भारत-वेस्टइंडीज सीरीज में पैर की नो बॉल पकड़ने के लिए उठाया जाएगा यह कदम, आईसीसी से मिली मंजूरी

इस प्रणाली का ट्रायल सबसे पहले 2016 में इंग्लैंड और पाकिस्तान के बीच वनडे श्रृंखला के दौरान किया गया था।

By भाषा | Published: December 5, 2019 04:53 PM2019-12-05T16:53:23+5:302019-12-05T16:53:23+5:30

Third umpire, not on-field officials, to call front foot no balls in India-West Indies series, says ICC | भारत-वेस्टइंडीज सीरीज में पैर की नो बॉल पकड़ने के लिए उठाया जाएगा यह कदम, आईसीसी से मिली मंजूरी

भारत-वेस्टइंडीज सीरीज में पैर की नो बॉल पकड़ने के लिए उठाया जाएगा यह कदम, आईसीसी से मिली मंजूरी

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Highlights‘फ्रंट फुट नो बॉल’ पर फैसला मैदानी अंपायर नहीं, बल्कि तीसरा अंपायर करेगा। श्रृंखला शुक्रवार से हैदराबाद में टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच से शुरू होगी।

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने गुरुवार को घोषणा की कि भारत और वेस्टइंडीज के बीच आगामी टी20 और वनडे अंतरराष्ट्रीय श्रृंखला में ‘फ्रंट फुट नो बॉल’ पर फैसला मैदानी अंपायर नहीं, बल्कि तीसरा अंपायर करेगा। श्रृंखला शुक्रवार से हैदराबाद में टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच से शुरू होगी जिसमें तीन टी20 के अलावा इतने ही वनडे खेले जाएंगे। इस सीरीज के दौरान ही ‘फ्रंट फुट नो बॉल’ पर फैसला करने की तकनीक को ट्रायल पर रखा जाएगा।

आईसीसी ने बयान में कहा, ‘‘पूरे ट्रायल के दौरान प्रत्येक फेंकी गई गेंद की निगरानी की जिम्मेदारी तीसरे अंपायर पर होगी और उन्हें ही पता करना होगा कि कहीं गेंदबाज का पांव रेखा से आगे तो नहीं पड़ा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर गेंदबाज का पांव रेखा से आगे होता है तो तीसरा अंपायर इसकी सूचना मैदानी अंपायर को देगा जो बाद में नो बॉल का इशारा करेगा। नतीजतन मैदानी अंपायर तीसरे अंपायर की सलाह के बिना ‘फ्रंट फुट नो बॉल’ पर फैसला नहीं करेगा।’’

आईसीसी ने कहा कि करीबी फैसलों में संदेह का लाभ गेंदबाज को मिलेगा। आईसीसी ने कहा, ‘‘और अगर नो बॉल पर फैसला बाद में बताया जाता है तो मैदानी अंपायर आउट (अगर लागू होता है) के फैसले को रोक देगा और नो बॉल करार दे देगा। मैच के दौरान के अन्य फैसलों के लिए सामान्य की तरह मैदानी अंपायर जिम्मेदार होगा।’’

इसके अनुसार, ‘‘ट्रायल के नतीजे का इस्तेमाल यह निर्धारित करने के लिए होगा कि इस प्रणाली का नो बॉल संबंधित फैसलों की सटीकता पर लाभदायक असर होता है या नहीं और क्या इसे खेल के प्रवाह में कम से कम बाधा पहुंचाये बिना लागू किया जा सकता है या नहीं।’’

तीसरे अंपायर को फ्रंट फुट नो बॉल की जिम्मेदारी देने का फैसला इस साल अगस्त में लिया गया था। इस प्रणाली का ट्रायल सबसे पहले 2016 में इंग्लैंड और पाकिस्तान के बीच वनडे श्रृंखला के दौरान किया गया था। आईसीसी ने अपनी क्रिकेट समिति के ज्यादा से ज्यादा सीमित ओवर के मैचों में इसके इस्तेमाल की सिफारिश के बाद फिर से इसके परीक्षण का फैसला किया।

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