बाहुबली नेता अमरमणि त्रिपाठी के जुर्म की कहानी, जिसने 'गर्भवती प्रेमिका' की करवाई हत्या, पत्नी को भी बनाया राजदार
By पल्लवी कुमारी | Published: April 6, 2019 07:49 AM2019-04-06T07:49:11+5:302019-04-06T09:32:02+5:30
लोकसभा चुनाव 2019 से पहले अमरमणि त्रिपाठी की बेटी तनुश्री त्रिपाठी चर्चाओं में हैं। असल में यूपी के महाराजगंज की सीट से कांग्रेस और शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी दोनों ने तनुश्री त्रिपाठी को टिकट दिया था। बाद में आलोचनाओं के बाद कांग्रेस ने उम्मीदवार बदल दिया है।
अपराधियों के नेता बनने की कहानी तो आपने बहुत सुनी होगी लेकिन आज हम आपको जिस इंसान के बारे में बताएंगे वो नेता से अपराधी बना, नाम है अमरमणि त्रिपाठी। अमरमणि उत्तर प्रदेश के दंबग और बाहुबली नेता थे। यूपी के जुर्म और राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों के लिए अमरमणि त्रिपाठी की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है, क्योंकि इसमें राजनीति से लेकर लव, सेक्स और धोखा सब है।
अमरमणि त्रिपाठी, पूर्वांचल का वो माफिया था, जिसका एक पांव सियासत की देहरी पर रहा और दूसरा जुर्म की दहलीज पर होता। उसकी अपनी कोई विचारधारा नहीं थी। जहां सत्ता थी। वहां उसका ठिकाना था। 90 के दशक में उसकी हनक ऐसी थी कि वो जहां खड़ा हो जाता रैली वहीं हो जाती।
अमरमणि त्रिपाठी की राजनीति में कैसे हुई एंट्री
राजनीति में आने से पहले भी अमरमणि त्रिपाठी छोटे-मोटे आपराधिक घटनाओं में लिप्त थे। लेकिन यूपी की सक्रिय राजनीति में विधायक और मंत्री बनने के बाद जिस घटना को इन्होंने अंजाम दिया, वो देश का सबसे चर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड बना।
अमरमणि त्रिपाठी की राजनीति की शुरुआत कांग्रेस पार्टी के विधायक हरिशंकर तिवारी के साथ हुई। अमरमणि त्रिपाठी को हरिशंकर तिवारी का राजनीति उत्तारधिकारी भी कहा जा जाता है। अमरमणि त्रिपाठी कांग्रेस, बीजेपी या सपा हो या फिर बसपा हर पार्टी के सदस्य रहे। सपा, बसपा और भाजपा में जो भी लखनऊ के मुख्यमंत्री दफ्तर पर आया अमरमणि उसके खास हो जाते।
अमरमणि त्रिपाठी महाराजगंज के नौतनवा से विधायक थे और लगातार चार बार वो विधायक रहे। दो बार यूपी के पूर्व मंत्री भी रह चुके हैं। एक बीजेपी की सरकार में तो दूसरी बार मायावती की सरकार में। अमरमणि त्रिपाठी 2007 में जेल में रहकर चुनाव लड़े और जीत गए थे।
कवियत्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड और अमरमणि त्रिपाठी का कनेक्शन
दबंगई और बाहुबली की छवी दिखाकर तो अमरमणि ने यूपी की राजनीति में अपना खूब दबदबा दिखाया। लेकिन वो कहते हैं ना कि अपराध की दुनिया में आप कानून से ज्यादा भाग नहीं सकते। ठीक ऐसा ही अमरमणि त्रिपाठी के साथ भी हुआ और उसका नाम यूपी की जानी-मानी कवियत्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में सामने आया।
मधुमिता शुक्ला लखीमपुर खीरी की कवियत्री थी। जो 16-17 साल की उम्र में मंच पर सक्रिय हुईं थी। वीर रस की कविता पढ़ने के खास अंदाज के जानी जाने वाली मधुमिता की नेताओं से अच्छी खासी जान पहचान थी। मंच से मिली शोहरत और सत्ता से नजदीकी ने मधुमिता को पावरफुल होने का एहसास कराना शुरू कर दिया था। लेकिन एक दिन अचानक 09 मई 2003 को लखनऊ के पेपरमिल कॉलनी के एक फ्लैट में मधुमिता का कत्ल हो जाता है। मधुमिता का जब कत्ल हुआ तो उनकी उम्र उस वक्त महज़ 24 साल थी। मधुमिता की गोली मारकर हत्या की जाती है।
मौत के वक्त सात महीने की गर्भवती थी मधुमिता
मधुमिता की हत्या के वक्त अमरमणि त्रिपाठी मायावती की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। मधुमिता केस की जांच यूं तो शुरुआत में लखनऊ पुलिस करती है लेकिन बाद में इसकी सीबीआई को सौंपी जाती है। मधुमिता के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चलता है कि मौत के वक्त वो सात महीने की प्रेग्नेंट थी। उसके अंदर 7 महीने का बच्चा पल रहा था। ये घटना पूरे देश आग की तरह फैलती है।
