Highlightsरामचंद्र गुहा ने CoA में नियुक्ति के चार महीने बाद ही अपना पद छोड़ दिया था।विक्रम लिमये को सीओए में पांच महीने के कार्यकाल के लिए 50.5 लाख मिलना है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (CoA) के सदस्य रहे इतिहासकार रामचंद्र गुहा और बैंकर विक्रम लिमये ने सीओए से मिलने वाली सैलरी को लेने से मना कर दिया। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक सील बंद लिफाफे में सीओए के प्रस्तावित वेतन सौंपा गया, जिसे पीठ ने अपनी मंजूरी दे दी। बता दें कि सीओए का कार्यकाल बीसीसीआई एजीएम में नए पदाधिकारियों के पदभार ग्रहण करने के साथ ही समाप्त हो गया।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 'रामचंद्र गुहा ने बीसीसीआई को मेल भेजकर अपनी सैलरी नहीं लेने की जानकारी दी है।' वहीं रिपोर्ट में बताया गया है कि 'विक्रम लिमये भी आने वाले दिनों में बोर्ड को अपना फैसला बता सकते हैं।'
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के काम को देखने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2017 में प्रशासकों की समिति (सीओए) की गठन किया था। पूर्व कैग प्रमुख विनोद राय को समिति का अध्यक्ष बनाया गया, जबकि पूर्व भारतीय महिला कप्तान एडुल्जी, रवि थोडगे, विक्रम लिमये और रामचंद्र गुहा इसके सदस्य बनाए गए थे।
पूर्व कैग विनोद राय और पूर्व भारतीय महिला कप्तान एडुल्जी जनवरी 2017 में नियुक्ति के बाद से ही सीओए का हिस्सा रहे हैं, जबकि उनके साथी रामचंद्र गुहा ने नियुक्ति के चार महीने बाद ही अपना पद छोड़ दिया था, जबकि विक्रम लिमये पांच महीनों तक सीओए का हिस्सा थे।
प्रस्तावित वेतन के मुताबिक सीओए के सभी सदस्यों को 2017 के लिए प्रतिमाह दस लाख रुपये, 2018 के लिए 11 लाख रुपये और 2019 के लिए 12 लाख रुपये प्रतिमाह की दर से भुगतान किया जाएगा। इस तरह से डायना एडुल्जी और विनोद राय दोनों में से प्रत्येक को 3.5 करोड़ रुपये मिलेंगे, जबकि रवि थोडगे को 60, विक्रम लिमये को 50.5 लाख और रामचंद्र गुहा 40 लाख रुपये का भुगतान किया जाना है।