विराट कोहली ने खोला राज, क्यों टीम इंडिया ने 2011 वर्ल्ड कप जीत के बाद सचिन तेंदुलकर को कंधे पर बिठाकर लगाया था मैदान का चक्कर

Virat Kohli, Sachin Tendulkar: विराट कोहली ने खुलासा किया है कि 2011 वर्ल्ड कप में खिताबी जीत के बाद क्यों टीम इंडिया ने सचिन तेंदुलकर को कंधे पर बिठाकर मैदान का चक्कर लगाया था

By अभिषेक पाण्डेय | Published: July 29, 2020 03:12 PM2020-07-29T15:12:32+5:302020-07-29T15:13:33+5:30

Virat Kohli reveals why team india gave Sachin Tendulkar a lap of honour after winning 2011 World Cup | विराट कोहली ने खोला राज, क्यों टीम इंडिया ने 2011 वर्ल्ड कप जीत के बाद सचिन तेंदुलकर को कंधे पर बिठाकर लगाया था मैदान का चक्कर

2011 वर्ल्ड में भारत की खिताबी जीत के बाद टीम इंडिया ने सचिन को कंधे पर बिठाकर लगाया था मैदान का चक्कर (Twitter)

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Highlightsसचिन ने हमें और भारत के दूसरे बच्चों प्रेरित और प्रोत्साहित किया है: विराट कोहलीये उनका वह लम्हा था जब हर कड़ी मेहनत सफल हो गई थी: कोहली

विराट कोहली ने खुलासा किया है कि भारतीय टीम ने 2011 वर्ल्ड कप जीतने के बाद क्यों सचिन तेंदुलकर को वानखेड़े स्टेडियम में कंधे पर बिठाकर विक्ट्री लैप का सम्मान दिया था।

भारत की वर्ल्ड कप जीत का हिस्सा रहे कोहली ने बताया कि कैसे जीत के बाद टीम को अहसास हुआ कि भारतीय क्रिकेट के प्रति अथक प्रयास और कई योगदानों के लिए सचिन तेंदुलकर के प्रति सम्मान जताने की जरूरत है।

कोहली ने कहा, 2011 की वर्ल्ड कप जीत टीम इंडिया का सचिन को गिफ्ट था

एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक, कोहली ने बीसीसीआई द्वारा अपलोड वीडियो में मयंक अग्रवाल से 'ओपन नेट्स विद मयंक' में कहा, “मेरी भावना सबसे पहले आभार की थी कि हमने विश्व कप जीता था। मुझे पूर्ण आनंद की अनुभूति हुई, लेकिन सभी की भावनाएं पाजी (सचिन तेंदुलकर) के आसपास केंद्रित थी क्योंकि हम जानते थे कि विश्व कप जीतने का यह उनका आखिरी मौका था। उन्होंने इतने वर्षों तक देश के लिए जो कुछ भी किया था, भारत की जीत में इतना योगदान दिया है।”

कोहली ने कहा, 'उन्होंने हमें और भारत के दूसरे बच्चों प्रेरित और प्रोत्साहित किया है। ये उन सभी लोगों से उनको तोहफा था, क्योंकि इससे पहले इतने सालों तो उन्होंने भारत को केवल दिया, दिया और दिया था।' 

कोहली ने कहा, 'ये उनका वह लम्हा था जब हर कड़ी मेहनत सफल हो गई थी। हम सभी ने ये महसूस किया। मैंने सोचा कि इससे बेहतर क्या हो सकता है कि उनके सपने के पूरा होने के अहसास के लिए उनके घरेलू मैदान में उन्हें विक्ट्री लैप सम्मान दिया जाए। इसलिए, हमने सोचा कि ये उनके लिए आदर्श चीज है, और हम आगे बढ़े और इसे किया।'

तेंदुलकर इससे पहले कुछ अवसरों पर विश्व कप जीतने के करीब पहुंचे थे, जब भारत 1996 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में श्रीलंका से और सात साल बाद 2003 में ऑस्ट्रेलिया से फाइनल में हार गया था। लेकिन धोनी की कप्तानी में भारत ने 2 अप्रैल 2011 को श्रीलंका को फाइनल में हराते हुए सचिन की वर्ल्ड कप जीत का सपना सच कर दिया था।

37 साल की उम्र में, यह तेंदुलकर का आखिरी विश्व कप होने वाला था और इस महान बल्लेबाज ने दमदार प्रदर्शन करते हुए 9 मैचों में 53.55 के औसत से 482 रन बनाए, जिसमें दो शतक और दो अर्धशतक शामिल थे। उसके साथ, तेंदुलकर ने वर्ल्ड कप में अपने रनों की संख्या 2278 तक पहुंचा दी जो किसी भी बल्लेबाज के सर्वाधिक रन का रिकॉर्ड है

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