विराट कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया शुक्रवार से पर्थ में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दूसरे टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेल रही है। भारत ने ऐडिलेड में खेले गए पहले टेस्ट में 31 रन से करीबी जीत दर्ज की थी। इस बार पर्थ के जिस मैदान पर ये टेस्ट मैच खेला जा रहा है, वह पर्थ का चर्चित वाका स्टेडियम नहीं है बल्कि इस बार पर्थ के नए ऑप्टस स्टेडियम में ये मैच खेला जा रहा है। पर्थ के ऑप्टस स्टेडियम में ये पहला टेस्ट मैच है, और इस पर अब तक सिर्फ दो वनडे इंटरनेशनल मैच ही खेले गए हैं।
पर्थ के नए ऑप्टस स्टेडियम की पिच चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल, ये 'ड्रॉप-इन' पिच है, जिसका इस्तेमाल इस टेस्ट मैच के लिए किया जा रहा है। आइए जानें क्या होती है ड्रॉप-इन पिच और ये कैसे पारंपरिक विकेट से अलग होती है।
जानिए क्या होती है ड्रॉप-इन पिच
एक ड्रॉप-इन पिच वह होती है जिसे मैदान के बाहर तैयार किया जाता है, और फिर इसके नाम के मुताबिक इसे मैच शुरू होने से पहले संबंधित मैदान में 'ड्रॉप' या बिछाया जाता है। यानी कि ड्रॉप-इन पिच पोर्टेबल होती हैं। इसका फायदा ये होता है कि इससे इस मैदान को क्रिकेट के अलावा कई अन्य खेलों के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। पर्थ के नए ऑप्टस स्टेडियम को वैसे भी क्रिकेट के अलावा रग्बी, फुटबॉल जैसे अन्य खेलों के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
इन पिचों को ऑफ सीजन में मैदान में बिछाया जाता है। इस दौरान इन पिचों को मिट्टी से ढंककर रखा जाता है। क्यूरेटर ऐसा इसलिए करता है ताकि अगले सीजन के लिए इस पिच में नमी बरकरार रहे। नया सीजन शुरू होने से पहले क्यूरेटर फिर से घरेलू टीम की जरूरतों, विपक्षी टीम की कमजोरी और कई अन्य पहलुओं को ध्यान में रखते हुए फिर से मिट्टी डालने या घास कम करने पर फैसला लेता है।
एक ड्रॉप-इन विकेट करीब 24 मीटर लंबी, तीन मीटर चौड़ी और 20 सेंटीमीटर गहरी होती है। इसका वजन लगभग 30 टन होता है। इसे भारी मशीनों की मदद से मैदान में फिट किया जाता है।
हालांकि ड्रॉप-इन विकेट की प्राथमिक सामग्री पारंपरिक विकेट जैसी ही होती है लेकिन इसे बनान में प्रयोग की जाने वाली मिट्टी, चिकनी मिट्टी और घास ही सारा अंतर पैदा करती है। हालांकि मैदान में बिछाए जाने के बाद ये लगभग पारंपरिक पिचों जैसा ही व्यवहार करती हैं।
ड्रॉप-इन विकेट का इस्तेमाल पहली ऑस्ट्रेलिया में विवादित कैरी पैकर वर्ल्ड सीरीज के दौरान 70 के दशक में शुरू हुआ था। हाल के वर्षों में दुनिया के कई हिस्सों में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है, खासकर न्यूजीलैंड ने इसका काफी प्रयोग किया है। भारत को न्यूजीलैंड में ऑकलैंड की ड्रॉप-इन विकेट पर वनडे मैच भी खेल चुका है।
पर्थ की ऑप्टस स्टेडियम: जानिए उसकी खासियत
पर्थ के पुराने वाका स्टेडियम की जगह नया बना ऑप्टस स्टेडियम इस शहर की स्वान नदी के किनारे स्थित है, जिसके एक तरफ पुराना वाका स्टेडियम स्थित है तो दूसरी ओर नया ऑप्टस स्टेडियम। 60 हजार की दर्शक क्षमता वाले इस नए स्टेडियम के भी पुराने वाका विकेट की तरह ही बाउंस और उछाल के साथ तेज गेंदबाजों की मददगार होने की संभावना है। इस स्टेडियम पर पहला इंटरनेशनल मैच 28 जनवरी को ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच जबकि दूसरा वनडे दक्षिण और ऑस्ट्रेलिया के बीच 4 नवंबर को खेला गया था।