Highlightsभारतीय क्रिकेट टीम बड़ी ही मजबूती के साथ साल 2019 का अंत करने जा रही है।जब टीम इंडिया अपनी श्रेष्ठता जाहिर कर रही थी तब खिलाड़ियों के प्रदर्शन ऊपर-नीचे होते रहे।
भारतीय क्रिकेट टीम बड़ी ही मजबूती के साथ साल 2019 का अंत करने जा रही है। वह टेस्ट में नंबर एक, वनडे में नंबर दो और टी20 में नंबर पांच की टीम है। तीनों प्रारूपो में अन्य किसी भी टीम ने इस तरह की निरंतरता नहीं दिखाई है, लेकिन जब टीम इंडिया अपनी श्रेष्ठता जाहिर कर रही थी तब खिलाड़ियों के प्रदर्शन ऊपर-नीचे होते रहे। कुछ खिलाड़ियों ने पिछले बारह महीनो में नई ऊंचाइयां छू ली, जबकि अन्य किसी एक या और प्रारूपो में अपना करियर बचाने के लिए जूझते रह गए।
क्रिकेट एक्सपर्ट अयाज मेमन ने लोकमत समाचार के लिए लिखे अपने कॉलम में टीम इंडिया के खिलाड़ियों के प्रदर्शन के आधार पर आकलन किया। आइए देखते हैं साल 2019 प्रमुख खिलाड़ियों के लिए कैसे गुजरा..
शीर्ष पर पहुंचे टीम इंडिया ये खिलाड़ी
विराट कोहली : किसी भी प्रारुप में रन बनाने की भूख कभी नहीं खत्म हुई। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज की हैसियत से साल का अंत करेंगे और आम राय यही है कि पिछले दशक के वे सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज रहे। सबसे अहम उनका नेतृत्व रहा, जिसने टीम बनाई और इससे भी अहम रहा उनकी जीत दिलाने वाला रवैया।
रोहित शर्मा : सर्वाधिक अंतर्राष्ट्रीय रन बनाने के मामले में विराट कोहली के बाद उनका नंबर है, लेकिन निर्विवाद रूप से ये भारत के वर्ष के बल्लेबाज हैं। विश्वकप टूर्नामेंट में पांच शतक उन्होंने जड़े और टेस्ट क्रिकेट में धमाकेदार वापसी भी की। मयंक अग्रवाल के साथ उनकी साझेदारी से टेस्ट में भारत को ठोस जोड़ी मिल चुकी है।
मयंक अग्रवाल : अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में उनका केवल एक ही साल बीता है, लेकिन ये जिस प्रारुप (टेस्ट) में खेल रहे हैं उसमें अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे हैं। उन्होंने मजबूत तकनीक और टेम्परामेंट के साथ अच्छी रन गति से लंबी पारियां खेलने की अपनी क्षमता साबित कर दी है। इससे प्रतिद्वंद्वी टीम दबाव में आ जाती है।
मोहम्मद शमी : 2018 में व्यक्तिगत परेसानियों से उबरकर वे फिट और मजबूत हुए। टेस्ट में उन्होंने अपनी फॉर्म हासिल की और वनडे तथा टी20 में वापसी भी की। वे निश्चित रूप से तेज गति से गेंद करते हैं, लेकिन अहम है गेंद पर नियंत्रण और कौशल्य। भारतीय टीम में अब उच्च गुणवत्ता के पांच तेज गति गेंदबाज हैं- शमी, बुमराह, ईशांत, उमेश और भुवनेश्वर।
ईशांत शर्मा और उमेश यादव : करियर के उतरार्ध में दोनों ने साबित कर दिखाया है कि वे विकेट झटकने की अपनी क्षमता की वजह से टीम के महत्वपूर्ण सदस्य हैं। उमेश को पर्याप्त अवसर नहीं मिले, लेकिन यह प्रभावशाली रहे। घरेलू पिचों पर दोनों की सफलता से भारतीय टीम के टेस्ट प्रदर्शन में उठाव आया।
रवींद्र जडेजा : 2017 में टीम से बाहर कर दिए जाने के बाद शमी की तरह ही सभी तीनों प्रारूपों में वापसी की। उनकी गेंदबाजी हमेशा किफायती और खासकर भारतीय परिस्थितियों में प्रभावशाली रही, लेकिन टीम के लिए सबसे बड़ा लाभ उनकी बल्लेबाजी रही, जो कई विफलताओं से गुजरी।
