अशोक डिंडा ने खुद को बताया राजनीति का शिकार, सुशांत सिंह राजपूत को याद करते हुए कहा- मैं मानसिक रूप से मजबूत

अशोक डिंडा ने अपना आखिरी अंतर्राष्ट्रीय मैच इंग्लैंड के खिलाफ जनवरी 2013 में खेला था...

By भाषा | Published: June 21, 2020 05:50 PM2020-06-21T17:50:08+5:302020-06-21T19:22:09+5:30

'Have got a few offers and discussions are on': Ashok Dinda | अशोक डिंडा ने खुद को बताया राजनीति का शिकार, सुशांत सिंह राजपूत को याद करते हुए कहा- मैं मानसिक रूप से मजबूत

अशोक डिंडा ने भारत के लिए 22 मुकाबले खेले हैं।

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पिछले साल रणजी ट्रॉफी सत्र के दौरान अनुशासनात्मक कारणों से बीच में बाहर कर दिये गये तेज गेंदबाज अशोक डिंडा ने खुद को बंगाल क्रिकेट की राजनीति का शिकार करार दिया और कहा कि वह इस सत्र में एक नयी टीम के साथ दमदार वापसी करेंगे।

उत्पल चटर्जी के बाद बंगाल की तरफ से सर्वाधिक विकेट लेने वाले डिंडा को गेंदबाजी कोच राणादेब बोस के साथ तीखी झड़प के बाद टीम से बाहर कर दिया गया था। बंगाल ने इस विवाद को पीछे छोड़ते हुए फाइनल में जगह बनायी और उप विजेता रहा।

डिंडा ने कहा कि उनकी कुछ टीमों के साथ बात चल रही है और वह बंगाल क्रिकेट संघ (कैब) के पास जल्द ही अनापत्ति प्रमाणपत्र के लिये आवेदन कर देंगे। अब 116 प्रथम श्रेणी मैचों में 420 विकेट लेने वाले डिंडा ने कहा, ‘‘मैं बंगाल की टीम का हिस्सा नहीं रहूंगा, यह पक्का है। यह फैसला मैंने पिछले सत्र में ही कर दिया था। यह मेरा निजी मसला है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आपने देखा कि (अभिनेता) सुशांत सिंह राजपूत किस दौर से गुजरे थे। सब जगह यही हाल है लेकिन मैं मानसिक रूप से मजबूत हूं और किसी की वजह से मैं टूट नहीं सकता।’’

भारत की तरफ से 13 वनडे और नौ टी20 अंतर्राष्ट्रीय खेलने वाले डिंडा ने कहा, ‘‘मैं किसी अन्य राज्य की तरफ से खेलूंगा। मेरी कुछ टीमों से चर्चा चल रही है लेकिन मैंने अभी फैसला नहीं किया है कि अगले सत्र में मैं किस टीम का प्रतिनिधित्व करूंगा।’’

डिंडा पर बंगाल के गेंदबाजी कोच बोस के लिये अपशब्दों का उपयोग करने का आरोप है। बोस बंगाल के पूर्व तेज गेंदबाज हैं जिन्होंने 91 मैचों में 317 विकेट लिये। डिंडा ने माफी मांगने से इन्कार कर दिया और उन पर टीम के अंदर मतभेद पैदा करने का आरोप भी लगाया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस कोचिंग स्टाफ के साथ यहां खेलने से खुश नहीं हूं। मेरे साथ जिस तरह से व्यवहार किया गया। मुझे कुछ नहीं कहना है। मैंने उनके लिये अपना सर्वश्रेष्ठ दिया और अब मेरा कोई उपयोग नहीं है। यह दुनिया स्वार्थी है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे निश्चित तौर पर घरेलू टीम की कमी खलेगी। मुझे पिछले साल भी उसकी कमी खली थी। लेकिन मेरे अपने पूर्व साथियों के साथ अच्छे संबंध हैं। (कैब अध्यक्ष) अविषेक (डालमिया) का व्यवहार मित्रतापूर्ण है और वह अच्छे व्यक्ति हैं। कभी कभी मैं दादा (सौरव गांगुली) से भी बात करता हूं।’’

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