Highlightsमहान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के हमशक्ल बलवीर चंद को कोरोना की वजह से करना पड़ रहा आर्थिक संकट का सामनाबलवीर की नौकरी चली गई है, वह मुंबई से अपने परिवार के साथ गांव लौटते समय हुए कोरोना संक्रमित
महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के हमशक्ल के तौर पर वर्षों तक नाम और शोहरत कमाने वाले बलवीर चंद कोरोना वायरस की वजह से आर्थिक संकट में फंस गए हैं। सचिन के हमशक्ल के तौर पर बलवीर चंद को काफी पहचान और शोहरत मिली और उन्होंने कई ऐड में सचिन के डुप्लीकेट के तौर पर काम किया। यहां तक कि मुंबई की एक फूड चेन ने उन्हें अपना ब्रैंड ऐम्बैस्डर भी बनाया था।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस संकट की वजह से चंद को अपनी अपनी नौकरी गंवानी पड़ी, उससे भी खराब बात ये कि वह और उनके परिवार के तीन सदस्य कोरोना संक्रमित हो गए।
कोरोना की वजह से आर्थिक मुश्किल में फंसे सचिन के हमशक्ल बलवीर चंद
21 जून को पंजाब के शहलोन गांव के डॉक्टर ने 50 वर्षीय बलवीर चंद से कहा कि वह अब आइसोलेशन वार्ड छोड़ सकते हैं, ऐसा उनके, पत्नी, बेटी और छोटे बेटे के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के 11 दिन बाद हुआ था। लाखों प्रवासी मजदूरों की तरह ही चंद को भी अपनी नौकरी गंवाने की वजह से गांव लौटना पड़ा।
चंद 90 शहरों में फैले और 350 आउटलेट्स वाले गोली वड़ा पाव फास्ट फूड चेन का ब्रैंड ऐम्बैस्डर थे और इतना कमाते थे कि मुंबई के वक्रोली में किराए के फ्लैट में रह सकें। तेंदुलकर के हमशक्ल होने की वजह से चंद की रोजीटरोटी 22 साल तक चली।
लॉकडाउन की वजह से चली गई सचिन के हमशक्ल बलवीर की नौकरी
चंद ने कहा, 'उनका बिजनेस लॉकडाउन की वजह से प्रभावित हुआ और कई स्टाफ की कटौती हुई। मुझे भी जाने को कहा गया, उन्होंने कहा कि स्थिति सुधरने पर वे मुझे दोबारा नौकरी पर रख लेंगे।'
चंद के लिए किराया देना मुश्किल हो गया था, और जब अतंरराज्यीय यात्रा बहाल हुई, तो चंद, उनकी पत्नी और उनके तीनों बच्चे एक ट्रेन से गांव लौट आए। लेकिन पश्चिम एक्सप्रेस मुंबई से लुधियाना तक की यात्रा से उनमें से चार लोग कोरोना पॉजिटिव हो गए।
चंद ने कहा, 'हमने पूरी सावधानी बरती थी, 15 बोतल सैनिटाइजर की ले गए थे और एन95 मास्क और अपना खाना भी लिया था। लेकिन वहां ऐसे कई यात्री थे जो बहुत लापरवाह थे। मैं अपने अनुभव से कह सकता हूं कि यात्रा अभी सुरक्षित नहीं है।'
सचिन के हमशक्ल होने की वजह से मिली बलवीर चंद को अलग पहचान
चंद को सचिन से पहली बार अनोखी समानता के बारे में 1989 में पता चला था, 'जब 16 साल के तेंदुलकर ने भारत के लिए अपना डेब्यू किया था। उन्होंने कहा, मेरे गांव में किसी ने मुझसे आकर कहा कि मैं युवा क्रिकेटर की तरह दिखता हूं, जिसने पाकिस्तान के खिलाफ काफी रन बनाए हैं। वे दूरदर्शन पर क्रिकेट दिखाते थे, लेकिन मैं कबड्डी खेलने में व्यस्त था।'
बाद में सचिन से समानता देखने के बाद चंद ने भी घुंघराला हेयरस्टाइल रख लिया। उन्होंने कहा, 'फिर तो लुधियाना का बाजार पागल हो गया। मैंने महसूस किया कि मैं इससे कुछ कर सकता हूं।'
बलवीर चंद ने बताया कैसे हुई थी सचिन तेंदुलकर से पहली मुलाकात
1999 तक एक हॉस्पिटल में काम करने के बाद, 10वीं पास चंद भारत-पाकिस्तान का मैच देखने के लिए दिल्ली पहुंच गए, ये वही मैच था जिसमें अनिल कुंबले ने दूसरी पारी में सभी 10 विकेट लेते हुए भारत को शानदार जीत दिलाई थी। वहीं सचिन ने उन्हें कमेंट्री बॉक्स में आमंत्रित किया और दुनिया ने 'एक और सचिन' खोज लिया।
उन्होंने कहा, 'इसके बाद वह मुझे सचिन जी से मिलवाने ताज होटल ले गए। मैंने उन छह तस्वीरों पर ऑटोग्राफ मांगा, जो मैं अपने साथ ले गया था। वह उन पर साइन करने में व्यस्त थे, तभी मैंने उनसे कहा, 'ये मेरी तस्वीरें हैं, उनकी नहीं।' उन्होंने आश्चर्यचकित होकर मुझे देखा और मुस्कुराए।'
चंद ने कहा, 'जब वह टीम बस में बैठे तो खिड़की खोली और मुझे बुलाकर मुझसे वे तस्वीरें मांगी। मैंने उनमें से एक रखी और पांच उन्हें दे दी। ये पहली बार होगा जब सचिन जी ने किसी से कुछ मांगा होगा। मैं तब बहुत गरीब था, मैंने कैसे भी उन तस्वीरों के लिए 60 रुपये इकट्ठा इसके बाद से चंद ऐड की शूटिंग में सचिन के डबल के रूप में नियमित तौर पर काम करने लगे। उन्होंने स्टेज पर परफॉर्म किया फिल्मों में छोटी भूमिकाएं निभाईं। उस समय तक सेल्फी का क्रेज लोकप्रिय नहीं हुआ था। उन्होंने कहा, सचिन जी की लोकप्रियता अविश्वसनीय थी। लोग मेरे पास आते थे और कहते थे, 'आपका छू लूं'। मैं एक ऐसे व्यक्ति से मिला हूं जिसने मुझे छुआ तो उसके हाथ कांपने लगे। मैं समझ गया कि सचिन के उसके लिए क्या मायने थे।'
चंद ने अपने लुक की वजह से इंग्लैंड, साउथ अफ्रीका और कनाडा की यात्राएं कीं। 2013 में सचिन के संन्यास के बाद से सार्वजनिक उपस्थितियां खत्म सी हो गईं। उन्होंने कहा, 'सचिन जी के चेहरे ने मुझे काफी शोहरत दिलाया, ज्यादा पैसा नहीं। लेकिन मैं लिख सकता हूं, गाने लिख सकता हूं, मैं अपनी खुद की प्रतिभा का उपयोग करूंगा। उम्मीद है कि नौकरी फिर मिलेगी और लोग मेरी उपस्थिति को फिर से अहमियत देंगे।'