रणजी ट्रॉफी के नए कार्यक्रम पर फंसा पेंच, मैच फीस समेत इन बातों से असमंसज में खिलाड़ी

Ranji Trophy: पहली बार 29 टीमों के साथ खेले जाने वाली रणजी ट्रॉफी के नए कार्यक्रम को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है

By अभिषेक पाण्डेय | Published: July 21, 2018 01:16 PM2018-07-21T13:16:39+5:302018-07-21T13:25:33+5:30

Ranji Trophy schedule and fee structure creates confusion among players | रणजी ट्रॉफी के नए कार्यक्रम पर फंसा पेंच, मैच फीस समेत इन बातों से असमंसज में खिलाड़ी

रणजी ट्रॉफी 2018 का कार्यक्रम

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नई दिल्ली, 21 जुलाई: इस घरेलू सीजन में होने वाले 2000 से ज्यादा मैचों के लिए अंपायरों और मैच रेफरी के संकट से अभी बीसीसीआई उबरी भी नहीं थी कि एक और समस्या उसके सामने आ खड़ी हुई है। दो दिन पहले जारी हुए रणजी ट्रॉफी के नए कार्यक्रम ने असमंजस और गड़बड़ी पैदा कर दी है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस सीजन के संशोधित रणजी कार्यक्रम में टीमों को एलीट ग्रुप और प्लेट ग्रुप में बांटा गया है। एलीट ग्रुप में तीन उप समूह ए, बी और सी बनाए गए हैं। वहीं प्लेट ग्रुप में एक उप समूह डी है। 

एलीट ग्रुप में ए और बी सब-ग्रुप में नौ-नौ टीमें शामिल हैं जबकि इसके ग्रुप सी में 10 टीमों को जगह दी गई है। वहीं प्लेट के ग्रुप डी में नौ टीमों को जगह गई है जिनमें बिहार और उत्तर पूर्व की नई टीमें- अरुणाचल प्रदेश, बिहार, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, पुदुचेरी, सिक्किम और उत्तराखंड शामिल हैं।

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पहली बार खेल रहीं उत्तर पूर्व की राज्यों की टीमों को लेकर बना रणजी का कार्यक्रम वैसे ठीक-ठाक है लेकिन असली समस्या क्वॉर्टर फाइनल के फॉर्मेट से हो रही है। 

बीसीसीआई के नए नियम के मुताबिक, एलीट ग्रुप ए और बी से पांच टीमें, एलीट ग्रुप सी से दो टीमें और प्लेट ग्रुप डी से एक टीम क्वॉर्टर फाइनल में जगह बनाएगी। हालांकि नियम ये नहीं स्पष्ट करता है कि ग्रुप ए और बी से पांच टीमों का निर्धारण कैसे होगा। खिलाड़ी सवाल पूछ रहे हैं, 'क्या ग्रुप ए से तीन टीमें और ग्रुप बी से दो टीमें होंगी? क्या ये नेट रन-रेट पर या जोरदार जीत पर आधारित होगा?'

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टीमों के प्रमोशन और डिमोशन नियमों को लेकर भ्रम

यही नहीं रणजी के नए नियम में टीमों के प्रमोशन और डिमोशन को लेकर भी भ्रम की स्थिति है। इसके मुताबिक, प्लेट ग्रुप से क्वॉर्टर फाइनल में पहुंचने वाली टीम को अगले सीजन में एलीट ग्रुप सी में प्रमोट कर दिया जाएगा। एलीट ग्रुप सी से क्वॉर्टर फाइनल में पहुंचने वाली टॉप-दो टीमों को अगले सीजन में एलीट ग्रुप ए और बी में प्रमोट कर दिया जाएगा। लेकिन यही नियम खिलाड़ियों को परेशान कर रहा है। 

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एक खिलाड़ी ने कहा, 'मान लीजिए मैं एलीट ग्रुप सी में खराब प्रदर्शन करता हूं। तो क्या होगा? मुझे अगले सीजन में प्लेट ग्रुप डी में डिमोट कर दिया जाएगा। इसके बाद मैं उत्तर पूर्व राज्यों की टीम से खेलता हूं और फिर अगले साल क्वॉर्टर फाइनल में पहुंच जाता हूं? तो फिर मैं एलीट ग्रुप में क्यों संघर्ष करूंगा? मैं भी हार जाऊं और फिर प्लेट ग्रुप में जाकर आसान रास्ता चुनूं, है ना?'   

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फीस को लेकर भी असंतोष

नॉकआउट की असमंसज की स्थिति को छोड़ भी दें तो एक और बात से खिलाड़ी निराश हैं, और वहा है नया मैच फीस फॉर्मेट्स। बीसीसीआई की प्रशासकों की समिति (सीओए) द्वारा घोषित नई फीस सरंचना के मुताबिक, प्लेइंग इलेवन में जगह बनाने वाले खिलाड़ी को 35000 रुपये प्रति मैच प्रति दिन का भुगतान किया जाएगा। वहीं प्लेइंग इलेवन से बाहर लेकिन प्रथम श्रेणी क्रिकेट के अंतिम-15 में चुने गए खिलाड़ियों को 17500 रुपये प्रति दिन के हिसाब से दिए जाएंगे। 

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लेकिन इस फीस को लेकर खिलाड़ी नाखुश हैं और इस पर उनका सवाल है, 'ये खिलाड़ियों के लिए अजीबोगरीब रणजी मैच फीस है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आप मुंबई, दिल्ली या कर्नाटक के लिए 50 मैच खेलने वाले खिलाड़ी हैं या उत्तर पूर्ण से आने वाले कोई अनजान खिलाड़ी, आपको एक ही फीस मिलेगी। तो फिर प्रेरणा कैसे मिलेगी? तो फिर दिल्ली-मुंबई के लिए खेलना और प्लेंइंग इलेवन में जगह बनाने के लिए संघर्ष क्यों करना बल्कि इससे आसान है नागालैंड और मेघालय के लिए खेलने के शिफ्ट हो जाना?'

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