डेविड वॉर्नर ने गिनाईं विराट कोहली की खासियत, बताया कैसे हैं स्टीव स्मिथ से अलग

डेविड वॉर्नर को लगता है कि विराट कोहली इस बात से वाकिफ हैं कि अगर वह क्रीज पर बने रहेंगे तो उनकी टीम शीर्ष पर पहुंच जाएगी।

By भाषा | Published: May 6, 2020 03:23 PM2020-05-06T15:23:26+5:302020-05-06T15:23:26+5:30

Drive to succeed different for Virat Kohli and Steve Smith, feels David Warner | डेविड वॉर्नर ने गिनाईं विराट कोहली की खासियत, बताया कैसे हैं स्टीव स्मिथ से अलग

डेविड वॉर्नर ने गिनाईं विराट कोहली की खासियत, बताया कैसे हैं स्टीव स्मिथ से अलग

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ऑस्ट्रेलिया के सलामी बल्लेबाज डेविड वॉर्नर मानते हैं कि विराट कोहली और स्टीव स्मिथ समान रूप से अपनी टीमों का मनोबल बढ़ाते हैं लेकिन दोनों का बल्लेबाजी का जज्बा और जुनून एक-दूसरे से अलग है। 

इसमें कोई दो राय नहीं कि भारतीय कप्तान कोहली और शीर्ष आस्ट्रेलियाई बल्लेबाज स्मिथ मौजूदा युग के दो शीर्ष क्रिकेटर हैं। ये दोनों लगातार नयी उपलब्धियां हासिल करते रहे हैं, जिससे इन दोनों में से बेहतर कौन पर बहस शुरू होती है। 

वॉर्नर ने हर्षा भोगले से ‘क्रिकबज इन कनवरसेशन’ में बात करते हुए कहा, ‘‘विराट का रन जुटाने का जुनून और जज्बा स्टीव की तुलना में अलग है।’’ उन्होंने कहा कि कोहली विपक्षी टीम को कमजोर करने के लिये रन जुटाते हैं जबकि स्मिथ अपनी बल्लेबाजी का लुत्फ उठाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘स्टीव क्रीज पर गेंद को हिट करने के लिये जाते हैं, वह ऐसे ही चीजों को देखते हैं। वह क्रीज पर जमकर गेंदों को हिट करना चाहते हैं, वह आउट नहीं होना चाहते। वह इनका आनंद लेते हैं।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘विराट निश्चित रूप से आउट नहीं होना चाहते लेकिन वह जानते हैं कि अगर वह कुछ समय क्रीज पर बिताएंगे तो वह तेजी से काफी रन जुटा लेंगे। वह आप पर हावी होने की कोशिश करेंगे। इससे आने वाले खिलाड़ी को मदद मिलती है, भारतीय टीम के बहुत से खिलाड़ी हैं, जो शानदार हो सकते हैं।’’ 

ऑस्ट्रेलिया के इस सलामी बल्लेबाज ने साथ ही कहा कि दोनों खिलाड़ी मानसिक रूप से काफी मजबूत हैं और अगर वे एक अच्छी पारी खेलते हैं तो इससे पूरी टीम का मनोबल बढ़ता है। उन्होंने कहा, ‘‘जब क्रिकेट की बात आती है तो दोनों मानसिक रूप से काफी मजबूत हैं। दोनों क्रीज पर समय बिताकर रन जुटाना पसंद करते हैं। ’’ 

वॉर्नर ने कहा, ‘‘अगर वे रन जुटाते हैं तो उनका मनोबल बढ़ने के साथ पूरी टीम का भी मनोबल बढ़ता है। अगर वे सस्ते में आउट हो जाते हैं तो मैदान पर सभी को ऐसा महसूस होता है कि अब हम सभी को अच्छा करना होगा। यह बहुत ही विचित्र स्थिति होती है।’’

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