BCCI उठाने जा रहा अहम कदम, अब इस तरह होगा दिल्ली क्रिकेट का संचालन

बीसीसीआई पहले ही डीडीसीए के वार्षिक अनुदान को रोक चुका है तथा दो दिन पहले शीर्ष परिषद के सदस्यों के बीच टेलीकान्फ्रेंस के दौरान तदर्थ समिति गठित करने पर चर्चा की गई...

By भाषा | Published: May 8, 2020 03:10 PM2020-05-08T15:10:59+5:302020-05-08T15:10:59+5:30

BCCI all set to form ad-hoc body to run Delhi cricket | BCCI उठाने जा रहा अहम कदम, अब इस तरह होगा दिल्ली क्रिकेट का संचालन

BCCI उठाने जा रहा अहम कदम, अब इस तरह होगा दिल्ली क्रिकेट का संचालन

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दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) का अध्यक्ष न होने और सचिव के जेल में होने के कारण भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) अब तदर्थ समिति के जरिये इसके कामकाज को संचालित करने की तैयारियां कर रहा है।

बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, ‘‘जहां तक डीडीसीए का सवाल है तो उसमें हर स्तर पर भ्रष्टाचार की अनगिनत शिकायतें आयी हैं। शीर्ष परिषद के अधिकतर सदस्यों को मानना था जब तक उचित व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक कामकाज देखने के लिये तदर्थ समिति गठित कर देनी चाहिए।’’

वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा के त्यागपत्र देने के बाद डीडीसीए में कोई अध्यक्ष नहीं है जबकि महासचिव विनोद तिहाड़ा सीमा शुल्क अधिनियम के कथित उल्लंघन के कारण मेरठ जेल में हैं। डीडीसीए की शीर्ष परिषद के अधिकतर सदस्यों को नवीनीकरण से जुड़े कुछ कार्यों में वित्तीय अनियमितताओं में कथित भागीदारी के कारण राज्य संस्था के लोकपाल ने निलंबित कर रखा है।

इन आरोपों के अलावा आयु वर्ग से लेकर रणजी टीम तक चयन मामलों में समझौता करने के भी आरोप हैं। बीसीसीआई अधिकारी ने कहा, ‘‘अभी अध्यक्ष नहीं है और सचिव जेल में है जो जमानत मिलने पर भी वापसी करके प्रशासन नहीं संभाल सकता है। जिस तरह से हमने राजस्थान में किया, हम तदर्थ समिति गठित कर सकते हैं जो क्रिकेट और प्रशासनिक दोनों मामलों को देखेगी।’’

अधिकारी से पूछा गया कि क्या तदर्थ समिति की नियुक्ति लॉकडाउन समाप्त होने के बाद ही संभव है, शीर्ष परिषद के एक अन्य सदस्य ने कहा, ‘‘कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसा लॉकडाउन समाप्त होने से पहले भी किया जा सकता है।’’

बीसीसीआई इसलिए भी तदर्थ समिति गठित करना चाहता ताकि ऐसी नौबत नहीं आये जहां अदालत से नियुक्त प्रशासक को डीडीसीए का कामकाज देखना पड़े। अधिकारी ने कहा, ‘‘वह अदालत से नियुक्त प्रशासक न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) विक्रमजीत सेन थे, जिनके रहते हुए चुनाव कराये गये। डीडीसीए लोढ़ा संविधान के तहत चुनाव कराने वाली पहली संस्था थी और अन्य राज्य संस्थाओं ने काफी बाद में ऐसा किया। अब देखिये कि क्या हुआ।’’

क्रिकेटरों को तो बीसीसीआई से अपनी मैच फीस मिल गयी है लेकिन कोचों, चयनकर्ताओं, सहयोगी स्टाफ जैसे फिजियो, ट्रेनर, मालिशिया, वीडियो विश्लेषक और क्यूरेटर को संघ की अंदरूनी लड़ाई के कारण एक भी पैसा नहीं मिला है।

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