BCCI को डेक्कन चार्जर्स को आईपीएल से 'अवैध' तरीके से हटाने के लिए 4800 करोड़ रुपये चुकाने का आदेश, जानिए पूरा मामला

BCCI, Deccan Chargers: 2012 में डेक्कन चार्जर्स को आईपीएल द्वारा अवैध रूप से हटाए जाने के मामले में अब बीसीसीआई को दिया गया 4800 करोड़ रुपये चुकाने का आदेश

By अभिषेक पाण्डेय | Published: July 18, 2020 11:34 AM2020-07-18T11:34:55+5:302020-07-18T11:39:11+5:30

BCCI directed to pay INR 4800 crore to former IPL franchise Deccan Chargers, Know why | BCCI को डेक्कन चार्जर्स को आईपीएल से 'अवैध' तरीके से हटाने के लिए 4800 करोड़ रुपये चुकाने का आदेश, जानिए पूरा मामला

बीसीसीआई पर डेक्कन चार्जर्स को आईपीएल से हटाने के लिए लगा 4800 करोड़ रुपये का जुर्माना (IPL)

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Highlightsबीसीसीआई ने 2012 में डेक्कन चार्जर्स को आईपीएल से किया था निष्कासितडेक्कन चार्जर्स ने बीसीसीआई के निष्कासन को अवैध बताते हुए खटखटाया था कोर्ट का दरवाजा

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को डेक्कन क्रॉनिकल्स होल्डिंग लिमिटेड (DCHL) कंपनी इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) फ्रेंचाइजी टीम (डेक्कन चार्जर्स) को निष्कासित किए जाने के मामले में 4800 करोड़ रुपये के भुगतान का आदेश दिया गया है। ये आदेश इस मामले के निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मध्यस्थ ने दिया है, डीसीएचएल के एक वकील ने ये दावा किया है। वकील ने ये भी कहा कि मध्यस्थ ने डेक्कन चार्जर्स के आईपीएल से निष्कासन को भी अवैध करार दिया है।

टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के मुताबिक, बीसीसीआई ने 11 अगस्त 2012 को डीसीएचएल (उर्फ डेक्कन चार्जर्स) को फ्रेंचाइजी के निष्कासन के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था।  हालांकि, वकील के अनुसार, निष्कासन अधिकारिक रूप से नोटिस का जवाब देने के लिए दी गई 30-दिन की समाप्ति अवधि से एक दिन पहले हुआ था। इसके बाद DCHL ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अपील की थी कि उनका निष्कासन मनमाना था।

बीसीसीआई ने 2012 में डेक्कन चार्जर्स को आईपीएल से किया था बाहर

 2012 में, हैदराबाद स्थित मीडिया समूह ने भारतीय बोर्ड द्वारा एक आईपीएल टीम फ्रेंचाइजी के 'कथित अवैध समाप्ति' को चुनौती दी थी। 15 सितंबर 2012 को, BCCI ने लीग की गवर्निंग काउंसिल की एक आपात बैठक के बाद डेक्कन चार्जर्स के निष्कासन की घोषणा की थी।

इस संबंध में, DCHL - टीम के तत्कालीन मालिकों - ने BCCI द्वारा निष्कासन को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया था। हालांकि, बोर्ड ने हैदराबाद फ्रैंचाइज़ी के लिए एक नया टेंडर शुरू किया, जिसके परिणामस्वरूप कलानिधि मारन के स्वामित्व वाले सन टीवी नेटवर्क की जीत हुई।

सितंबर 2012 में, हाई कोर्ट ने मामले के निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस सीके ठक्कर को एकमात्र मध्यस्थ के रूप में नियुक्त किया।

बीसीसीआई को डेक्कन चार्जर्स को 4800 करोड़ रुपये चुकाने का आदेश

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, धीर ऐंड धीर असोसिएट्स के मैनेजिंग पार्टनर मनीषा धीर ने कहा, "शुक्रवार को एकमात्र मध्यस्थ ने निष्कासन को गैरकानूनी करार दिया और DCHL को 630 करोड़ रुपये का हर्जाना और 4160 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।" 

उन्होंने कहा कि फ्रेंचाइजी समझौते के तहत देय राशि के रूप में DCHL को 36 करोड़ रुपये भी दिए गए हैं।

2008 में आईपीएल के पहले सीजन के दौरान डेक्कन चार्जर्स इस लीग में खेली आठ टीमों में शामिल थी, 2009 में चार्जर्स ने पहली बार आईपीएल का खिताब जीता था। चार्जर्स के निष्कासन के बाद आईपीएल में हैदराबाद की फ्रेंचाइजी के रूप में सनराइजर्स हैदराबाद दी एंट्री हुई, जो 2013 से ही इस लीग में खेल रही है।

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