श्रीसंत की सुप्रीम कोर्ट से अपील, 'अगर अजहरुद्दीन पर लगा बैन हट सकता है तो मेरा क्यों नहीं'

S Sreesanth: स्पॉट फिक्सिंग मामले में आजीवन प्रतिबंध झेल रहे क्रिकेटर एस श्रीसंत ने सुप्रीम कोर्ट से अजहरुद्दीन के मामले का हवाला देते हुए बरी किए जाने की अपील की है

By अभिषेक पाण्डेय | Published: December 8, 2018 12:16 PM2018-12-08T12:16:49+5:302018-12-08T12:16:49+5:30

BCCI Life ban is too harsh, should be removed, S Sreesanth to Supreme Court | श्रीसंत की सुप्रीम कोर्ट से अपील, 'अगर अजहरुद्दीन पर लगा बैन हट सकता है तो मेरा क्यों नहीं'

एस श्रीसंत ने सुप्रीम कोर्ट से की बैन हटाने की अपील

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एस श्रीसंत ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उन पर लगाया गया आजावीन प्रतिबंध 'बहुत कठोर' है और उन्हें मैदान में वापसी की इजाजत दी जानी चाहिए, क्योंकि वह 36 साल के हो चुके हैं। 

इस क्रिकेटर की तरफ से कोर्ट में पेश हुए सीनियर ऐडवोकेट सलमान खुर्शीद ने, जस्टिस अशोक भूषण और अजय रस्तोगी से कहा कि स्पॉट फिक्सिंग मामले में श्रीसंत को ट्रायल कोर्ट की तरफ से बरी कर दिया गया था और इसलिए उन पर लगे आजीवन प्रतिबंध को हटाकर उन्हें क्रिकेट खेलने की इजाजत दी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि जिन अन्य खिलाड़ियों के नाम स्पॉट-फिक्सिंग में सामने आए थे उन पर 3-5 साल का बैन लगा था और श्रीसंत पर आजीवन बैन न्यायसंगत नहीं है।'

खुर्शीद ने कोर्ट से अपनी अपील में कहा, 'आजीवन प्रतिबंध बहुत कठोर है। वह पहले ही 36 साल के हैं। बैन की वजह से वह स्थानीय क्लब क्रिकेट भी नहीं खेल सकते हैं। वह क्रिकेट खेलना चाहते हैं और उन्हें इंग्लैंड से कुछ ऑफर भी मिले हैं लेकिन वे ऑफर खत्म हो जाएंगे अगर उन्हें खेलने की इजाजत नहीं मिलती।'

खुर्शीद ने कहा कि किसी अन्य क्रिकेट के साथ इतना कठोर व्यवहार नहीं किया गया और उन्होंने पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन का उदाहरण दिया जिन्हें मैच फिक्सिंग स्कैंडल में इसी तरह की सजा दी गई थी।

उन्होंने कहा कि मैच फिक्सिंग में शामिल होने के आरोपों के बाद अजहरुद्दीन पर लगे आजीवन प्रतिबंध को 2000 में हटा दिया गया था और बाद में बीसीसीआई ने अजहरुद्दीन को हैदराबाद क्रिकेट असोसिएशन अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने की इजाजत दे दी थी, जबकि श्रीसंत का बैन बरकरार रखा गया। 

सीओए की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील पराग त्रिपाठी, ने कहा कि क्रिकेट में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार या कदाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस होना चाहिए और कठोर प्रतिबंध अन्य खिलाड़ियों के लिए कड़ा संदेश देने के लिए लगाया गया था।

खंडपीठ ने सुनवाई स्थगित करते हुए कहा कि पहले दिल्ली हाई कोर्ट को श्रीसंत के स्पॉट फिक्सिंग से बरी किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला देना चाहिए। कोर्ट ने मामले की सुनवाई जनवरी के तीसरे हफ्ते में रखी है। 

आईपीएल 2013 के सीजन में स्पॉट फिक्सिंग में कथित भूमिका के लिए तेज गेंदबाज श्रीसंत के खिलाफ आजीवन बैन लगाया गया था। दिल्ली पुलिस ने श्रीसंत के साथ ही अंकित चव्हाण और अजित चंदीला को स्पॉट फिक्सिंग के आरोपों में गिरफ्तार किया था। श्रीसंत, चंदीला और चव्हाण को जुलाई 2015 में ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया था।

इसके बाद दिल्ली पुलिस ने इस मामले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी। हालांकि बीसीसीआई ने ट्रायल कोर्ट के आदेश के बाद भी अपने अनुशासनात्मक निर्णय में बदलाव करने से मना कर दिया था। 

पिछले साल 7 अगस्त को केरल हाई कोर्ट के एकल-जज वाले बेंच ने श्रीसंत पर लगा आजीवन बैन दिया था, हालांकि बाद में बीसीसीआई की याचिका पर कोर्ट की खण्डपीठ ने बैन दोबारा बहाल कर दिया था। 

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