गैंगरेप मामले में महिला को 20 वर्ष की कड़ी कैद, 2013 से पहले नहीं होती महिलाओं को सजा
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 11, 2019 04:01 PM2019-01-11T16:01:30+5:302019-01-11T16:01:30+5:30
स्कूल में छुट्टी होने से रिश्तेदार के यहां आई 12 वर्षीय नाबालिग के साथ गैंगरेप किए जाने के मामले में महिला सहित चार लोगों को विशेष न्यायाधीश एस. के. कर्हाले ने 20 वर्ष की कड़ी कैद की सजा सुनाई. किसी गैंगरेप मामले में किसी महिला को सजा होने का राज्य का यह पहला मामला है.
यह सजा पाने वाले दोषियों में पुणे के सर्वोदय कॉलनी, आनंदनगर, मुंढवा निवासी मनोज सुरेश जाधव (21), वर्षा धनराज गायकवाड़ (31), अजय दीपक जाधव (22) और रक्षकनगर, खराड़ी निवासी प्रशांत गुरुनाथ गायकवाड़ (28) का समावेश है. इस संदर्भ में 12 वर्षीय पीडि़त नाबालिग की मां ने चंदननगर पुलिस स्टेशन में फरियाद दर्ज कराई थी.
यह घटना 13 अपै्रल से 25 मई 2016 के दरम्यान रक्षकनगर, केशवनगर, मुंढवा की पिंगले बस्ती में हुई थी. वर्षा पीडि़ता की रिश्तेदार है. मामले में अतिरिक्त सरकारी वकील राजेश कावेडि़या ने काम देखा. सहायक पुलिस निरीक्षक पल्लवी मेहर ने मामले की जांच की.
इस मामले में नाबालिग पीडि़ता का बयान और मेडिकल रिपोर्ट महत्वपूर्ण साबित हुई. अदालत हर दोषी को पांच-पांच हजार रुपए जुर्माना और 20 वर्ष की कड़ी कैद की सजा सुनाई. न्यायव्यवस्था पर भरोसा और बढ़ा पीडि़ता की मां ने कहा कि अदालत के फैसले से मेरी पुत्री को न्याय मिला है.
इससे न्यायव्यवस्था पर मेरा भरोसा और बढ़ गया है. अनैतिक संबंधों को लेकर किसी के भी साथ इस तरह का कृत्य नहीं होना चाहिए. दया नहीं दिखाई जा सकती फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि पीडि़ता वर्षा पर विश्वास करके छुट्टी बिताने के लिए उसके घर आई थी.
लेकिन उसने उसके साथ गैंगरेप करने में आरोपियों की मदद की. इसलिए आरोपियों पर दया नहीं दिखाई जा सकती.
कानून में किया गया है संशोधन
इसके पूर्व गैंगरेप मामलों में किसी महिला को सजा नहीं दी जाती थी. सन् 2013 में कानून में संशोधन किया गया. इसलिए अब महिलाओं को भी दोषी ठहराया जा सकता है.