शोएब अख्तर ने दिया मानहानि के नोटिस का जवाब, पीसीबी के कानूनी सलाहकार से माफी मांगने को कहा

Shoaib Akhtar: उमर अकमल मामले में पीसीबी की कड़ी आलोचना के बाद खुद को भेजे कानूनी नोटिस का जवाब देते हुए शोएब अख्तर ने बोर्ड के कानूनी सलाहकार से माफी मांगने को कहा

By भाषा | Published: May 13, 2020 11:58 AM2020-05-13T11:58:35+5:302020-05-13T11:58:35+5:30

Shoaib Akhtar responds to PCB's Rizvi's defamation notice; call it legally defective | शोएब अख्तर ने दिया मानहानि के नोटिस का जवाब, पीसीबी के कानूनी सलाहकार से माफी मांगने को कहा

शोएब अख्तर ने पीसीबी के कानूनी सलाहकार से माफी मांगने को कहा

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Highlightsमैंने अपने चैनल पर जो भी कुछ कहा वह पाकिस्तान क्रिकेट की भलाई के लिये कहा: अख्तरपीसीबी और रिजवी को लेकर मेरी टिप्पणी पीसीबी की कमियों और उसमें सुधार की उम्मीद को लेकर सार्वजनिक हित में दी गयी राय थी: अख्तर

कराची: पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर ने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के कानूनी सलाहकार तफज्जुल रिजवी द्वारा भेजे गए मानहानि नोटिस का जवाब देते हुए इसे ‘कानूनी रूप से दोषपूर्ण और गलत’ करार दिया। इस तूफानी गेंदबाज ने रिजवी से ‘सार्वजनिक तौर पर अपमानित करने, बदनाम करने और उनका उपहास उड़ाने के लिये माफी मांगने को भी कहा।

अख्तर ने कहा, ‘‘मैंने अपने चैनल पर जो भी कुछ कहा वह पाकिस्तान क्रिकेट की भलाई के लिये कहा और बताया कि बोर्ड को किन चीजों में सुधार करने की जरूरत है। रिजवी के बारे में मैंने उनके साथ निजी बातचीत के आधार पर अपनी राय रखी थी। ’’

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘पीसीबी और रिजवी को लेकर मेरी टिप्पणी पीसीबी की कमियों और उसमें सुधार की उम्मीद को लेकर सार्वजनिक हित में दी गयी राय थी।’’

अख्तर ने अपने यूट्यूब चैनल पर रिजवी को ‘अयोग्य’ कहा था। इसके बाद पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड में लंबे समय से कानूनी सलाहकार का काम संभाल रहे रिजवी ने अख्तर को मानहानि का नोटिस भेजा था।

अख्तर ने उमर अकमल पर तीन साल का प्रतिबंध लगाने की भी आलोचना की थी। रिजवी ने अख्तर से बिना शर्त माफी मांगने और चैरिटी के लिये एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मांग की थी। 

अख्तर ने उमर अकमल को मैच फिक्सिंग ऑफर छिपाने के मामले में पीसीबी द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद बोर्ड और उनके कानूनी सलाहकार को अक्षम करार देते हुए कहा था कि वह फिक्सिंग को अपराध घोषित करने वाला कानून बनाने में नाकाम रहा है।

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