दो महीने पहले था चयनकर्ता अब विजय हजारे ट्रॉफी के लिए बना खिलाड़ी, बढ़ा विवाद

2010 में झारखंड की तरफ से राजस्थान के खिलाफ एक रणजी मैच खेला था, जिसमें 16 और 12 रन बनाए थे। 

By भाषा | Published: September 14, 2018 11:01 AM2018-09-14T11:01:44+5:302018-09-14T11:01:44+5:30

Bihar Cricket: U-23 selector two months ago, now picked as player for Vijay Hazare Trophy | दो महीने पहले था चयनकर्ता अब विजय हजारे ट्रॉफी के लिए बना खिलाड़ी, बढ़ा विवाद

दो महीने पहले था चयनकर्ता अब विजय हजारे ट्रॉफी के लिए बना खिलाड़ी, बढ़ा विवाद

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नई दिल्ली, 13 सितंबर। राष्ट्रीय क्रिकेट में 18 साल बाद वापसी करने वाला बिहार शुरू में विवादों में पड़ गया है, क्योंकि राज्य संघ ने विजय हजारे ट्रॉफी के लिए अंडर-23 टीम के चयनकर्ताओं को टीम में चुना है।

भारतीय टीम से बाहर चल रहे स्पिनर प्रज्ञान ओझा की अगुवाई वाली सीनियर टीम को लेकर हितों के टकराव के कई आरोप लगाए जा रहे हैं, लेकिन इनमें आशीष सिन्हा के चयन ने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। 

अठाईस वर्षीय आशीष पटना सेंट्रल के विधायक अरुण कुमार सिन्हा के बेटे हैं और उन्होंने 2010 में झारखंड की तरफ से राजस्थान के खिलाफ एक रणजी मैच खेला था, जिसमें 16 और 12 रन बनाए थे। 

लेकिन पीटीआई के पास जो दस्तावेज हैं उनके अनुसार आशीष को जून में अंडर-23 राज्य टीम ट्रायल्स के लिए एक चयनकर्ता नियुक्त किया गया था। इन ट्रायल्स का आयोजन बिहार क्रिकेट संघ (बीसीए) ने किया था। 

असल में इस साल आठ जून को उन्होंने कटिहार, अररिया, भागलपुर, किशनगंज, पूर्णिया, बांका और जमुई जिलों के लिए अंडर-23 क्षेत्रीय चयनकर्ता की भूमिका निभाई थी। 

जब आशीष से संपर्क किया गया तो उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने अंडर-23 चयनकर्ता की भूमिका निभाई है और अब वह विजय हजारे ट्रॉफी में खेलने के लिये तैयार हैं। 

आशीष ने पीटीआई से कहा, ‘‘हां, मुझे चयनकर्ता बनाया गया था, लेकिन अब मैं इस पद से हट गया हूं। मैं संक्षिप्त समय के लिए चयनकर्ता रहा और इसके लिये कोई आधिकारिक पत्र भी जारी नहीं किया गया था। मैं बीसीए के आग्रह पर चयनकर्ता बना था।’’ 

आशीष से पूछा गया कि आरोप लगाए जा रहे हैं कि अपने पिता के प्रभाव के कारण उन्हें राज्य की सीनियर टीम में चुना गया, उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपको बता दूं कि जब मैं झारखंड के लिए रणजी ट्रॉफी में खेला था तब भी मेरे पिता विधायक थे, इसलिए यह कैसे मायने रखता है। मैं अब भी क्लब क्रिकेट में सक्रिय हूं। बिहार क्रिकेट की घरेलू क्रिकेट में वापसी हुई है और मैं सीनियर टीम के लिए खेलना चाहता हूं। हमें खिलाड़ियों का छीछालेदर करने के बजाय इस पर गर्व करना चाहिए कि बिहार फिर से रणजी ट्रॉफी में खेलेगा।’’ 

बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष गोपाल बोहरा ने भी आशीष के चयन का बचाव किया। बोहरा ने कहा, ‘‘यह अस्थायी चयन समिति थी और आशीष उसका हिस्सा था। वह अच्छा क्रिकेटर है। इसके अलावा जब हम 18 साल बाद वापसी कर रहे हैं तो हमें कप्तान प्रज्ञान ओझा के अलावा कुछ अनुभवी खिलाड़ियों की जरूरत है। आशीष अनुभवी खिलाड़ी है और रणजी ट्रॉफी (एक मैच) खेल चुका है। वह सीनियर खिलाड़ी और इसलिए उसे चुना गया।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘राजनेता का बेटा होने के आरोप आधारहीन है। हम जानते हैं कि सभी आयु वर्ग और सीनियर टीमों में जगह बनाने के हजारों दावेदार हैं, लेकिन केवल 15 ही खेल सकते हैं। ऐसे में बहुत से अनावश्यक आरोप लगा सकते हैं।’’

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