हरभजन सिंह का खुलासा, 'सचिन के एक फैसले की वजह से नहीं देख पाया था लक्ष्मण-द्रविड़ की ऐतिहासिक पारी'

Harbhajan Singh: स्टार ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने खुलासा किया है कि 2001 में कोलकाता टेस्ट में वह सचिन तेंदुलकर के एक फैसले की वजह से लक्ष्मण और द्रविड़ की जादुई पारी नहीं देख पाए थे

By अभिषेक पाण्डेय | Published: March 18, 2020 11:11 AM2020-03-18T11:11:26+5:302020-03-18T11:11:26+5:30

Sachin asked to stick to seat, missed Laxman-Dravid batting magic: Harbhajan Singh | हरभजन सिंह का खुलासा, 'सचिन के एक फैसले की वजह से नहीं देख पाया था लक्ष्मण-द्रविड़ की ऐतिहासिक पारी'

हरभजन सिंह ने 2001 के कोलकाता टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हैट-ट्रिक लेकर रचा था इतिहास (Twitter)

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Highlightsभारत ने 2001 में कोलकाता टेस्ट में फॉलो ऑन खेलने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया को दी थी मातभारत की जीत में लक्ष्मण की 281 रन की पारी, द्रविड़ के शतक और भज्जी की हैट-ट्रिक का था अहम योगदान

2001 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच कोलकाता में खेले गए टेस्ट को क्रिकेट इतिहास के सबसे बेहतरीन टेस्ट मैचों में शुमार किया जाता है। इस टेस्ट में टीम इंडिया ने फॉलो ऑन खेलने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया को 171 रन से हराते हुए नया इतिहास रच दिया था। 

टेस्ट इतिहास में केवल तीसरी बार कोई टीम फॉलो ऑन खेलने के बावजूद जीत हासिल करने में कामयाब रही थी। इस टेस्ट को वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ की दमदार बैटिंग के साथ ही हरभजन सिंह की हैट-ट्रिक और दमदार गेंदबाजी के लिए भी याद किया जाता है।

टाइम्स ऑफ इंडिया के एक लिए लिखे एक कॉलम में हरभजन ने खुलासा किया है कि वह सचिन तेंदुलकर के एक फैसले की वजह से लक्ष्मण और द्रविड़ की शानदार पारी नहीं देख पाए थे। 

'सचिन के फैसले की वजह से नहीं देख पाया लक्ष्मण-द्रविड़ की बैटिंग'

हरभजन ने लिखा है, '(कोलकाता टेस्ट) पहले दिन एक समय ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 193/1 था। मेरी हैट-ट्रिक ने मैच में हमारी वापसी कराई लेकिन मैथ्यू हेडेन (97) और स्टीव वॉ (110) की पारियों की मदद से ऑस्ट्रेलिया 445 तक पहुंच गया। हमने पहली पारी में जिस तरह बैटिंग की उससे हमें लगा कि हम ये मैच भी मुंबई की तरह ही तीन दिन में हार जाएंगे। लेकिन वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ की साझेदारी ने पूरा पासा पलट दिया।'

हरभजन ले लक्ष्मण और द्रविड़ की साझेदारी को याद करते हुए लिखा, 'मुझे याद है कि उस पूरी साझेदारी के दौरान, ड्रेसिंग रूम में हम सबने अपनी सीट नहीं छोड़ी थी! ऐसा इसलिए क्योंकि हम दूसरी पारी में भी विकेट गंवा रहे थे, हालांकि एक छोर पर लक्ष्मण मौजूद थे। जब उनकी साझेदारी बनने लगी तो हम अपनी सीट से चिपक गए और हिले नहीं। ये फैसला सचिन तेंदुलकर ने लिया था। जब उन्होंने एक पूरे सीजन में बैटिंग की, तो हमने खुद से कहा, ये पहली सीजन है जिसमें विकेट नहीं गिरा, इसलिए सीट से नहीं उठते हैं। और ऐसा ही अगले दिन भी हुआ, जब उन्होंने पूरे दिन बैटिंग की।'

नहीं देख पाया लक्ष्मण-द्रविड़ की साझेदारी की एक भी गेंद: भज्जी

भज्जी ने कहा, 'मैं पूरे दिन ड्रेसिंग रूम के अंदर अपनी सीट पर बैठा रहा। मैंने एक गेंद भी नहीं देखी। केवल एक बार मैं लक्ष्मण का शतक पूरा होने पर ताली बजाने के लिए बाहर आया और अगली गेंद फेंके जाने से पहले वापस जाकर सीट पर बैठ गया!' 

हरभजन ने बताया कि न केवल खिलाड़ियों बल्कि खुद कप्तान सौरव गांगुली ने भी इसी प्रक्रिया का पालन किया था। उन्होंने लिखा है, 'आउट होने के बाद दादा अपनी टी-शर्ट निकालकर और कंधे पर तौलिया डालकर एक कुर्सी पर बैठे थे। इसके बाद वह घर गए, और अगले दिन टी-शर्ट पहनकर वापस आए और वॉर्म-अप के बाद उन्होंने फिर से अपनी टी-शर्ट निकाली और बिल्कुल पिछले दिन की तरह ही केवल एक तौलिया पहनकर बैठ गए।' 

ऐसा लगा कि द्रविड़ ने खुद ही हैट-ट्रिक ली है: हरभजन

हरभजन ने अपनी हैट-ट्रिक को याद करते हुए कहा कि जब शॉर्ट लेग में सदगोपन रमेश ने शेन वॉर्न का कैच पकड़ा और उनकी हैट-ट्रिक पूरी हुई तो सबसे ज्यादा खुश राहुल द्रविड़ हुए थे, क्योंकि रमेश को उतना अच्छा फील्डर नहीं माना जाता था। भज्जी ने कहा कि द्रविड़ ने जिस अंदाज में रमेश को गले लगाया उससे लगा कि जैसे खुद उन्होंने हैट-ट्रिक ली है!

कोलकाता के उस टेस्ट में 13 विकेट लेने वाले हरभजन सिंह ने कहा कि मुझे पता था कि अगर मैं अच्छा प्रदर्शन नहीं करूंगा तो मेरा करियर खत्म हो जाएगा। उन्होंने बताया कि सीरीज से पहले एनसीए में हुए एक विवाद की वजह से बीसीसीआई नहीं चाहता था कि उन्हें चुना जाए, लेकिन उस सीरीज से पहले घरेलू क्रिकेट में 4 मैचों में 28 विकेट लेने और सीरीज से पहले हुए स्पिनरों के ट्रायल में बेहतर प्रदर्शन की वजह से उन्हें मौका दिया गया।

भज्जी ने कहा कि कोलकाता टेस्ट की ऐतिहासिक जीत से ही भारतीय टीम चेन्नई में खेला गया अगला टेस्ट जीतते हुए सीरीज जीत सकी और इससे मिले आत्मविश्वास से ही फिर विदेशों में भी जीत का रास्ता खुला।

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