऑंख से ऑंख मिलाकर नहीं बात कर सकता है। जब अतीक अहमद बरेली जेल में थे तो वहां के एक पुलिसकर्मी का कहना था कि उनकी आंखें डरावनी हैं। उनमें हर वक्त खून उतरा हुआ नजर आता है, और वह आपको इस तरह घूरते हैं कि आपकी आंखें नीची हो जाती हैं।"

करीब पांच फीट छह इंच लंबे अतीक अहमद का खौफ ऐसा है कि जब उन्हें देवरिया जेल से बरेली के जेल में शिफ्ट किया जा रहा था तब पुलिसकर्मियों ने कहा था कि उनकी नजरें परेशान करने वाली है। जेल अधीक्षक ने संदेश भेजकर ये गुहार लगाई थी कि इस शख्स को कहीं और भेजा जाए। यही नहीं जो लोग जेल की सुरक्षा में लगे थे, उनकी सुरक्षा के लिए भी ज्यादा पुलिस फोर्स बुलाई जाए। 

अतीक अहमद का राजनीतिक सफरनामा

जुर्म की दुनिया में अपनी पैठ जमा चुके अतीक अहमद को ये समझ आ चुका था कि सियासत और सत्ता की ताकत के बिना ये सब अधूरा है। इसके बाद अतीक ने राजनीति में रूची दिखाई और साल 1989 में पहली बार इलाहाबाद (पश्चिमी) विधानसभा सीट से अतीक विधायक बना। इसके बाद 1991 और 1993 के चुनाव अतीक निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लड़ा और फिर विधायक बना। 1996 में इसी सीट पर अतीक को समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया और वह फिर से विधायक चुने गए। 

अतीक अहमद 1999 में अपना दल में शामिल हुए और प्रतापगढ़ से चुनाव लड़े लेकिन हार गए और 2002 में इसी पार्टी से वह फिर विधायक बना। 2003 में जब यूपी में सपा सरकार बनी तो अतीक ने फिर से मुलायम सिंह का हाथ पकड़ लिया। 2004 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अतीक को फूलपुर संसदीय क्षेत्र से टिकट दिया और वह सांसद बन गया। 2007 में यूपी की सत्ता जैसे ही मायावती के हाथ में आई। अतीक अहमद की मुश्किलें बढ़ती गईं। उसके खिलाफ एक के बाद एक मुकदमे दर्ज हो रहे थे। इसी दौरान अतीक अहमद अंडरग्राउंड भी हो गया था। 

 2004 के लोकसभा चुनाव में फूलपुर से सपा की टिकट पर अतीक अहमद सांसद बना। इसके बाद इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट खाली हो गई थी। इस सीट पर उपचुनाव हुआ और सपा ने अतीक के छोटे भाई अशरफ को टिकट दिया था। लेकिन बसपा ने अतीक के भाई के खिलाफ राजू पाल को उम्मीदवार बनाया था। राजू ने अशरफ को चुनाव में हरा दिया। लेकिन उपचुनाव में जीत दर्ज कर पहली बार विधायक बने राजू पाल की कुछ महीने बाद 25 जनवरी, 2005 को दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी जाती है। इस हत्याकांड में सीधे तौर पर सांसद अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ को आरोपी बनाया गया था। इस घटना ने पूरे उत्तर प्रदेश और राज्य सरकार को हिला कर रख दिया था।  

उत्तर प्रदेश में इनामी सांसद के नाम से मशहूर हैं अतीक अहमद 

अतीक अहमद यूपी के एक ऐसे सांसद थे, जिन्हें इनामी सांसद भी कहा जाता था। बसपा विधायक राजू पाल की हत्या में नामजद आरोपी होने के बाद भी अतीक सांसद बने रहे थे। लेकिन मुलायम सिंह ने दिसम्बर 2007 में बाहुबली सांसद अतीक अहमद को पार्टी से निकाल दिया था। गिरफ्तारी के डर से अतीक फरार था। पुलिस हर जगह छापेमारी कर रही थी। पांच मामलों में उनकी सम्पत्ति कुर्क करने का आदेश दिए गए थे। अतीक अहमद की गिरफ्तारी पर पुलिस ने बीस हजार रुपये का इनाम रखा था। इनामी सांसद की गिरफ्तारी के लिए पूरे देश में अलर्ट जारी किया गया था। सांसद अतीक की गिरफ्तारी के लिए परिपत्र जारी किये गये थे। लेकिन मायावती के डर से अतीक अहमद ने दिल्ली में सरेंडर किया। 

अतीक के करीबियों को मानना है कि वो नेक दिल इंसान हैं और लोगों की बहुत मदद करते हैं

बरेली के डीएम वीके सिंह उत्तर प्रदेश की एक अखबार को बताया था, "अपराधी जब नेता बनते हैं तो सम्मानीय बनने की कोशिश करते हैं। लेकिन अतीक के साथ ऐसा नहीं है। कई साल तक विधायक और सांसद रहने के बाद भी अतीक ने अपराध नहीं छोड़ा।" फिलहाल अतीक अहमद जेल में बंद हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में उन्होंने बहुत कोशिश की कि वो पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ें लेकिन उनका ये सपना पूरा नहीं हो सका क्योंकि कोर्ट ने अतिक की पेरोल याचिका खारिज कर दी। लेकिन इससे अतीक के चाहने वालों पर कोई असर नहीं होता कि वो जेल में बंद हैं या बाहर। अतीक के करीबियों को मानना है कि वो नेक दिल इंसान हैं और लोगों की बहुत मदद करते हैं। 

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