लाल गेंद से कितनी अलग है पिंक बॉल, जानें बल्लेबाजों और गेंदबाजों को क्या होगी दिक्कत

भारत और बांग्लादेश के बीच 22 नवंबर से कोलकाता में खेले जाने वाले टेस्ट मैच में पिंक बॉल का इस्तेमाल किया जाएगा।

By सुमित राय | Published: November 19, 2019 10:34 AM2019-11-19T10:34:06+5:302019-11-20T11:52:17+5:30

Ind vs Ban, Day-Night Test: Know the science behind pink ball, More shine and swing, less chance of reverse, seam gift for spinners | लाल गेंद से कितनी अलग है पिंक बॉल, जानें बल्लेबाजों और गेंदबाजों को क्या होगी दिक्कत

रेड और पिंक बॉल में काफी कुछ अंतर होता है।

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Highlightsभारत-बांग्लादेश के बीच कोलकाता में दूसरा टेस्ट मैच पिंक बॉल से खेला जाएगा।पिंक बॉल को लाल गेंद से अलग बनाया गया है और दोनों में काफी कुछ अंतर होता है।

भारतीय क्रिकेट टीम और बांग्लादेश के बीच दूसरा टेस्ट मैच 22 नवंबर से कोलकाता में खेला जाएगा, जो दोनों टीमों के लिए पहला डे-नाइट टेस्ट होगा। यही नहीं इस मैच की खास बात यह है कि यह पिंक बॉल से खेला जाएगा। क्या आपको पता है आमतौर पर टेस्ट क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाली लाल गेंदों से पिंक बॉल में क्या समानता है और यह गुलाबी गेंद कितनी अलग है।

क्यों किया जाएगा पिंक बॉल का इस्तेमाल

इससे पहले टेस्ट क्रिकेट में लाल गेंदों का इस्तेमाल होता था, लेकिन भारतीय टीम पहली बार पिंक बॉल से खेलते दिखेगी। लाल गेंद की जगह पिंक बॉल को इस्तेमाल करने की सबसे बड़ी वजह रौशनी है। दिन में लाल गेंद से खेलने में दिक्कत नहीं होती, लेकिन डे-नाइट टेस्ट के दौरान रात को सफेद रौशनी के साथ खेलने में कुछ परेशानियां होती हैं। खास तौर पर जब गेंद पुरानी हो जाती है तब इसे खेलने काफी परेशानी होती है।

फिर चर्चा हुई कि क्या डे-नाइट टेस्ट को सफेद गेंद से खेला जा सकता है, जिससे वनडे और टी20 मुकाबले खेले जाते हैं। लेकिन इसमें भी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि टेस्ट क्रिकेट की जर्सी भी सफेद होती है। इसके बाद गुलाबी गेंद का विचार सामने आया जो कि सफेद रोशनी में ज्यादा अच्छे से दिखाई देती है।

लाल गेंद से पिंक बॉल है कितनी अलग

रेड और पिंक बॉल में काफी कुछ अंतर होता है। पिंक बॉल को लाल गेंद से अलग बनाया गया है ताकि गेंद का रंग जल्दी न निकले। लाल गेंद में रंग की केवल एक परत होती है, जबकि गुलाबी गेंद में गुलाबी रंग की दो परत होती हैं ताकि ज्यादा समय तक रंग बरकरार रहे। लाल रंग की बॉल को डाई किया जाता है, जबकि गुलाबी रंग की बॉल पर पेंट किया जाता है और उसकी एक खास तरह के केमिकल से कोटिंग की जाती है, ताकि रंग लंबे समय तक बना रहे।

गेंदबाजों को क्या होगी दिक्कत और फायदा

पिंक बॉल में लाल गेंद के मुकाबले ज्यादा चमक है, जो ज्यादा सीम और स्विंग करती है। हालांकि इस बॉल से गेंदबाजों को रिवर्स स्विंग में दिक्कत आएगी, क्योंकि लाल गेंद की तुलना में गुलाबी गेंद ज्यादा और अलग तरीके से स्विंग करती है। तेज गेंदबाजों को गुलाबी गेंद को नियंत्रित करने में दिक्कत हो सकती है, जिससे इनस्विंग करने में परेशानी होगी। स्पिनरों की बात है तो गुलाबी गेंद थोड़ी मुलायम होती है इसलिए स्पिनरों को उसे ग्रिप करने में थोड़ी परेशानी हो सकती है, हालांकि गेंद की चमक कम होने के बाद गेंद स्पिनर्स को मदद कर सकती है।

बल्लेबाजों का क्या होगा फायदा और दिक्कत

नई पिंक बॉल ज्यादा स्विंग करती है, जो बल्लेबाजों के लिए दिक्कत बन सकती है। इसके अलावा बल्लेबाजों को यह समझने में दिक्कत हो सकती है कि बॉल कैसे और कितनी स्पिन कर रही है, क्योंकि लाल गेंद में सफेद सिलाई होती है जो गेंद की स्पिन को दिखा देती है, लेकिन गुलाबी गेंद की सफेद सिलाई लाल गेंद जितनी उभर कर नहीं दिखती। इसके साथ ही पिंक बॉल से शाम के समय जब सूरज के ढलने का समय होगा तब गुलाबी गेंद से खेलने में दिक्कत होगी।

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