महज 12 साल की उम्र में हनुमा विहारी के सिर से उठा पिता का साया, मां ने जो किया वो 'मिसाल' है

13 अक्टूबर 1993 को आंध्र प्रदेश में जन्मे हनुमा विहारी ने टीम इंडिया की ओर से अब तक 9 टेस्ट मैचों की 16 पारियों में 552 रन बनाए हैं। इस मुकाम तक पहुंचने लिए उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है।

By राजेन्द्र सिंह गुसाईं | Published: April 7, 2020 06:13 AM2020-04-07T06:13:12+5:302020-04-07T06:13:12+5:30

Indian Cricketer Hanuma Vihari talks about his tough time when his Mother | महज 12 साल की उम्र में हनुमा विहारी के सिर से उठा पिता का साया, मां ने जो किया वो 'मिसाल' है

महज 12 साल की उम्र में हनुमा विहारी के सिर से उठा पिता का साया, मां ने जो किया वो 'मिसाल' है

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Highlights13 अक्टूबर 1993 को आंध्र प्रदेश में जन्मे हनुमा विहारी।महज 12 साल की उम्र में सिर से उठा पिता का साया।मां ने नहीं मानी हार, बेटे के लिए झोंक दिया सब कुछ।

हनुमा विहारी आज भले ही अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपना डेब्यू कर चुके हों, लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने लिए उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। पिता के देहांत के बाद मां ने हनुमा के लिए जो कुछ किया, वह असाधारण है, जिसे आज भी खुद ये क्रिकेटर याद करता है।

महज 4 साल की उम्र में हनुमा क्रिकेट को लेकर आकर्षित हो चुके थे। धीरे-धीरे ये आकर्षण जुनून में बदलने लगा। अब तक हनुमा की स्किल्स में भी काफी सुधार आ चुका था। उनका इस खेल में टैलेंट दिखने लगा था। पड़ोसियों को भी कहीं ना कहीं ये उम्मीद होने लगी थी कि ये लड़का एक दिन भारत के लिए जरूर खेलेगा।

बेटे को क्रिकेटर बनाने के लिए मां ने भविष्य को लेकर योजना बनाते हुए खुद पोस्ट-ग्रेजुएश की पढ़ाई शुरू कर दी, ताकि जब हनुमा की पढ़ाई पूरी हो जाए, तो पिता वॉलंटरी रिटायरमेंट लेकर बेटे पर फोकस करें और वह खुद कोई नौकरी कर ले, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

हनुमा अभी 12 साल के ही थे, सिर से पिता का साया उठ गया। मां ने इस परिस्थिति में भी हार नहीं मानी और बेटे को क्रिकेट पर फोकस करने के लिए कहा। खुद हनुमा ने क्रिकबज को बताया, "मेरी मां बहुत हिम्मती हैं। वह किसी भी परिस्थिति में नहीं घबरातीं। आप इसे उनकी पहचान कह सकते हैं।" 

उनकी मां बताती हैं, "पति की मौत के बाद उनकी कंपनी से उन्हें एकमुश्त पैसे मिले थे। उस समय, हनुमा ने सिर्फ अंडर–13 खेला था और उनका प्रदर्शन भी अच्छा नहीं रहा था। मैं जानती थी कि उन्हें नेट्स पर और अधिक समय तक प्रैक्टिस करने की जरूरत थी। इसलिए, मैंने इस पैसे से बेटे के लिए क्रिकेट पिच बनवाने का फैसला किया। अगली बार जब वह स्टेट लेवल के अंडर–13 में खेला तब हनुमा ने टूर्नामेंट में सबसे अधिक रन बनाए। मेरी मेहनत सफल हुई।" 

मां ने हनुमा की क्षमताओं पर कभी संदेह नहीं किया। उन्हें यकीन था कि बेटा एक दिन देश के लिए जरूर खेलेगा। बीते वर्षों में जब उन्हें अपने बेटे के लिए दी गई कुर्बानियों को याद करने के लिए कहा गया तो उन्होंने जवाब दिया, "मैं किसी भी चीज को कुर्बानी के रूप में नहीं देखती। वह सिर्फ मेरी जिम्मेदारी थी।"

आखिरकार 7 सितंबर 2018 को मां की मेहनत रंग लाई। इंग्लैंड के खिलाफ केनिंग्टन ओवल में हनुमा विहारी को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू का मौका मिला। पहली ही पारी में विहारी ने 56 रन की पारी खेल अपनी प्रतिभा जगजाहिर कर दी।

13 अक्टूबर 1993 को आंध्र प्रदेश में जन्मे हनुमा विहारी ने टीम इंडिया की ओर से अब तक 9 टेस्ट मैचों की 16 पारियों में 552 रन बनाए हैं। इस दौरान उन्होंने 4 अर्धशतक और 1 शतक जड़ा है। इसके अलावा उन्होंने 85 प्रथम श्रेणी मैचों में 6860 और 74 लिस्ट-ए मैचों में 2927 रन बनाए हैं। विहारी 24 आईपीएल मैचों में 3 बार नाबाद रहते हुए 284 रन बना चुके हैं।

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