नई दिल्ली, 16 अक्टूबर: टीम इंडिया को 2007 में टी20 और 2011 में वनडे वर्ल्ड कप जीताने में अहम भूमिका निभाने वाले और इन दिनों विजय हजारे ट्रॉफी में दिल्ली की कप्तानी में व्यस्त गौतम गंभीर ने कहा है कि वे क्रिकेट से तभी संन्यास लेंगे जब उन्हें लगेगा कि खेल को लेकर उनका जोश बरकरार नहीं रह गया है। गंभीर ने कहा कि उनका खेल को लेकर उत्साह अब भी बरकरार है।
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के अनुसार गंभीर ने संन्यास से पहले किसी खास लक्ष्य के बारे में सवाल पर कहा, 'नहीं, अब तक मैं रन बना रहा हूं और इससे खुशी महसूस करता हूं। मुझे लगता है कि रन बनाना और जीतकर ड्रेसिंग रूम में लौटना मुझे अभी भी खुशी देता है। जब तक मेरे अंदर जोश बना रहेगा, जहां मैं आकर खेलना और जीतना चाहूं, मैं इसका हिस्सा बना रहना चाहूंगा। जब मुझे लगेगा कि इसे लेकर कोई भावना नहीं रह जाएगी, तब मैं इसे छोड़ने के बारे में सोचूंगा।'
दिल्ली में जन्में गंभीर ने अपने करियर का आगाज 1999 में रणजी ट्रॉफी से किया और फिर 2004 में भारत के लिए टेस्ट डेब्यू ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच से किया। गंभीर ने वनडे डेब्यू 2003 में बांग्लादेश के खिलाफ किया।
गंभीर ने आईपीएल में भी बतौर कप्तान काफी सफल रहे जब उनके नेतृत्व में 2012 और 2014 में कोलकाता नाइट राइडर्स ने खिताब जीता। साथ ही टी20 और वनडे वर्ल्ड कप जीताने में भी गंभीर की भूमिका अहम रही। साल-2007 के फाइनल में गंभीर ने 54 गेंदों पर 75 रनों की पारी खेली जबकि 2011 के वर्ल्ड कप फाइनल में उन्होंने 122 गेंदों पर 97 रनों की बेहतरीन पारी खेली।
गंभीर को 2008 में अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा गया और फिर 2009 में वह आईसीसी टेस्ट रैकिंग में नंबर-1 बल्लेबाज भी बने। गंभीर ने कहा, 'हमेशा आपके पास कुछ करने को होता है। आपकी यात्रा का कोई अंत नहीं है और संभवत: जिस दिन मुझे लगा कि मैंने सब कुछ हासिल कर लिया तो निश्चित तौर पर उस दिन के बाद मैं खेलना बंद कर दूंगा।'