विराट कोहली का खुलासा, इस शख्स की वजह से भारतीय बल्लेबाजों में आया सुधार

विराट कोहली ने कहा कि अपनी जरूरतों के अनुसार उन्हें बल्लेबाजी के प्रति अपने रवैया में बदलाव लाना पड़ा जिसमें गेंद को हवा में मारने की जगह जमीनी शॉट खेलना शामिल है...

By भाषा | Published: May 19, 2020 01:33 PM2020-05-19T13:33:08+5:302020-05-19T13:33:08+5:30

Virat Kohli: India improved against fast bowling due to throwdown specialist Raghu | विराट कोहली का खुलासा, इस शख्स की वजह से भारतीय बल्लेबाजों में आया सुधार

विराट कोहली का खुलासा, इस शख्स की वजह से भारतीय बल्लेबाजों में आया सुधार

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भारतीय कप्तान विराट कोहली का मानना है कि थ्रोडाउन विशेषज्ञ डी राघवेंद्र की साइडआर्म से थ्रो करते हुए 150-155 किमी प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार हासिल करने से भारतीय बल्लेबाजों को हाल के वर्षों में तेज गेंदबाजी के खिलाफ सुधार करने में काफी मदद मिली।

साइडआर्म एक क्रिकेट उपकरण है जो लंबे चम्मच की तरह होता है और इसके एक हिस्से को इस तरह डिजाइन किया जाता है कि इससे गेंद को पकड़ा जाए और तेज गति से फेंका जाए।

कोहली ने बांग्लादेश के स्टार बल्लेबाज तमीम इकबाल से इंस्टाग्राम लाइव सत्र के दौरान कहा, ‘‘मेरा मानना है कि इस भारतीय टीम ने 2013 से तेज गेंदबाजी का सामना करते हुए जो सुधार दिखाया है वह रघु (राघवेंद्र) के कारण है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘खिलाड़ियों के फुटवर्क, बल्ले की मूवमेंट को लेकर उसे अच्छी समझ है। उसने अपने कौशल में इतना इजाफा किया है कि साइडआर्म के साथ आसानी से 155 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से गेंद फेंक सकता है। नेट पर रघु का सामना करने के बाद जब आप मैच में जाते हो तो आपको महसूस होता है कि गेंद खेलने के लिए आपके पास काफी समय है।’’

यह हैरानी भरा नहीं है कि राघवेंद्र वर्षों से भारतीय क्रिकेट टीम के सहयोगी स्टाफ के अहम सदस्य हैं। कोहली ने कहा कि वह कभी भी अपने ऊपर संदेह नहीं करते और बेहद दबाव भरे अंतरराष्ट्रीय मैचों में बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए भी ऐसा ही होता है। भारतीय कप्तान ने कहा, ‘‘ईमानदारी से कहूं तो मैच के दौरान मैं कभी अपने ऊपर संदेह नहीं करता। प्रत्येक व्यक्ति की कमजोरियां होती हैं। नकारात्मक पक्ष होते हैं। इसलिए दौरों पर अभ्यास के दौरान अगर आपका सत्र अच्छा नहीं रहा तो आपको लगता है कि आप लय में नहीं हो।’’

लक्ष्य का पीछा करने में माहिर कोहली ने कहा कि बचपन में भारतीय टीम के मैचों को देखकर वे सोचते थे कि वह टीम की जीत में मदद कर सकते थे। उन्होंने कहा, ‘‘ईमानदारी से कहूं तो जब मैं बच्चा था और भारतीय टीम के मैच देखता था तो उनके हारने के बाद सोते सामय सोचता था कि मैं मैच जीत दिला सकता था। अगर मैं 380 रन के लक्ष्य का पीछा कर रहा हूं तो मैं कभी महसूस नहीं करता कि इसे हासिल नहीं किया जा सकता।’’

कोहली ने कहा, ‘‘2011 में होर्बाट में क्वालीफाई करने के लिए हमें 40 ओवर में 340 रन बनाने थे। ब्रेक के समय मैंने सुरेश रैना से कहा कि इस मैच को हम दो बीस ओवर के मैच की तरह लेंगे। 40 ओवर लंबा समय है। पहले 20 ओवर खेलते हैं और देखते हैं कि कितने रन बनते हैं और फिर दूसरा टी20 मैच खेलते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं बदलाव किया क्योंकि मैं मैदानी शॉट खेलना चाहता था। स्थिर स्थिति के कारण मेरे पास सीमित विकल्प थे। मेरी सामान्य सी सोच है कि अगर आपके कूल्हे सही स्थिति में हैं तो आप कोई भी शॉट खेल सकते हो। स्थिर स्थिति मेरे अनुकूल नहीं थी।’’

कोहली ने कहा, ‘‘लेकिन यह काफी खिलाड़ियों के लिए काम करती है। जैस कि सचिन तेंदुलकर का स्टांस पूरे जीवन स्थिर रहा और उन्हें कभी कोई समस्या नहीं हुई। उसकी तकनीकी कहीं बेहतर थी और हाथ तथा आंख के बीच शानदार समन्वय था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे अपनी जरूरत के हिसाब से बदलाव करने पड़े। मैं अपनी बल्लेबाजी में छोटी-छोटी चीजों को आजमाया क्योंकि जब तक आप परखोगे नहीं तब तक आपको पता नहीं चलेगा।’’

कोहली ने कहा कि खिलाड़ी जब तक नई चीजों को मैच के दौरान नहीं परखता तब तक वह कभी परफेक्ट नहीं बन सकता। भारतीय कप्तान ने कहा कि जहां तक तैयारी का सवाल है तो वह अपने खान-पान और फिटनेस को लेकर तय मानकों पर ही चलते हैं।

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