हितों के टकराव मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की शरण लेगा सीओए, बैठक में चर्चा के बाद हुआ फैसला

सीओए ने बीसीसीआई के आचरण अधिकारी डीके जैन के पूर्व खिलाड़ियों पर लिए गए फैसले के संबंध में ‘हितों के टकराव’ के विवादास्पद मुद्दे पर स्पष्टता मांगने के लिए उच्चतम न्यायालय की शरण में जाने का निर्णय किया है।

By भाषा | Published: July 6, 2019 10:20 PM2019-07-06T22:20:49+5:302019-07-06T22:20:49+5:30

COA to approach Supreme Court on Laxman, Ganguly conflict of interest issue | हितों के टकराव मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की शरण लेगा सीओए, बैठक में चर्चा के बाद हुआ फैसला

हितों के टकराव मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की शरण लेगा सीओए, बैठक में चर्चा के बाद हुआ फैसला

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नई दिल्ली, छह जुलाई। प्रशासकों की समिति (सीओए) ने बीसीसीआई के आचरण अधिकारी डीके जैन के पूर्व खिलाड़ियों पर लिए गए फैसले के संबंध में ‘हितों के टकराव’ के विवादास्पद मुद्दे पर स्पष्टता मांगने के लिए शनिवार को उच्चतम न्यायालय की शरण में जाने का निर्णय किया है। जैन ने वीवीएस लक्ष्मण और सौरव गांगुली से क्रिकेट में कई भूमिकाओं में से एक का चयन करने को कहा था।

लोढा सिफारिशों में ‘एक व्यक्ति एक पद’ काफी अहम है और उच्चतम न्यायालय के पूर्व जज जैन ने कहा कि पूर्व भारतीय बल्लेबाज लक्ष्मण और पूर्व कप्तान गांगुली को विभिन्न भूमिकाओं से एक को ही चुनना पड़ेगा। शनिवार को अपनी बैठक में चर्चा के बाद सीओए ने ‘हितों के टकराव’ के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय का मार्गदर्शन लेने का फैसला किया।

लक्ष्मण क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) के सदस्य हैं जिसमें से उन्होंने हटने की पेशकश की है। वह आईपीएल फ्रेंचाइजी सनराइजर्स हैदराबाद के मेंटोर और कमेंटेटर भी हैं। वहीं गांगुली भी विश्व कप में कमेंट्री कर रहे हैं और वह सीएससी के सदस्य के अलावा बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष और आईपीएल टीम दिल्ली कैपिटल्स के सलाहकार भी हैं।

जैन के आदेश को अगर बीसीसीआई को लागू करता है लेकिन उनके आदेश के हिसाब से कई पूर्व और सक्रिय खिलाड़ियों को भी कमेंट्री से रोका जा सकता है। बैठक का हिस्सा रहे बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने पीटीआई से कहा, ‘‘इस मुद्दे पर स्पष्टता के लिये अदालत का रूख करने का फैसला किया गया है। अब हितों के टकराव को परिभाषित करने करना काफी मुश्किल होता जा रहा है। न्यायमूर्ति जैन ने बीसीसीआई के संविधान (एक व्यक्ति एक पद) के हिसाब से निर्णय लिया है और पूर्व खिलाड़ियों को कमेंटरी से रोकना उनके लिए थोड़ा अनुचित होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लक्ष्मण और गांगुली का उदाहरण लो तो सीएसी प्रतिबद्धताओं के लिए इनकी जरूरत साल में एक या दो बार ही पड़ती है, इसलिए उन्हें इसके लिए अन्य काम जैसे कमेंटरी से नहीं रोका जाना चाहिए।’’

मई में जैन ने सचिन तेंदुलकर के खिलाफ सीएसी सदस्य और मुंबई इंडियंस के आइकन की दो भूमिकाओं के कारण लगे हितों के टकराव के आरोंपों को खारिज कर दिया था। तेंदुलकर ने सीएसी का हिस्सा होने से इनकार कर दिया था। हालांकि वह भी मौजूदा विश्व कप में कमेंटरी कर रहे हैं। सीओए ने इस मामले पर फैसला करने के लिए अपनी कानूनी टीम की भी राय ली।

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि मौजूदा स्थिति आनी ही थी क्योंकि हितों के टकराव संबंधित धारा काफी पेचीदा है। उन्होंने कहा, ‘‘बीसीसीआई के बदले संविधान के अनुसार यह साफ है कि आप एक समय में एक से ज्यादा पद पर काबिज नहीं हो सकते। इसलिए न्यायमूर्ति जैन ने इसके अनुसार ही सही फैसला किया है। साथ ही पूर्व खिलाड़ियों को कई भूमिकाओं के तहत कमेंटरी से रोकना भी कड़ा फैसला है।’’

अधिकारी ने कहा, ‘‘मार्क वॉ ऑस्ट्रेलियाई चयनकर्ता थे, लेकिन वह कमेंटरी किया करते थे। हितों का टकराव कहां शुरू होता है और कहां खत्म होता है? इसें परिभाषित करना काफी मुश्किल है।’’

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