डीएनए रिपोर्ट में आया अमरमणि त्रिपाठी का नाम
लेकिन उसके बाद जब मधुमिता का डीएनए रिपोर्ट आता है... तो यूपी की राजनीति में भूचाल आ जाता है। डीएनए जांच में पता चला कि मधुमिता के पेट में पल रहा बच्चा उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता अमरमणि त्रिपाठी का है। इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात तो ये होती है जब जांच में पता चलता है कि मधुमिता को मरवाने में त्रिपाठी की पत्नी मधुमणि त्रिपाठी का भी हाथ होता है। इस घटना के बाद तत्कालिन मुख्यमंत्री मायावती ने अमरमणि त्रिपाठी को मंत्रिमंडल से हटा दिया।
केस की जांच में पता चलता है कि जिन दो लोगों ने मुधमिता के घर में घुसकर गोली मारी थी, वो अमरमणि त्रिपाठी के आदमी थी। अमरमणि त्रिपाठी ने इस घटना को काफी दबाने की भी कोशिश की थी। पुलिस से लेकर खबर को कवर रहे पत्रकारों को जान से मारने की धमकी भी दी गई थी।
मधुमिता के फ्लैट से बरामद हुआ खत
कुछ एजेंसियों के अनुसार 9 मई 2003 को मधुमिता लखनऊ में अपने जिस फ्लैट पर मारी गईं थी, वहां घटनास्थल से उनका लिखा हुआ लेकिन बिना किसी तारीख का एक पत्र मिला था जिससे उनकी मौत के बारे में सुराग मिलने में आसानी हुई।
उस पत्र में लिखा था, "चार महीने से मैं माँ बनने का सपना देखती रही हूँ। तुम इस बच्चे को स्वीकार करने से इनकार कर सकते हो लेकिन एक माँ के रूप में मैं ऐसा नहीं कर सकती। क्या मैं महीनों तक इस बच्चे को अपनी कोख में रखने के बाद इसकी हत्या कर दूँ? क्या तुम्हें मेरे दर्द का अंदाजा नहीं है, तुमने मुझे सिर्फ एक उपभोग की वस्तु समझा है।" मधुमिता शुक्ला के इस पत्र में जिस व्यक्ति को संबोधित किया गया है वह अमरमणि त्रिपाठी था। इन दोनों के बीच काफी दिनों से अफेयर चला रहा था। केस की निष्पक्ष जांच के लिए केस को यूपी कोर्ट से ट्रांसफर कर उत्तराखंड के कोर्ट में भेज दिया जाता है।
अमरमणि त्रिपाठी, पत्नी मधुमणि सहित चार आरोपियों को उम्रकैद की सजा
उत्तराखंड के हरिद्वार कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए अमरमणि त्रिपाठी, पत्नी मधुमणि सहित चार आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। दोनों वर्तमान में गोरखपुर की जेल में सजा काट रहे हैं। केस की पैरवी कर रहीं मधुमिता शुक्ला की छोटी बहन निधि शुक्ला। निधि लगातार इस कोशिश में हैं कि दोनों को उत्तराखंड के हरिद्वार जेल भेज दिया जाए, लेकिन अमरमणि की राजनीतिक पकड़ और कानूनी दांवपेंच के कारण अभी तक ये संभव नहीं हो सका है।
अमरमणि के बेटे अमनमणि पर भी पत्नी की हत्या का आरोप
अमरमणि के बेटे अमनमणि पर भी उसकी पत्नी के हत्या का आरोप। 2015 जुलाई में आगरा के पास एक रोड एक्सीडेंट में अमनमणि त्रिपाठी की पत्नी सारा सिंह की मौत हो जाती है। मगर उसी गाड़ी में बैठे सारा के पति अमनमणि त्रिपाठी चमत्कार से बच जाते हैं। सारा के पिता की मांग पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अमनमणि के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिये। अमनमणि सपा के ही टिकट से 2012 में नौतनवा से चुनाव लड़े थे और सिर्फ 4 प्रतिशत के मामूली अंतर से हार गए थे।
त्रिपाठी परिवार पर लगे इन दो हत्याओं के आरोप के बाद यूपी की राजनीति से इनका दबदबा खत्म हो गया है। लेकिन लोकसभा चुनाव 2019 से पहले अमरमणि त्रिपाठी की बेटी तनुश्री त्रिपाठी चर्चाओं में जरूर हैं। असल में यूपी के महाराजगंज की सीट से कांग्रेस और शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी दोनों ने तनुश्री त्रिपाठी को टिकट दिया था। बाद में आलोचनाओं के बाद कांग्रेस ने उम्मीदवार बदल दिया है। लेकिन खबरों के मुताबिक तनुश्री त्रिपाठी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार अब भी हैं।