पसीना और लार का सफेद गेंद पर पड़ता है कितना असर? खुद जानिए तेज गेंदबाज जयदेव उनादकट से...

By भाषा | Published: May 3, 2020 08:12 PM2020-05-03T20:12:07+5:302020-05-03T20:12:07+5:30

Jaydev Unadkat says sweat and saliva aren’t big requirements in white-ball cricket | पसीना और लार का सफेद गेंद पर पड़ता है कितना असर? खुद जानिए तेज गेंदबाज जयदेव उनादकट से...

पसीना और लार का सफेद गेंद पर पड़ता है कितना असर? खुद जानिए तेज गेंदबाज जयदेव उनादकट से...

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इस बात को लेकर बहस चल रही है कि कोविड-19 महामारी के बाद जब क्रिकेट बहाल होगा तो पसीने और लार का इस्तेमाल किया जाना चाहिए या नहीं, लेकिन तेज गेंदबाज जयदेव उनादकट को लगता है कि सफेद गेंद पर इनसे ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।

भारत के लिये सात वनडे और 10 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले उनादकट इंडियन प्रीमियर लीग में राजस्थान रॉयल्स के लिये खेलते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि सफेद गेंद के क्रिकेट को समस्या नहीं होगी। यहां तक कि वनडे में आप 25-25 ओवर के लिए दो नयी गेंद लेते हो। सफेद गेंद के क्रिकेट में ‘रिवर्स स्विंग’ कभी भी अहम नहीं रही है। यहां तक कि जहां तक सफेद गेंद का संबंध है तो नयी गेंद के लिये आपको पसीने या लार की जरूरत नहीं पड़ती।’’

रणजी ट्रॉफी विजेता सौराष्ट्र के कप्तान ने कहा कि इसके पीछे कारण यह है कि सफेद रंग की गेंद पर स्विंग के लिये बहुत कम या बिलकुल पसीने या लार की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने कहा, ‘‘सफेद गेंद को अगर आप अपनी पैंट पर रगड़ोगे तो भी यह चमकदार बनी रहेगी जबकि लाल गेंद को चमकाने के लये लार और पसीने की ज्यादा जरूरत होती है।’’

इसलिये उन्हें लगता है कि सीमित ओवर के क्रिकेट में गेंदबाजों के लिये कम जोखिम होगा और इन्हें टेस्ट और प्रथम श्रेणी मैचों से पहले शुरू किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम सफेद गेंद के मुकाबले शुरू करते हैं तो हमारे लिये निश्चित रूप से फायदा होगा क्योंकि लार और पसीना लाल गेंद के क्रिकेट के लिये ही अहम होते हैं।’’

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