श्रेयस अय्यर : बिंदास बल्लेबाजी के कारण सीमित ओवरों के क्रिकेट में प्रभाव छोड़ा। उनके पास स्ट्रोक्स की विस्तृत रेंज है और मैच के हालात को बहतर ढंग से पढ़ लेते हैं। टेस्ट टीम में स्थान पाने की उनकी कोशिश रहेगी।
खिसक गए टीम इंडिया ये खिलाड़ी
शिखर धवन : गत सत्र में टेस्ट टीम से अपना स्थान गंवाया और तब से वापसी करने में नाकाम रहे। विश्वकप में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बेहतरीन शतक जड़ा, लेकिन इसके बाद चोटिल हो गए। जिसके बाद वनडे और टी20 टीम में अपने स्थान को लेकर उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ी। सीमित ओवरों के क्रिकेट में केएल राहुल रन बना रहे हैं, जिससे धवन को टीम में अपना स्थान वापस हासिल करना मुश्किल है।
केएल राहुल : एक टीवी शो को लेकर विवाद के बाद उन्होंने टेस्ट टीम में स्थान गंवा दिया। तब से इसे हासिल नहीं कर सके हैं। वनडे वर्ल्ड कप की टीम में भी अपने स्थान को लेकर वे निश्चित नहीं थे, लेकिन इसके बाद जबर्दस्त ढंग से वापसी की। सीमित ओवरों के क्रिकेट में उन्होंने काफी रन बनाए, लेकिन टेस्ट में उन्हें स्थान मिलना फिलहाल मुश्किल है।
ऋषभ पंत : साल के उत्तरार्ध में टेस्ट टीम से उन्होंने अपना स्थान गंवाया। वनडे और टी20 टीम में उनका स्थान फिलहाल तो बना है, लेकिन इन दोनों प्रारुपो में उनके सामने कई कड़ी चुनौतियां हैं। उनकी प्रतिभा पर कोई संदेह नहीं है, लेकिन उन्हें स्टंप्स के आगे और पीछे अपने प्रदर्शन में सुधार के साथ निरंतरता भी दिखानी होगी, जिससे कि वे भारतीय क्रिकेट में एक लंबी पारी खेल सकें।
यथास्थित रहे टीम इंडिया ये खिलाड़ी
चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे : दोनो भी सीमित ओवरों के क्रिकेट में नहीं खेले, जबकि रहाणे वनडे प्रारुप को लेकर चयनकर्ताओं के रडार पर रहे। दोनों ने भी मजबूती दिखाई। पांच दिनी प्रारुप में पर्याप्त रन भी बनाए। इससे भारतीय टीम ने सिर्फ मजबूत हुई, बल्कि अंतिम एकादश में यह एक अतिरिक्त गेंदबाज को भी उतार पाई।
रविचंद्रन अश्विन : घरेलू मुकाबलों में उन्होंने स्वयं को भारत का नंबर एक स्पिनर साबिक किया। उनका स्ट्राइक रेट असाधारण रहा और उनकी बल्लेबाजी तो बोनस है। बहरहाल विदेशी हालातों में वह पहली पसंद नहीं रहे।
कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल :भारतीय क्रिकेट टीम में कुलचा के नाम से मशहूर कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल के लिए यह साल मिश्रित रहा। सीमित ओवरों की टीम में दोनों स्पिनर पहली पसंद थे। अन्य भारतीय स्पिनरों की चुनौती को देखते हुए कुलचा को इस बात की भी चिंता करनी होगी की बल्लेबाज अब उन्हें आसानी से पढ़ लेते हैं।
यह खिलाड़ी रहा साल का सबसे बड़ा रहस्य
एमएस धोनी : आईसीसी वर्ल्ड कप के बाद पूर्व भारतीय कप्तान एमएस धोनी ने अब तक कोई मुकाबला नहीं खेला है, जिससे इन अफवाहों को बल मिल रहा है कि कहीं वह जल्द ही संन्यास तो नहीं लेंगे। साल खत्म होने को आ रहा है, लेकिन धोनी ने संन्यास पर कुछ नहीं कहा। आईपीएल में खेलने के प्रति वे आश्वस्त हैं, जिससे लगता है कि वे खुद के फॉर्म और फिटनेस का आकलन करेंगे और फिर भविष्य की दिशा तय करेंगे। इसका मतलब यह हुआ कि युवा विकेटकीपर बल्लेबाज जैसे पंत और संजू सैमसन को इंतजार करना होगा।