भारत का वो क्रिकेटर, जिसने खुद के पैसों से बुला दी थी ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम

साल 1935-36 में पहली बार ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम ने भारत का दौरा किया। ऑस्ट्रेलिया ने भी अपनी ए नहीं बल्कि टीम-बी यहां भेज दी। इस दौरान खेले गए 4 टेस्ट मैचों में भारत ने 2 जीते और सीरीज ड्रॉ हो गई।

By राजेन्द्र सिंह गुसाईं | Published: February 12, 2019 03:28 PM2019-02-12T15:28:42+5:302019-02-12T18:01:18+5:30

The first Australian team toured India in 1935-36 because Maharaja of Patiala undertook financial responsibility for the tour, providing £10,000 for the venture | भारत का वो क्रिकेटर, जिसने खुद के पैसों से बुला दी थी ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम

भारत का वो क्रिकेटर, जिसने खुद के पैसों से बुला दी थी ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम

googleNewsNext

आज विश्व की सभी बड़ी क्रिकेट टीमें भारत आकर खेलना चाहती हैं। यहां तक कि उनके खिलाड़ी आईपीएल जैसे ईवेंट्स के जरिए अपनी स्किल्स निखारने के साथ-साथ कमाई के लिए यहां आते हैं, लेकिन एक वक्त ऐसा भी था, जब ऑस्ट्रेलिया की टीम ने भारत आकर खेलने से मना कर दिया था। इसकी वजह थी उनका दक्षिण अफ्रीका दौरा। हालांकि पटियाला के महाराज भूपिंदर सिंह ने इस टीम को इतना बड़ा ऑफर दे दिया कि ऑस्ट्रेलिया को भारत आना ही पड़ा।

दरअसल ये वे दौर था, जब इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया विश्व की सबसे बड़ी दो टीमें थीं। ऑस्ट्रेलिया को उस वक्त भारत बुलाने के पीछे पटियाला के महाराजा का असल मकसद ये था कि भारत उनसे क्रिकेट सीखेगा और फिर इंग्लैंड को शिकस्त देगा। 

महाराजा भूपिंदर सिंह।
महाराजा भूपिंदर सिंह।

भारी रकम देने की कर दी पेशकश: महाराजा भूपिंदर सिंह ने उस वक्त ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट बोर्ड को 10 हजार पाउंड की रकम दी। ऑस्ट्रेलियाई बोर्ड ने महाराजा की सारी शर्तें तो मान लीं, लेकिन अपनी भी एक शर्त रख दी। वो शर्त ये थी कि ऑस्ट्रेलिया की टीम टेस्ट बेशक खेलेगी, लेकिन वो आधिकारिक नहीं होंगे। महाराजा को इसमें कुछ नुकसान नजर नहीं आया। आखिर उनका असल मकसद भारतीय खिलाड़ियों की स्किल्स को निखारना था।

सीरीज रही थी ड्रॉ: महाराजा की वजह से 1935-36 में पहली बार ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम ने भारत का दौरा किया। ऑस्ट्रेलिया ने भी अपनी ए नहीं बल्कि टीम-बी यहां भेज दी। इस दौरान खेले गए 4 टेस्ट मैचों में भारत ने 2 जीते और सीरीज ड्रॉ हो गई। इनमें से एक मैच खुद महाराज के निजी क्रिकेट मैदान पर खेला गया, जिसे उनके पिता ने हिमाचल के चैल में बनवाया था। भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन देख उस वक्त के ऑस्ट्रेलियाई कप्तान जैक राइडर ने खुद माना कि भविष्य में टीम इंडिया दुनिया की बेहतरीन क्रिकेट टीम होगी।

नहीं खेल सके अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच: भूपिंदर सिंह 1900 से लेकर अपनी मृत्यु (1938) तक पटियाला के महाराजा रहे। भारत को जब सन 1932 में टेस्ट का दर्जा मिला, तो इंग्लैंड जाने वाली टीम का कप्तान महाराजा भूपिंदर सिंह को बनाया गया, लेकिन खराब तबीयत की वजह से वह अपने करियर का पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने से चूक गए।

शान-ओ-शौकत कर देती थी हैरान: बात करें अगर पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह की शान-ओ-शौकत की, तो बता दें कि 6 फुट लंबे और लगभग 178 किलो के इन महाराजा के पास 30 रॉल्स रॉयस कारें थीं, जो उस वक्त की सबसे महंगी कारें मानी जाती थीं। उनके पास एक ऐसा हीरों का हार था, जिसमें 2930 डायमंड पीस जड़े हुए थे। खिलाड़ियों को अपने खर्चे पर इंग्लैंड ले जाने वाले ये महाराज जब कभी यूरोप जाते, तो वहां के होटल का पूरा फ्लोर बुक करा लेते थे।

महज 42 साल की उम्र में हो गया निधन: दाएं हाथ के बल्लेबाज महाराजा भूपिंदर सिंह ने 27 प्रथम श्रेणी मैचों में 3 बार नाबाद रहते हुए 643 रन बनाए, जबकि गेंदबाजी में उन्होंने 2 विकेट भी चटकाए थे। भूपिंदर सिंह जिन टीमों के लिए खेले उनमें हिंदूज, महाराज ऑफ पटियाला इलेवन, मेरीलेबॉन क्रिकेट क्लब, नॉर्दन इंडिया, सिक्ख और साउदर्न पंजाब प्रमुख रहीं। भारतीय क्रिकेट टीम को निखारने में अहम योगदान देने वाले भूपिंदर सिंह की मृत्यु 23 मार्च 1938 को महज 42 साल की उम्र में हो गई थी।

Open in app