कार्डियक अरेस्ट के बाद सौरव गांगुली की हालत स्थिर, कुछ देर में होगी एंजियोप्लास्टी

बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली को हल्का दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उनकी हालत स्थिर बनी हुई है...

By राजेन्द्र सिंह गुसाईं | Published: January 2, 2021 03:50 PM2021-01-02T15:50:52+5:302021-01-02T16:18:51+5:30

Sourav Ganguly hospitalised after 'mild cardiac attack', to undergo angioplasty | कार्डियक अरेस्ट के बाद सौरव गांगुली की हालत स्थिर, कुछ देर में होगी एंजियोप्लास्टी

सौरव गांगुली को ‘हल्के’ दिल के दौरे के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

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Highlightsसौरव गांगुली को पड़ा दिल का दौरा।कोलकाता के वुडलैंड हॉस्पिटल में करवाया गया एडमिट।शाम में हो सकती है गांगुली की एंजियोप्लास्टी।

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली को 2 दिसंबर को दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उन्हें कोलकाता के वुडलैंड हॉस्पिटल में एडमिट किया गया है। 

वर्कआउट के दौरान सीने में दर्द

शुक्रवार शाम वर्कआउट सत्र के बाद उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत दी और आज दोपहर दोबारा ऐसी समस्या के बाद परिवार के सदस्य उन्हें अस्पताल ले गए, जिसके बाद गांगुली को अस्पताल की क्रिटिकल केयर यूनिट (सीसीयू) में भर्ती कराया गया। गांगुली के उपचार के लिए पांच डॉक्टरों की टीम का गठन किया गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फिलहाल सौरव गांगुली की हालत स्थिर है और शाम में उनकी एंजियोप्लास्टी की जाएगी।

क्या होती है एंजियोप्लास्टी

एंजियोप्लास्टी ब्लॉक धमनियों को खोलने में मदद करती है। हार्ट अटैक के बाद धमनियों को जल्दी से खोलने के लिए एंजियोप्लास्टी उपयोगी है। यह दिल को पहुंचे नुकसान को कम करने में मदद कर कोरोनरी धमनियों से प्लाक को साफ करती है। एंजियोप्लास्टी द्वारा बड़ी सर्जरी के बगैर ही धमनी को सामान्य आकार में वापस लाया जा सकता है।

सौरव गांगुली बीसीसीआई के 39वें अध्यक्ष

गांगुली को अक्टूबर 2019 में मुंबई में बीसीसीआई की आम सभा की बैठक के दौरान अध्यक्ष चुना गया जिसके साथ उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) के 33 महीने के विवादास्पद कार्यकाल का अंत हुआ।

सौरव गांगुली बीसीसीआई के 39वें अध्यक्ष हैं। उन्होंने सीके खन्ना की जगह ली जो 2017 से बोर्ड के अंतरिम प्रमुख थे। गांगुली का कार्यकाल शुरुआत में नौ महीने का था लेकिन वह और बोर्ड के सचिव जय शाह अपने पद पर बरकरार हैं क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने अब तक बीसीसीआई की याचिका पर फैसला नहीं किया है, जिसमें नए संविधान में संशोधन की मांग की गई है।

नया संविधान लोढ़ा समिति की सिफारिशों के अनुसार पदाधिकारियों की आयु और कार्यकाल को सीमित करता है। यह पूर्व क्रिकेटर इससे पहले बंगाल क्रिकेट संघ में कई पदों पर रहा। वह 2014 में संघ के सचिव बने थे।

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