गंभीर ने की धोनी की कप्तानी की कड़ी आलोचना, बताया ऑस्ट्रेलिया में किस फैसले से सचिन-सहवाग और उन्हें दिया था 'झटका'

Gautam Gambhir: स्टार क्रिकेटर गौतम गंभीर ने 2012 में ऑस्ट्रेलिया में सीबी सीरीज में एमएस धोनी की कप्तानी के फैसले की कड़ी आलोचना की है

By अभिषेक पाण्डेय | Published: December 9, 2018 11:12 AM2018-12-09T11:12:42+5:302018-12-09T15:49:45+5:30

Gautam Gambhir slams MS Dhoni captaincy decisions in 2012 CB series in Australia, calls it shocking | गंभीर ने की धोनी की कप्तानी की कड़ी आलोचना, बताया ऑस्ट्रेलिया में किस फैसले से सचिन-सहवाग और उन्हें दिया था 'झटका'

गौतम गंभीर ने की धोनी की कप्तानी की आलोचना

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हाल ही में क्रिकेट से संन्यास लेने का ऐलान करने के बाद से स्टार क्रिकेटर गौतम गंभीर सुर्खियों में हैं। अपने रिटायरमेंट के ऐलान के बाद से गंभीर लगातार इंटरव्यू दे रहे हैं। एक हालिया इंटरव्यू में गंभीर ने 2012 में ऑस्ट्रेलिया में सीबी सीरीज के दौरान धोनी की कप्तानी के निर्णयों की आलोचना की है।

इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में गंभीर ने खुलासा किया कि इस ट्राई वनडे सीरीज से पहले धोनी ने कहा था कि वह मुझे, सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग को प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं दे सकते हैं और ये बात सुनकर उन्हें झटका लगा था। 

हालांकि, बाद में गंभीर को टीम में उस सीरीज में जगह मिल गई थी, जिसमें भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका की टीमें भी खेल रही थीं। उस वनडे सीरीज में गंभीर ने सात मैचों में 44 की औसत से 308 रन बनाए थे और विराट कोहली के बाद उस सीरीज में दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे थे। सचिन ने भी सात मैचों में 143 रन बनाए जबकि सहवाग पांच मैचों में 65 रन ही बना सके। 

गंभीर ने कहा, 'ऑस्ट्रेलिया में 2012 में ट्राई सीरीज में धोनी ने ऐलान किया था कि वह हम तीनों (गंभीर, सचिन, सहवाग) को नहीं खिला सकते क्योंकि वह 2015 वर्ल्ड कप की तरफ देख रहे हैं। ये बड़ा झटका था, मेरे ख्याल से ये किसी भी क्रिकेटर के लिए एक गहरा झटका होगा। मैंने कभी नहीं सुना था कि 2012 में किसी क्रिकेटर को कहा जाए कि वह कभी भी 2015 वर्ल्ड कप टीम का हिस्सा नहीं होंगे। मेरा हमेशा से मानना रहा है कि अगर आप रन बनाते रहते हैं तो उम्र सिर्फ एक संख्या भर है।'   

गंभीर ने कहा, 'अगर आपमें रन बनाने की प्रतिभा है और आप फील्डिंग में कमजोर नहीं हैं, तो आप जितना दिन लंबा चाहें खेल सकते हैं। हमें हमेशा यही बताया गया था और यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया में हमें पता चला कि हम तीनों साथ में नहीं खेल सकते, और आखिर में हम साथ में खेले।'

गौतम गंभीर ने कहा, मुझे याद है होबार्ट में, जब हमें एक मैच जीतने की सख्त जरूरत थी, वीरू और सचिन ने ओपनिंग की थी और मैंने तीसरे और विराट ने चौथे नंबर पर बैटिंग की थी। भारत ने वह मैच जीता लिया और हमें 37 ओवर में लक्ष्य हासिल करना था। सीरीज की शुरुआत में, हम तीनों साथ में नहीं खेले, ये रोटेशनल वाली चीज थी। जब ये करो या मरो की स्थिति थी तो एमएस को हम तीनों को खिलाना पड़ा। अगर आप कोई निर्णय लेते हैं, तो अपने निर्णय पर कायम रहिए, उस पर डटे रहिए। उस चीज से पीछे मत हटिए जिसका आप फैसला ले चुके हैं।

इस बाएं हाथ के खिलाड़ी ने कहा, 'पहले आप फैसला लेते हैं कि आप हम तीनों को साथ में नहीं खिलाएंगे, फिर आप फैसला लेते हैं कि हम तीनों को साथ में खिलाएंगे। या तो असली फैसला गलता था या फिर दूसरा गलता था। उन्होंने (धोनी) ये फैसला एक कप्तान के तौर पर लिया था और ये हम तीनों के लिए बड़ा झटका है।'
 
सहवाग ने भी इससे पहले कहा था कि इस सीरीज से पहले, 'धोनी उन तीनों से मिले थे और कहा था कि तीनों को एक साथ खिलाने का मतलब फील्डिंग में 20 रन गंवाना होगा और इसलिए वे रोटेशन नीति अपनाएंगे। सहवाग ने उस सीरीज के दौरान कहा था, हमारी मीटिंग हुई, उन्होंने (धोनी) हर किसी से बात की, गौतम, मेरे और तेंदुलकर के साथ, उन्होंने समझाया कि वह युवाओं को मौका देना चाहते हैं ताकि युवा खिलाड़ी यहां सभी मैच खेल सकें क्योंकि अगला वर्ल्ड कप भी यही हैं, तो उन्हें इस बात का अनुमान होगा कि ऑस्ट्रेलिया में पिच कैसी होती हैं।'  

भारत आखिरी में उस सीरीज के फाइनल में पहुंचने में नाकाम रहा था और ऑस्ट्रेलिया बेस ऑफ थ्री फाइनल में श्रीलंका को 2-1 से हराकर विजेता बन गया था।

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