पंड्या-राहुल विवाद में नया मोड़, बीसीसीआई कार्यवाहक अध्यक्ष ने एसजीएम बुलाने से किया इनकार

Hardik Pandya-KL Rahul controversy: हार्दिक पंड्या और केएल राहुल विवाद को लेकर बीसीसीआई कार्यवाहक अध्यक्ष ने आम सभी बुलाने से इनकार किया है

By भाषा | Published: January 19, 2019 06:42 PM2019-01-19T18:42:09+5:302019-01-19T18:42:09+5:30

Hardik Pandya-KL Rahul suspension: BCCI acting president CK Khanna refuses to convene SGM | पंड्या-राहुल विवाद में नया मोड़, बीसीसीआई कार्यवाहक अध्यक्ष ने एसजीएम बुलाने से किया इनकार

पंड्या और राहुल विवाद को लेकर बीसीसीआई ने किया एसजीएम बुलाने से इनकार

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नई दिल्ली, 19 जनवरी:  हार्दिक पंड्या और केएल राहुल के निलंबन के मामले में शनिवार को तब नया मोड़ गया जब बीसीसीआई के कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना ने लोकपाल की नियुक्ति के लिये विशेष आम बैठक (एसजीएम) बुलाने से इनकार कर दिया क्योंकि मामला अभी न्यायालय के अधीन है। 

पंड्या और राहुल एक टीवी कार्यक्रम के दौरान अपनी आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिये अभी निलंबन झेल रहे हैं और यह मामला उच्चतम न्यायलय में लंबित है। बीसीसीआई का संचालन कर रही प्रशासकों की समिति (सीओए) चाहती है कि उच्चतम न्यायालय पंड्या और राहुल के भाग्य का फैसला करने के लिये लोकपाल की नियुक्ति करे। 

लगभग 14 राज्य इकाईयों, जिनमें अधिकतर बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के वफादार हैं, ने खन्ना से आपात एसजीएम बुलाने का आग्रह किया है जिसे दस दिन के समय में बुलाना होता है। 

कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी ने भी खन्ना को पत्र लिखकर जल्द से जल्द एसजीएम बुलाने का आग्रह किया है ताकि बोर्ड के सदस्य लोकपाल की नियुक्ति पर फैसला कर सकें। खन्ना ने अपने पत्र में लिखा है कि क्योंकि मामला अभी न्यायालय के अधीन है, इसलिए वह इंतजार करना चाहेंगे। 

खन्ना ने चौधरी के जवाब में कहा, 'बीसीसीआई के संविधान के अनुसार लोकपाल की नियुक्ति वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में की जा सकती है। और इसके अलावा मामला न्यायालय के अधीन है।'

खन्ना ने इस पर बीसीसीआई के कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी की राय भी जाननी चाही और उन्होंने भी लोकपाल की नियुक्ति को लेकर नये संविधान के अनुच्छेद 40 का हवाला दिया। बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, 'खन्ना या अमिताभ विशेष आम बैठक बुलाने के लिये नोटिस पर क्यों हस्ताक्षर करें जबकि मामला न्यायालय के अधीन है। इसमें अदालत की अवमानना का जोखिम बना रहेगा।'

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