चुन्नी गोस्वामी लाए थे फुटबॉल से क्रिकेट में फिटनेस की समझ: पूर्व भारतीय स्पिनर दिलीप दोशी

Dilip Doshi: पूर्व भारतीय स्पिनर दिलीप दोशी ने महान फुटबॉलर चुन्नी गोस्वामी की तारीफ करते हुए कहा कि वही थे जो फुटबॉल से क्रिकेट में फिटनेस की समझ लेकर आए थे, गोस्वामी का गुरुवार को कोलकाता में निधन हो गया था

By भाषा | Published: May 3, 2020 07:18 AM2020-05-03T07:18:23+5:302020-05-03T07:18:23+5:30

Being a footballer Chuni Goswami brought sense of fitness in cricket: Former spinner Dilip Doshi | चुन्नी गोस्वामी लाए थे फुटबॉल से क्रिकेट में फिटनेस की समझ: पूर्व भारतीय स्पिनर दिलीप दोशी

पूर्व भारतीय स्पिनर दिलीप दोशी ने कहा कि क्रिकेट में फिटनेस की समझ चुन्नी गोस्वामी लाए थे

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Highlightsमहान फुटबॉलर चुन्नी गोस्वामी ने बंगाल के लिये 46 प्रथम श्रेणी मैच भी खेले थे, गोस्वामी की रणजी ट्रॉफी में दोशी भी थेचुन्नी गोस्वामी की कप्तानी में भारतीय फुटबॉल टीम ने 1962 एशियाई खेलों का स्वर्ण पदक जीता था।

नई दिल्ली:  भारत के पूर्व स्पिनर दिलीप दोशी ने दिवंगत सुबीमल चुन्नी गोस्वामी के जुझारू जज्बे की प्रशंसा करते हुए शनिवार को कहा कि वह फुटबॉल से क्रिकेट में फिटनेस की समझ लाये थे। भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान गोस्वामी ने बंगाल की ओर से रणजी ट्रॉफी टीम की अगुआई भी की थी। उनका गुरुवार को कोलकाता में निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे।

गोस्वामी की कप्तानी में भारतीय फुटबॉल टीम ने 1962 एशियाई खेलों का स्वर्ण पदक जीता था। गोस्वामी की रणजी ट्रॉफी में दोशी भी थे। अखिल भारतीय फुटबॉल टीम की विज्ञप्ति के अनुसार दोशी ने कहा, ‘‘चुन्नी दा फुटबॉल से आये थे तो वह काफी फिट एथलीट थे।’’

दोशी ने कहा, ‘‘हालांकि हाल के दिनों में चलन बदला है लेकिन उन दिनों में फुटबॉलर आमतौर पर क्रिकेटरों से ज्यादा फिट हुआ करते थे। तो देखा जाये तो चुन्नी दा हमारी क्रिकेट टीम में फिटनेस की समझ लाये थे। ’’ गोस्वामी ने बंगाल के लिये 46 प्रथम श्रेणी मैच खेले थे।

दोशी ने कहा, ‘‘वह निश्चित रूप से जानते थे कि वह फुटबॉल से क्रिकेट में आये थे। लेकिन वह हमेशा ही प्रतिस्पर्धी क्रिकेटर रहे। लेकिन एक चीज जो सबसे अलग करती थी वो उनका जुझारू जज्बा था। वह मुश्किल परिस्थितियों में भी अपने विकेट को बचाने के लिये डटे रहे थे। यह चीजें हमें सचमुच प्रेरित करती थी। ’’ 

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चुन्नी गोस्वामी के पास वह सब कुछ था जो एक खिलाड़ी अपने पास होने का सपना देखता है लेकिन कुछ ही लोगों के पास ऐसी नैसर्गिक आलराउंड प्रतिभा होती है जो उन्हें भारत के सबसे महान खिलाड़ियों की सूची में जगह दिलाती है।

छह फीट लंबे सुबीमल गोस्वामी या ‘चुन्नी दा’ आखिरी भारतीय कप्तान थे जिन्होंने एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम की अगुआई की। वह ओलंपियन के अलावा प्रथम श्रेणी क्रिकेट टीम के कप्तान भी रहे और सर गैरी सोबर्स ने अपनी आत्मकथा में उनका जिक्र किया है। इस तरह कोई भी उनकी तरह बनने का सपना देखना चाहेगी।

कलकत्ता विश्व विद्यालय के ‘ब्ल्यू’ (क्रिकेट और फुटबॉल दोनों खेलने वाले) गोस्वामी भारतीय खिलाड़ियों से जुड़ी आम धारणा और उनके फर्श से अर्श तक पहुंचने की कहानी के विपरीत थे। गोस्वामी का जन्म उच्च मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ और उन्होंने अपना पूरा जीवन दक्षिण कोलकाता के समृद्ध जोधपुर पार्क इलाके में बिताया। उन्हें विश्व विद्यालय में शिक्षा हासिल की और अगर भारतीय फुटबॉल के इतिहास पर गौर करें तो वह संभवत: सबसे महान ऑलराउंड फुटबॉलर थे।

वह सेंटर फारवर्ड (1960 के दशक में राइट-इन) के रूप में खेले लेकिन उन्हें मैदान पर खिलाड़ियों की स्थिति की गजब की समझ थी। गोस्वामी विरोधी खिलाड़ियों को छकाने में माहिर थे और बाक्स के किनारे से गजब का फर्राटा लगातार विरोधियों को हैरान करने की क्षमता भी उनमें थी।

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